हरियाणा में सरकारी खजाने से हो रहा मंत्रियों के वेतन भत्तों पर इनकम टैक्स का भुगतान, जानें क्या है अन्य राज्यों का हाल
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा में विधायकों के वेतन और भत्तों पर लगातार सात साल तक आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से करने के बाद वेतन पर तो यह सुविधा बंद कर दी गई है, लेकिन भत्तों पर आयकर का भुगतान अभी भी सरकारी खजाने से किया जा रहा है। राज्य सरकार के मंत्रियों, मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और विपक्ष के नेता को मिलने वाले वेतन तथा भत्तों पर आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से ही हो रहा है। जबकि देश के प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य भी अपनी-अपनी जेब से वेतन-भत्तों पर आयकर का भुगतान करते हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने-अपने कानूनों में बदलाव कर सभी मंत्रियों, विधायकों, मुख्यमंत्री, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और नेता विपक्ष के वेतन व भत्तों पर आयकर के भुगतान को उनकी स्वयं की जेब से किए जाने की व्यवस्था लागू की है। पंजाब में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह व्यवस्था लागू की थी, जो कि अभी जारी है। उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे।
जानकारी मांगी
हरियाणा में साल 2011 से 2018 तक विधायकों के वेतन और भत्तों दोनों पर आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से होता था। तत्कालीन आरटीआइ एक्टिविस्ट एडवोकेट हेमंत कुमार ने जब इस संबंध में हरियाणा सरकार के कानूनी प्रविधानों का हवाला देकर जानकारी मांगी तो विधानसभा सचिवालय ने स्वीकार किया कि विधायकों के वेतन पर 2.87 करोड़ रुपये के आयकर का गलत भुगतान हुआ है, जो कि उन्हें अपनी जेब से भरना था। इस कानून में यह प्रविधान है कि विधायकों के सिर्फ भत्तों पर आयकर सरकारी खजाने से भरा जा सकेगा। गलती पकड़ में आने के बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से सभी तत्कालीन विधायकों व पूर्व विधायकों से 20 हजार रुपये मासिक के हिसाब से उनके वेतन-भत्तों व पेंशन से यह राशि काटने की व्यवस्था की जाने लगी।
हरियाणा में तीन कानून
हरियाणा में इस समय मुख्यमंत्री, 13 मंत्री, विधानसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और विपक्ष के नेता (अभी चयन होना बाकी है) समेत 17 नेताओं के वेतन और भत्तों दोनों पर ही इनकम टैक्स का भुगतान सरकारी खजाने से किया जा रहा है। एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार हरियाणा में तीन कानून हैं, जिनके आधार पर यह सुविधा ली जा रही है। हरियाणा के मंत्रियों का वेतन और भत्ते कानून 1970 के अंतर्गत मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन-भत्तों पर इनकम टैक्स का भुगतान सरकारी खजाने से देने का प्रविधान है। हरियाणा विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का वेतन और भत्ते कानून 1975 में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के वेतन-भत्तों पर भी इनकम टैक्स सरकारी खजाने से देने की व्यवस्था है।
मध्यप्रदेश, हिमाचल, उप्र, उत्तराखंड और पंजाब में ऐसे लागू हुई व्यवस्था
– इसी साल जून में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों आदि पर इनकम टैक्स का भुगतान सरकारी कोष से बंद कर दिया है।
– 2022 में हिमाचल प्रदेश में तत्कालीन सत्तासीन भाजपा सरकार द्वारा मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष और विधायकों के वेतन-भत्तों पर इनकम टैक्स का भुगतान सरकारी कोष से बंद किया जा चुका है।
– पांच वर्ष पूर्व सितंबर 2019 में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इसी कानून को लागू कर दिया था।
– उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश में पहली भाजपा सरकार ने भी ऐसा निर्णय लेकर तत्काल प्रभाव से लागू कर रखा है।
– मार्च 2018 में पंजाब की तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने मुख्यमंत्री, मंत्रियों, नेता प्रतिपक्ष के वेतन-भत्तों पर इनकम टैक्स के भुगतान के संबंध में निर्णय लिया था कि यह सरकारी खजाने से नहीं जाएगा।
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