Haryana Politics: अल्पमत में आई हरियाणा की नायब सरकार, जानें क्यों नहीं है फिलहाल संकट
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Politics: हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच नया राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार को समर्थन दे रहे 3 निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी। सुबह के समय इन विधायकों की संख्या चार थी, शाम को तीन रह गई। पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने मंगलवार शाम को रोहतक पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी। बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के भी इन विधायकों के साथ आने का दावा किया गया था, लेकिन शाम को दौलताबाद नहीं आए।
इन तीनों निर्दलीय विधायकों ने हुड्डा की मौजूदगी में यह भी कह दिया कि उन्होंने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि, अभी तक इन तीनों विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का अपना लिखित पत्र नहीं दिया है। फिर भी घोषणा से सरकार पर दबाव जरूर बढ़ गया है। ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में आ गई, लेकिन संवैधानिक तौर पर सरकार को अगले चार माह तक किसी तरह का खतरा नहीं है।
कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि देखिए ये जानकारी आई है अभी। विधायकों की कुछ इच्छाएं होती हैं. हर व्यक्ति अपनी इच्छा के साथ जुड़ा हुआ है। शायद कांग्रेस आजकल इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है। लोग जानते हैं कि किसकी इच्छा क्या है? कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं है, उनको तो अपनी इच्छाओं से मतलब है।”
हरियाणा राज्य बीजेपी के प्रवक्ता जवाहर यादव ने कहा कि कांग्रेस केवल भ्रम फैला रही है। अभी 13 मार्च को ही नायब सैनी सरकार ने बहुमत साबित किया था। आगे भी जब ऐसा कोई अवसर आएगा तो हम सदन में अपनी सरकार का प्रचंड बहुमत साबित कर देंगे।”
अगले छह माह तक नायब सरकार के विरुद्ध नहीं लाया जा सकता अविश्वास प्रस्ताव
संवैधानिक दृष्टि से 22 फरवरी के बाद से अगले छह माह तक नायब सिंह सैनी की सरकार के विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक किसी तरह का खतरा नहीं है। हरियाणा में चूंकि सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में सरकार अगस्त में भी विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की घोषणा कर सकती है। पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी जब मुख्यमंत्री बने थे, तब 22 फरवरी 2024 को भाजपा सरकार के विरुद्ध कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। उस समय निर्दलीय विधायकों के सहयोग और समर्थन के चलते भाजपा बहुमत साबित करने में कामयाब हो गई थी। जेजेपी के कुछ विधायकों ने भी भाजपा सरकार को अपना समर्थन दिया था, जिस कारण भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बावजूद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार को कोई खतरा नहीं पहुंचा था।
विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा कर सकती है भाजपा
भाजपा के रणनीतिकारों ने यदि विधानसभा भंग नहीं की और कांग्रेस सरकार के विरुद्ध किसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो जेजेपी के 10 असंतुष्ट विधायकों में से पांच भाजपा के साथ हैं और दो का प्रेम कांग्रेस के प्रति पनप रहा है। ऐसे में 88 सदस्यीय विधानसभा में 45 विधायकों के समर्थन का आंकड़ा भाजपा विधानसभा में आसानी से पेश कर सकती है। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद फिलहाल भाजपा के 40 विधायकों के साथ दो निर्दलीय नयनपाल रावत और राकेश दौलताबाद तथा एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा का समर्थन रह गया है, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो विधायक कम है। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू पहले दिन से सरकार के विरुद्ध चल रहे हैं।
जेजेपी के छह असंतुष्ट विधायकों में तीन भाजपा के साथ, दो कांग्रेस और एक असमंजस में
हरियाणा विधानसभा में जेजेपी के 10 विधायकों में से छह असंतुष्ट और बागी हैं। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, पूर्व राज्यमंत्री अनूप धानक, बाढ़डा की विधायक नैना चौटाला और जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा को छोड़कर बाकी छह विधायक मन से जेजेपी के साथ नहीं हैं। देवेंद्र बबली और रामकुमार गौतम का झुकाव भाजपा की तरफ है। गुहला चीका के विधायक ईश्वर सिंह और शाहबाद के विधायक रामकरण काला का कांग्रेस के प्रति प्रेम जाहिर हो चुका है। नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग का भाजपा के प्रति खुला अनुराग है।
हरियाणा विधानसभा का मौजूदा गणित
विधायकों की संख्या – 88
बहुमत के लिए चाहिये – 45
भाजपा – 40
कांग्रेस – 30
जेजेपी – 10
निर्दलीय – 6
हलोपा – 1
इनेलो – 1
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