Jaunpur News: पुराण और एएसआई रिपोर्ट में अटाला देवी मंदिर का जिक्र, अटाला मस्जिद पर अगली सुनवाई 2 मार्च को

जौनपुर, बीएनएम न्यूज: अटाला मामले को लेकर सोमवार को सिविल जज जूनियर डिवीजन सुधा शर्मा की अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन यह टल गई। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 2 मार्च तय कर दी है। सुनवाई में अमीन सर्वे और अमीन की सुरक्षा को लेकर बहस प्रस्तावित थी। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि हम हाईकोर्ट गए हैं। हाईकोर्ट में मामला सुनने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाए।

बता दें कि हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि अटाला मस्जिद असल में अटाला देवी मंदिर है। कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद को मंदिर बताते हुए पूजा-अर्चना करने का अधिकार मांगा गया है। हिंदू पक्ष के वकील राम सिंह ने कहा- कोर्ट ने 2 जुलाई को पैमाइश का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और केस की स्थिति

मामले में विपक्षी अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के रिट सी 1246/2020 (अश्वनी उपाध्याय बनाम भारत संघ) के आदेश की प्रति अदालत में प्रस्तुत की। आदेश के मुताबिक, ऐसे मामलों में नए वाद दाखिल किए जा सकते हैं, लेकिन वे दर्ज नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक किसी भी कार्यवाही पर रोक रहेगी। साथ ही अदालत कोई अंतरिम आदेश या सर्वे के लिए आदेश पारित नहीं करेगी।

अदालत में वादी संतोष कुमार मिश्रा की ओर से प्रार्थना पत्र दिया गया था। प्रार्थना पत्र में बताया गया कि विवादित स्थल का निरीक्षण करने अमीन रामस्वरूप मिश्रा मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान प्रतिवादी भी वहां मौजूद थे, लेकिन अमीन को देखकर विवादित इमारत के सभी दरवाजे अंदर से बंद कर दिए गए। ऐसे में अमीन ने चारों तरफ का निरीक्षण कर लौटने की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की। अमीन ने सुरक्षा बल प्रदान करने की मांग की और इसके लिए पुलिस अधीक्षक जौनपुर को पत्र लिखकर निर्देश देने की अपील की।

अटाला मस्जिद और अटाला देवी मंदिर: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

जौनपुर के इतिहास पर लिखी त्रिपुरारि भास्कर की पुस्तक ‘जौनपुर का इतिहास’ के अनुसार, लोगों का मानना है कि अटाला मस्जिद की जगह पहले अटाला देवी का मंदिर था। इसके समर्थन में सिपाह मोहल्ले के पास गोमती नदी किनारे अटाला देवी का विशाल घाट अब भी मौजूद है।

इतिहासकारों के अनुसार:

  • कन्नौज के राजा विजयचंद्र ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
  • इस मंदिर की देखरेख जफराबाद के गहरवार लोग किया करते थे।
  • कहा जाता है कि फिरोज शाह के समय इस मंदिर को गिराने की कोशिश हुई, लेकिन हिंदुओं के विरोध के कारण इसे छोड़ दिया गया।
  • 1364 ई. में ख्वाजा कमाल खां ने इसे मस्जिद का रूप देना शुरू किया और 1408 में इब्राहिम शाह ने इसे पूरा किया।

ASI रिपोर्ट में मिलता है मंदिर का उल्लेख

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संस्थापक अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1875-76 और 1877-78 के दौरान जौनपुर का सर्वेक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट के अनुसार:

  • अटाला मस्जिद को अटाला देवी मंदिर का स्थान बताया गया।
  • रिपोर्ट के पेज नंबर 104 पर उन्होंने स्पष्ट रूप से अटाला देवी मंदिर का जिक्र किया।
  • कनिंघम के मुताबिक, जौनपुर की सभी प्रमुख मस्जिदें किसी न किसी मंदिर को तोड़कर बनाई गई थीं।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. सुनवाई की तारीख टली, अगली सुनवाई 2 मार्च को।
  2. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कार्यवाही पर रोक।
  3. अटाला मस्जिद के स्थान पर अटाला देवी मंदिर होने के ऐतिहासिक प्रमाण।
  4. ASI रिपोर्ट और पुराणों में मंदिर का उल्लेख।

पुराणों में तीन मंदिरों का उल्लेख

जौनपुर के राजा श्री कृष्ण दत्त पीजी कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अखिलेश्वर शुक्ला ने बताया कि पुराणों में तीन प्रमुख देवियों के मंदिर का वर्णन मिलता है:

  1. शीतला देवी मंदिर
  2. अचला देवी मंदिर
  3. अटाला देवी मंदिर

शीतला देवी और अचला देवी मंदिर अब भी मौजूद हैं, लेकिन अटाला देवी मंदिर का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं मिलता है। प्रोफेसर शुक्ला के अनुसार, 13वीं सदी के मुस्लिम लेखकों ने भी उस स्थान पर अटाला मंदिर होने का उल्लेख किया है। कालांतर में यहां मस्जिद का निर्माण हुआ।

अटाला मस्जिद की वास्तुकला में हिंदू शैली के प्रमाण

इतिहासकारों के मुताबिक, अटाला मस्जिद की वास्तुकला में हिंदू शैली के कई प्रमाण हैं:

  • पत्थरों पर कमल के पुष्प उकेरे गए हैं।
  • बीच के कमरे का घेरा लगभग 30 फीट का है।
  • मस्जिद के निर्माण में हिंदू शिल्पकारों का योगदान स्पष्ट नजर आता है।

न्यायिक प्रक्रिया और अगली सुनवाई की तैयारी

वर्तमान में अटाला मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सीमित है। 2 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में अमीन की सुरक्षा और सर्वेक्षण के विषय पर चर्चा हो सकती है।

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