Haryana Politics: बेटे बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद जानें चौधरी बीरेंद्र सिंह की क्या होगी रणनीति
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। हिसार के मौजूदा भाजपा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह (Chaudhary Birendra Singh) के बेटे बृजेंद्र सिंह (Brijendra Singh) के कांग्रेस में शामिल होने के बाद हरियाणा की राजनीति का खेल रोचक हो गया है। बृजेंद सिंह हिसार लोकसभा सीट से अपना टिकट कटने की आशंका के चलते कांग्रेस के पाले में भागे हैं, जबकि उनके पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह और पूर्व विधायक मां प्रेमलता ने अपने दोनों हाथों में लड्डू रखते हुए अभी भाजपा परिवार में ही बने रहे का निर्णय लिया है। बीरेंद्र सिंह ने जिस तरह के संकेत दिए हैं, उन्हें देखकर लग रहा है कि वे और उनकी धर्मपत्नी प्रेमलता ज्यादा दिन भाजपा में टिकने वाले नहीं हैं। वे देर-सबेर कांग्रेस में शामिल होंगे, लेकिन इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं से राय लेने का राजनीतिक शगूफा छोड़ा है। इस शगूफे के पीछे सोच यही हो सकती है कि भाजपा ने यदि उन्हें गले लगाकर रखा तो ठीक अन्यथा विकल्प के तौर पर कांग्रेस में जाने के दरवाजे खुले हैं। बीरेंद्र सिंह की दोनों हाथों में लड्डू रखने की यह प्रवृत्ति उनके राजनीतिक परिवार के लिए घातक साबित हो सकती है।
बीरेंद्र सिंह और दुष्यंत चौटाला के बीच चला शह-मात का खेल
हरियाणा की राजनीति में बीरेंद्र सिंह और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीच चल रहे शह-मात के खेल में काफी हद तक दुष्यंत चौटाला की जीत और बीरेंद्र सिंह की हार हुई बताई जा रही है। बृजेंद्र सिंह के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने को इसी हार की कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। बीरेंद्र सिंह लंबे समय से बार-बार भाजपा पर दबाव बना रहे थे कि डा. अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) से गठबंधन तोड़ दिया जाना चाहिए, लेकिन भाजपा ने उनकी बात पर कोई गौर नहीं किया और जजपा को एनडीए का हिस्सा बनाकर रखा। ऐसे में बीरेंद्र सिंह को हिसार व उचाना के लोगों को जवाब देना भारी पड़ रहा था। इसलिए उन्होंने जनता का सामना करने की नीयत से अपने बेटे को कांग्रेस में शामिल कराते हुए स्वयं भाजपा में रहना अधिक फायदेमंद समझा। अब तो संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि भाजपा हिसार सीट अपने सहयोगी दल जजपा को प्रदान कर सकती है, हालांकि यहां भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मजबूत दावेदारों की संख्या कम नहीं है।
हिसार सीट पर ये नाम होंगे प्रबल दावेदार
हिसार से विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। अगर यह सीट जजपा के हिस्से में आई तो दुष्यंत चौटाला स्वयं भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन भाजपा यह शर्त लगा सकती है कि दुष्यंत चौटाला को भाजपा के कमल के फूल पर चुनाव लड़ना पड़ेगा। बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद उनके सोनीपत या हिसार से ही लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाएं बन गई हैं। बीरेंद्र सिंह पिछले कई दिनों से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के संपर्क में थे। पिछले दिनों बीरेंद्र सिंह और उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह नई दिल्ली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लंच में भी शामिल हुए थे। इससे पहले और बाद में भी बीरेंद्र सिंह के कई ऐसे वीडियो वायरल हुए, जिनमें वे राजीव गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए सुनाई दे रहे थे।
सीएम नहीं बन पाने की पीड़ा नहीं भूला पा रहे बीरेंद्र सिंह
भाजपा के प्रति बिछोह और कांग्रेस के प्रति मोह बीरेंद्र सिंह के राजनीतिक परिवार के लिए घातक साबित होने के कई ठोस कारण हैं। बीरेंद्र सिंह कभी सत्ता के बिना नहीं रस सकते। यह आम सोच बन चुकी है। मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की पीड़ा अभी भी उनके दिल में बनी हुई है। कई मौकों पर बातचीत में बीरेंद्र सिंह केंद्र की बजाय हरियाणा की राजनीति को अधिक बढ़िया बताते हुए अपने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा को सार्वजनिक कर चुके हैं। ऐसे में उनकी सोच को कांग्रेस में सीएम बनने के बाकी दावेदार कैसे फलीभूत होने दे सकते हैं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। बीरेंद्र सिंह की ताकत उनके समर्थक जाट मतदाता हैं, जो भाजपा के एजेंडे में दूसरे नंबर पर आते हैं।
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