Independence Day : पीएम मोदी- ‘हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताए, अब सेक्यूलर कोड की तरफ चलें’
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः देश आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मना रहा है। इस मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार 11वीं बार दिल्ली के लाल किले पर पहुंचकर तिरंगा झंडा फहराया।
इस दौरान लाल किले की प्राचीर से उन्होंने हाथ हिलाकर वहां मौजूद लोगों का अभिनंदन किया। ‘भारत माता की जय’ के साथ पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि जन-जन की सेवा करना हमारा संकल्प है। जन जन की सेवा से विकसित भारत बनाएंगे।
हमने देश को नया आत्मविश्वास दिया। अगली पीढ़ी पर काम नहीं टाल सकते। आज आजादी के दीवानों को नमन करने का दिन है। स्वतंत्रता सेनानियों का तहे दिल से नमन है। पीएम मोदी ने लाल किले (PM Modis Speech From Red Fort) से संबोधन में क्या कहा, पढ़ें बड़ी बातें।
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर ये बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से कहा ‘हमारे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा चल रही है। देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कह रही है और देश के संविधान निर्माताओं का भी ये सपना था। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच नीच का कारण बनते हैं। वैसे कानूनों के लिए देश में कोई जगह नहीं हो सकती। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सेक्यूलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा।’
बांग्लादेश के हालात पर जताई चिंता
‘बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है। पड़ोस देश होने के नाते हम हालात को लेकर चिंतित हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वहा हालात जल्द सामान्य होंगे। साथ ही वहां के हिंदू, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हम समर्पित हैं। हम आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा में हमेशा शुभचिंतक रहेंगे। हम मानव जाति के लिए सोचने वाले लोग हैं।’
महिलाओं की सुरक्षा पर क्या बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि महिलाओं के साथ राक्षसी कृत्य करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जानी चाहिए। अपराधियों के मन में भय पैदा करने की जरूरत है। महिलाओं के साथ जब इस तरह की राक्षसी घटनाएं होती हैं तब इसकी बहुत चर्चा होती है लेकिन जब उस मामले में अपराधी को सजा सुनाई जाती है, कोई चर्चा नहीं होती। अब समय आ गया है जब सजा की भी उतनी ही चर्चा हो जिससे अपराधियों के मन में भय पैदा हो कि ऐसा अपराध करने पर कैसी सजा होती है।
वन नेशन, वन इलेक्शन पर भी बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि देश में बार-बार चुनाव प्रगति में रुकावट बन जाते हैं, बाधक बन जाते हैं। हर काम को चुनाव के रंग से रंग दिया गया है। व्यापक चर्चा हुई है। राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि भारत की प्रगति के लिए, संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग जनसामान्य के लिए हो, इसके लिए वन नेशन वन इलेक्शन के लिए आगे आना चाहिए।
‘2047 में विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हमारे पूर्वज जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम तो 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ लोग गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं तो 140 करोड़ मेरे परिवारजन अगर संकल्प लेकर चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित कर चल सकते हैं।
कदम से कदम और कंधा से कंधा मिलाकर चल सकते हैं तब चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अभाव की मात्रा कितनी ही तीव्र क्यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तब भी हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं। हम 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
स्किल डेवलेपमेंट पर सरकार का फोकस
