Winter Session: 3 दिन चलेगा हरियाणा विधानसभा का सत्र, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने तय की अवधि

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़। Winter Session: हरियाणा विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में आगामी शीतकालीन सत्र की रूपरेखा तय हो गई है। इस महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लिया गया कि विधानसभा सत्र तीन दिनों तक चलेगा। हालांकि, यह अवधि जरूरत पड़ने पर बढ़ाई भी जा सकती है। सत्र 13, 14, और 18 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जबकि 15, 16, और 17 नवंबर को अवकाश रहेगा।

विपक्ष के नेता के बिना हुई बैठक

बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक इस बार एक खास परिस्थिति में हुई, क्योंकि हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल का नेता अब तक चयनित नहीं हो सका है। इसके बावजूद बैठक में अहम निर्णय लिए गए। कांग्रेस की ओर से झज्जर की विधायक और पूर्व मंत्री गीता भुक्कल ने हिस्सा लिया। इनेलो की ओर से रानियां के विधायक अर्जुन चौटाला और निर्दलीय विधायकों की ओर से हिसार की विधायक एवं पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल भी बैठक में उपस्थित रहीं।

इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण, संसदीय कार्य मंत्री महिपाल सिंह ढांडा, समाज कल्याण मंत्री कृष्ण कुमार बेदी, और डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिढा शामिल हुए। बैठक में सहमति बनी कि यदि विधायी कामकाज ज्यादा हुआ, तो सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है। 13 नवंबर को सत्र के पहले दिन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का अभिभाषण होगा। इसी दिन अभिभाषण पर चर्चा भी की जाएगी।

प्रश्नकाल के बिना होगा सत्र

इस बार शीतकालीन सत्र का एक खास पहलू यह है कि इसमें प्रश्नकाल आयोजित नहीं होगा। यह लंबे समय बाद पहली बार है जब सत्र में प्रश्नकाल को शामिल नहीं किया जा रहा है। विपक्ष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार किसानों के मुद्दों से बचना चाहती है। हुड्डा ने कहा कि सत्र की अवधि को कम रखा गया है ताकि किसानों के सवालों से बचा जा सके। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि भाजपा को डर है कि किसान विधानसभा का घेराव कर सकते हैं, इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया है।

अध्यादेश और विधेयकों की तैयारी

शीतकालीन सत्र में भाजपा सरकार की ओर से कई अध्यादेश और विधेयक सदन में पेश किए जाएंगे। इनमें से एक प्रमुख विषय कौशल रोजगार निगम के अंतर्गत कार्यरत अनुबंधित कर्मचारियों के लिए रोजगार की गारंटी है। सरकार ने एक लाख 20 हजार अनुबंधित कर्मचारियों को 58 वर्ष की उम्र तक रोजगार देने की घोषणा की है। यह घोषणा नायब सिंह सैनी सरकार के पहले कार्यकाल में ही की गई थी और इसके लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था। अब इस अध्यादेश को शीतकालीन सत्र में सदन की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इस पर पक्ष और विपक्ष के विधायक अपनी-अपनी राय रखेंगे।

विपक्ष की मांग और सरकार का जवाब

 

रानियां के विधायक अर्जुन चौटाला ने सत्र की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि तीन दिनों का सत्र अपर्याप्त है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए। हालांकि, उनका यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि सत्र की अवधि विधानसभा के कामकाज के आधार पर तय की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सत्र के दौरान विधायी कामकाज ज्यादा हुआ तो इसे बढ़ाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की स्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विधायक दल का नेता तय नहीं कर पाई है। यह कांग्रेस की आंतरिक खींचतान और गुटबाजी को दर्शाता है। डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिढा ने कांग्रेस की गुटबाजी पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस का आंतरिक झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा ने भी कहा कि जरूरत पड़ने पर सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है, लेकिन फिलहाल यह तीन दिन का ही रहेगा।

विपक्ष की रणनीति और आरोप

 

विधानसभा सत्र में भाजपा सरकार की नीतियों और फैसलों पर विपक्ष ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। विपक्ष के प्रमुख नेता और विधायक सरकार से किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी, और अनुबंधित कर्मचारियों के रोजगार जैसे विषयों पर जवाब मांगने की योजना बना रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार किसानों के सवालों से डरती है और इसलिए उसने सत्र को छोटा रखने का निर्णय लिया है।

सत्र के दौरान अवकाश

13 नवंबर को सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण और उस पर चर्चा होगी। 14 नवंबर को दूसरी बैठक होगी, जिसके बाद तीन दिन का अवकाश रखा गया है। 15 नवंबर को गुरुनानक जयंती का अवकाश होगा, 16 नवंबर को शनिवार और 17 नवंबर को रविवार के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित रहेगी। इसके बाद 18 नवंबर को सत्र का अंतिम दिन होगा।

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की यह अवधि राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। विपक्ष जहां सरकार को घेरने की योजना बना रहा है, वहीं सरकार ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सदन में किन मुद्दों पर चर्चा होती है और किस प्रकार की बहस देखने को मिलती है।

 

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