हाई कोर्ट ने कहा, केंद्र के नियमों के अनुसार आइटीआइ में प्रशिक्षकों की भर्ती के लिए शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण जरूरी, हरियाणा में नहीं अनिवार्यता

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने कहा है कि शिक्षा चाहे तकनीकी हो या व्यावसायिक, पूरे भारत में एक ही स्तर का मानक बनाए रखा जाना चाहिए। हाई कोर्ट का मानना है कि किसी भी उम्मीदवार को किसी भी राज्य में रोजगार पाने का अधिकार है। अर्जित योग्यताओं की आवश्यकता सभी राज्यों में सभी छात्रों को शिक्षा का एकसमान स्तर प्रदान करने के लिए है। हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की क्षमता में कोई विचलन नहीं होना चाहिए जिन्हें विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाने और निर्देश देने की आवश्यकता होती है। चाहे वे व्यावसायिक हों या तकनीकी। इसके मद्देनजर यह आवश्यक है कि चयन के समान मानक सभी राज्यों द्वारा अपनाए जाएं।
आइटीआइ के लिए शिल्प प्रशिक्षकों के चयन में हरियाणा ने तय की अपनी योग्यता
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को इन टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने और भविष्य के लिए नियमों में संशोधन करने का भी निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना (सीआइटीएस) के तहत प्रशिक्षक के लिए शिल्पकार प्रशिक्षण प्रशिक्षित उम्मीदवारों का ही शिल्प प्रशिक्षकों के पद के लिए चयन किया जाए। हाई कोर्ट ने कहा, “ऐसा कोई मामला नहीं है, जहां पंजाब और हरियाणा में किसी भी कारण से सीआइटीएस प्रशिक्षण प्रदान करने में कोई कठिनाई हो। इसलिए यह आवश्यक है कि राज्य सरकार सभी प्रशिक्षकों के लिए समान मानक बनाए रखने के लिए अपने सेवा नियमों में पूर्व योग्यता के रूप में उक्त शर्त को शामिल करने के लिए कदम उठाए। जिन प्रशिक्षकों के पास सीआइटीएस योग्यता नहीं है, उन्हें नियुक्ति के बाद भी ऐसा प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कहा जाना चाहिए, ताकि सभी प्रशिक्षक अपने कर्तव्यों का पालन करते समय मानक बनाए रख सकें।
चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के बाद हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश
हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) में शिल्प प्रशिक्षकों की भर्ती के लिए हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित शैक्षणिक योग्यता के मानदंडों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के बाद ये आदेश पारित किए हैं। याचिकाकर्ता जिन्होंने राष्ट्रीय औद्योगिक प्रमाण पत्र/राष्ट्रीय शिक्षुता प्रमाण पत्र उत्तीर्ण किया था और सीआइटीएस में एक वर्षीय पाठ्यक्रम उत्तीर्ण किया था। उनके पास काम करने का दो साल का अनुभव भी था। याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई आपत्ति औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग हरियाणा फील्ड आफिस (ग्रुप-सी) सेवा नियम, 2013 में निर्धारित शिल्प प्रशिक्षक की नियुक्ति के लिए हरियाणा राज्य द्वारा निर्धारित योग्यताओं के संबंध में थी। केंद्र सरकार ने प्रशिक्षकों की नियुक्ति के लिए सीआइटीएस कोर्स करना अनिवार्य कर दिया था।
आईटीआई प्रशिक्षकों के लिए सीआइटीएस कोर्स अनिवार्य किया जाना था
प्रशिक्षकों की भर्ती के लिए उनके मानदंडों के अनुसार, सभी आईटीआई प्रशिक्षकों के लिए सीआइटीएस कोर्स अनिवार्य किया जाना था। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि केंद्र ने व्यावसायिक प्रशिक्षकों की भर्ती के लिए सीआइटीएस योग्यता अनिवार्य कर दी है ताकि एक समान, मानकीकृत और व्यवस्थित प्रशिक्षण दिया जा सके। यह तर्क दिया गया कि हरियाणा सरकार ने जुलाई 2019 में जारी एक विज्ञापन के माध्यम से आईटीआई के लिए 3000 से अधिक शिल्प प्रशिक्षकों का चयन करने की प्रक्रिया शुरू की थी। विज्ञापन के तहत, हरियाणा सरकार ने उन उम्मीदवारों द्वारा पदों को भरने के लिए मानदंडों में ढील दी थी, जिनके पास सीआइटीएस प्रमाण पत्र नहीं थे। याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील यह थी कि एक बार जब केंद्र सरकार आदेश दे चुकी है कि सीआइटीएस एक अनिवार्य योग्यता है, तो हरियाणा सरकार को गैर सीआइटीएस योग्य डिप्लोमा/डिग्री धारकों से पदों को भरने की अनुमति नहीं दी जा सकती है ।
सभी पक्षों को सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि सीआइटीएस एक संघ केंद्रित पाठ्यक्रम है और विभिन्न राज्यों के सभी व्यक्तियों से उक्त प्रशिक्षण योजना में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। हाई कोर्ट का यह भी मानना था कि राज्य द्वारा बनाए गए नियमों में ऐसी योग्यता का प्रविधान नहीं है। हालांकि, पीठ ने ऐसे पाठ्यक्रमों के लिए योग्यता में एकरूपता का सुझाव दिया।
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