‘देशवासियों, जिस तरह से विश्व का बदलाव नजर आ रहा है। अब स्किल का महत्व बढ़ गया है इसलिए हम स्किल डेवलेपमेंट पर ध्यान दे रहे हैं। बाजार में युवाओं की ताकत दिखाई दे तो उस लिहाज से हम देश के युवाओं को स्किल्ड बनाना चाहते हैं। देश का युवा ग्लोबल जॉब मार्केट में अपनी धमक बनाए। हम उस सपने को लेकर आगे बढ़ रहा है। आज दुनिया जिस तेजी से बढ़ रहा है तो हमें विज्ञान पर ध्यान देना चाहिए।
हम रिसर्च पर फोकस कर रहे हैं। रिसर्च के लिए एक लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया गया है। जिससे नए अविष्कार हो। आज देश के युवा मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर जा रहे हैं। इसलिए हमने पिछले दस साल में मेडिकल सीटों को एक लाख कर दिया है। करीब 25 हजार युवा मेडिकल एजुकेशन के लिए विदेश जा रहे हैं। इसलिए हमने तय किया है कि अगले पांच साल में मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी।’
राष्ट्रीय पोषण मिशन शुरू किया
‘देशवासियों विकसित भारत 2047 स्वस्थ भारत भी होना चाहिए। इसके लिए बच्चों के लिए पोषण पर भी ध्यान देना चाहिए। हमने राष्ट्रीय पोषण मिशन शुरू किया है। देशवासियों, हमारी कृषि व्यवस्था को बदलना जरूरी है। हम सदियों से जिस सोच से जकड़े हुए हैं, उससे मुक्ति पानी होगी। हम किसानों को मदद भी दे रहे हैं। आज तकनीक की मदद दे रहे हैं।
मार्केटिंग में मदद कर रहे हैं। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। आज जब धरती माता के प्रति सारा विश्व चिंतित है। जैसे उर्वरकों की वजह से धरती माता की सेहत लगातार बिगड़ रही है। मैं उन किसानों को बधाई देता हूं जिन्होंने प्राकृतिक खेती की राह पकड़ी है।
25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला
‘ममभाव हमारे काम की शैली है। ममभाव भी चाहिए और समभाव भी। मैं जब कोरोना को याद करता हूं तो कोरोना महामारी के बीच सबसे तेजी से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने वाला देश है तो वो भारत है। आज पूरा देश तिरंगा है, हर घर तिरंगा है।
न कोई जात है न कोई ऊंच है न कोई नीच है। जब हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालते हैं। हमने गति को बनाए रखा है। जब राज्य स्पर्धा करने लगे हैं तो हमें लगता है कि हमारी दिशा सही है। जब संवेदनशीलता से काम करते हैं तो बहुत संतोष मिलता है।’
जल जीवन मिशन से 18 करोड़ परिवारों तक पहुंचा जल
पीएम मोदी ने कहा कि ‘जब लालकिले से कहा जाता है कि बिजली समयसीमा में पहुंचाएंगे, तो हिंदुस्तान सो जाता है। जब ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंच जाती है तो सामान्य मानवी का भरोसा बढ़ जाता है। परिवार के अंदर स्वच्छता का वातावरण बन जाए, भारत में आई नई चेतना का प्रतीक हैं। तीन करोड़ परिवार ऐसे हैं जिन्हें नल से जल मिलता है।
जल जीवन मिशन के तहत कम समय में 18 करोड़ परिवारों तक पानी पहुंच रहा है। दलित, पीड़ित, आदिवासी, गरीब भाई-बहन इन चीजों के अभाव में जी रहे थे। हमने प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने का जो प्रयास किया, परिणाम मिला है।
देश के गरीबों को उनका हक दिया
‘मैंने सपना देखा है कि जब देश विकसित भारत हो तो सामान्य मानविकी में सरकार का दखल कम हो। मेरे प्यारे देशवासियों, हम छोटी छोटी जरूरतों और आवश्यकताओं पर भी ध्यान देते हैं। गरीब का चूल्हा जलता रहा, गरीब के इलाज की सुविधा दी गई है। जब सैचुरेशन होता है तो जाति-धर्म का भेद नहीं होता है। लोगों के जीवन में सरकार का दखल कम हो, उसके लिए हमने कई कदम उठाए हैं।
हमने देशवासियों के लिए डेढ़ हजार से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया है। हमने छोटे-छोटे कानूनों से जेल जाने के प्रावधान से बाहर कर दिया है। सदियों से हमारे पास जो आपराधिक कानून थे, उन्हें आज हमने न्याय संहिता के रूप में पेश किया है। दंड नहीं न्याय को आधार बनाया है। मैं जनप्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ईज ऑफ लिविंग के लिए कदम उठाने चाहिए।’
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