Haryana Politics: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कई सीटों की मांग कर सकते हैं कुलदीप बिश्नोई, दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से कर रहे मुलाकात

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Politics: हरियाणा के भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई इन दिनों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वह लगातार पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह राज्यसभा चुनाव और कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव माने जा रहे हैं।

17 जून से मुलाकातों का दौर जारी

कुलदीप बिश्नोई दिल्ली में एक के बाद एक बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। कुलदीप 17 जून को गृह मंत्री अमित शाह, 18 जून को केन्द्रीय मंत्री एवं हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, 20 जून को भाजपा के प्रदेश प्रभारी बिप्लप देब और 21 जून को केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सीएम मनोहर लाल से मुलाकात कर चुके हैं। इनमें से हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल से हुई मुलाकात को अहम माना जा रहा है। कुलदीप ने मनोहर लाल को आश्वस्त किया है कि अगर उनको 8 से 10 सीटें विधानसभा में मिलती है तो सभी सीटें भाजपा की झोली में डालने का काम करेंगे।

दिल्ली में केंद्रीय व वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करते कुलदीप बिश्नोई। - Dainik Bhaskar

किरण चौधरी के भाजपा में आने के बाद कुलदीप विश्नोई भी राज्यसभा की दौड़ में हैं। इसके अलावा कुलदीप की नजर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी टिकी है। समर्थक लगातार कुलदीप पर टिकट दिलवाने या फिर निर्दलीय चुनावों में ताल ठोकने का दबाव बना रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में कुलदीप पार्टी से 8 से 10 विधानसभा सीटों की मांग कर सकते हैं। इनमें हिसार, नलवा, हांसी, बवानी खेड़ा, बरवाला, आदमपुर, फतेहाबाद, सिरसा और भिवानी शामिल हैं।

56 साल से भजनलाल परिवार का गढ़ है आदमपुर

 

आदमपुर को भजनलाल परिवार का गढ़ माना जाता है। आदमपुर विधानसभा पर पिछले 56 साल से बिश्नोई परिवार का कब्जा है। इस सीट पर पहली बार भजनलाल 1968 में विधायक बने थे, तब से लेकर जितने भी चुनाव हुए सभी में भजनलाल परिवार ही आदमपुर से जीतता आ रहा है। मगर, लोकसभा चुनाव में लगातार 2 बार बिश्नोई परिवार वोट निकालने में कामयाब नहीं हो सका। हालांकि विधानसभा चुनाव में जनता बिश्नोई परिवार को ही वोट देती है। 2019 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। वहीं भव्य भी उपचुनाव में जीते, लेकिन वह भी मात्र 15 हजार वोटों से। यह एक तरह से भजन लाल के परिवार के लिए खतरे की घंटी है।

सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार

इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया है। अगर भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला चुनाव जीतते तो उनका बिजली मंत्री का पद भव्य को मिल सकता था। मगर, रणजीत चौटाला की हार ने भव्य बिश्नोई को मंत्री पद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है।

2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के उप मुख्यमंत्री के पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद से आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है।

कुलदीप क्यों कर रहे हैं वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात

1. कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में आने के बाद 2 राजनीतिक घरानों जिंदल परिवार और बंसीलाल परिवार की भाजपा में आ गए हैं। इस कारण उनका भाजपा के ऊपर समर्थकों के लिए ज्यादा से ज्यादा टिकट मांगने का दबाव है। जिंदल परिवार हिसार और कुरुक्षेत्र में अपने समर्थकों और किरण चौधरी भिवानी और अन्य सीटों पर अपने समर्थकों के लिए भी टिकट मांग सकते हैं।

2. कुलदीप बिश्नोई के समर्थक लगातार उन पर भाजपा छोड़ने का दवाब बना रहे हैं, मगर कुलदीप और उनका परिवार भाजपा में ही रहना चाहते हैं। वह आगामी विधानसभा चुनाव में समर्थकों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगा रहे हैं। लोकसभा में टिकट नहीं मिलने से भी कुलदीप समर्थक नेता भाजपा से नाराज हैं और लगातार दबाव बना रहे हैं।

3. अभी खत्म हुए लोकसभा चुनाव में हिसार लोकसभा से कुलदीप बिश्नोई टिकट मांग रहे थे, मगर भाजपा ने उनका टिकट काटकर चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को टिकट दे दिया। यहां उनका दावा कमजोर पड़ गया। इस बात से कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए थे। इसके बाद पहले पूर्व सीएम मनोहर लाल और फिर सीएम नायब सैनी ने प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया के साथ उनके दिल्ली के जाकर उन्हें मनाया। इसके बाद उन्होंने रणजीत चौटाला के लिए आदमपुर में वोट मांगे लेकिन जितवा नहीं पाए। आदमपुर क्षेत्र में जयप्रकाश के मुकाबले रणजीत चौटाला को कम वोट मिले।

 

 

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