Haryana Politics: जजपा में व्हिप का उल्लंघन करने वाले पांच विधायकों पर कार्रवाई की तैयारी
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP ) द्वारा गठबंधन तोड़ने के बाद जननायक जनता पार्टी (JJP) में अंतर्कलह और बढ़ने के आसार हैं। जजपा ने अपने पांच विधायकों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है जो बुधवार को व्हिप जारी करने के बावजूद सदन की कार्यवाही का हिस्सा बने थे। इन सभी विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। वहीं, लोकसभा के चुनावी रण में ‘एकला चलो रे’ की रणनीति पर चल रही पार्टी लगातार तीन दिन कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मन टटोलेगी जिसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि कहां से उम्मीदवार उतारे जाएंगे और कहां पर नहीं।
5 विधायकों की भाजपा से नजदीकियां
जजपा के कुल 10 विधायक हैं। जजपा कोटे से मनोहर सरकार में मंत्री रहे देवेंद्र बबली के साथ ही विधायक ईश्वर सिंह, रामकुमार गौतम, जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा की भाजपा से नजदीकियां किसी से छिपी नहीं। देवेंद्र बबली और रामकुमार गौतम कई मौकों पर बयानबाजी कर पार्टी आलाकमान को खुली चुनौती देते रहे हैं। पिछले महीने विधानसभा के बजट सत्र में दुष्यंत और दादा गौतम के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए, जब सदन में ही दोनों में न केवल जमकर आरोप-प्रत्यारोप चले, बल्कि एक-दूसरे को इस्तीफा देने तक की नसीहत दे डाली।
विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा बने ये विधायक
एक दिन पहले मामला फिर गर्मा गया जब पांचों जजपा विधायक हिसार में आयोजित नवसंकल्प रैली से दूरी बनाते हुए चंडीगढ़ पहुंच गए और विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा बने। गुरुवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला की अध्यक्षता में लोकसभा चुनावों को लेकर आयोजित मंथन बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह ने कहा कि व्हिप के उल्लंघन को पार्टी ने गंभीरता से लिया है। जांच कराई जाएगी कि कौन-कौन से विधायक विश्वास मत पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद थे। इसे अनुशासनहीनता मानते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लोकसभा चुनाव को लेकर होगी चर्चा
वहीं, मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर दुष्यंत चौटाला ने सभी जिला अध्यक्षों और प्रकोष्ठों के प्रदेश प्रभारियों व प्रदेश अध्यक्षों के साथ चर्चा की। इस दौरान विधायक रामकरण काला ही इस बैठक में पहुंचे, जबकि कुछ विधायक चंडीगढ़ में होने के बावजूद शामिल नहीं हुए। हालांकि निशान सिंह का कहना था कि यह संगठन पदाधिकारियों की बैठक थी और इसमें किसी विधायक को नहीं बुलाया गया था। बैठक में सभी प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों के सुझाव लेने के बाद निर्णय लिया गया कि अगले तीन दिन में सभी लोकसभा क्षेत्रों के पदाधिकारियों के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही लोकसभा चुनाव लड़ने पर फैसला लिया जाएगा।
भाजपा से गठबंधन टूटने का बावजूद जजपा नरम
भाजपा से गठबंधन टूटने के बावजूद नरम रूख अपना रही जजपा ने साफ किया है कि हमने गठबंधन नहीं तोड़ा। सरदार निशान सिंह ने कहा कि जजपा ने भाजपा के केंद्रीय नेताओं से भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार लोकसभा सीट की मांग की थी। कोई सीट नहीं देने पर बुजर्गों-दिव्यांगों और महिलाओं की पेंशन 5100 रुपये करने का भी सुझाव दिया था। परंतु उन्होंने गठबंधन खत्म करने का फैसला ले लिया। रही बात मिलीभगत की तो आने वाला समय अपने आप बता देगा कि कौन किसके साथ मिला है।