Jaunpur News: शराब सनातन समाज के लिए जहर, नशे के सामानों पर लगे प्रतिबंध: प्रेमभूषण जी महाराज
जौनपुर, बीएनएम न्यूजः शराब और नशे के अन्य सामान हमारे समाज और परिवार को नष्ट कर रहे हैं और युवा पीढ़ी को गलत दिशा में ले जा रहे हैं। शराब और नशे की सामग्री पर शीघ्र प्रतिबंध लगना चाहिए। यह बातें जौनपुर के बीआरपी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने कही। उन्होंने व्यासपीठ से भगवान राम के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों का वाचन करते हुए समाज की सच्चाई को उजागर किया।
प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह के पावन संकल्प से आयोजित सप्त दिवसीय रामकथा के चौथे दिन भगवान राम के वन प्रदेश की मंगल यात्रा से जुड़े प्रसंगों का गायन करते हुए शराब पर विशेष रूप से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि सरकारों को शराब से सबसे अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है, यही कारण है कि शराब और नशे की सामग्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा पा रहा है। वह मानते हैं कि शराब सनातन समाज के लिए जहर है, और गली-चौराहों पर इसकी दुकानों को सजाने की आवश्यकता नहीं है।
60 वर्ष से ऊपर की उम्र में परमार्थ यात्रा की व्यवस्था
महाराज ने सनातन धर्म और संस्कृति के अनुसार मानव जीवन के विभिन्न चरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि 60 वर्ष से ऊपर की अवस्था में परमार्थ यात्रा के लिए समय निश्चित किया गया है। उन्होंने बताया कि भगवान राम ने भी अपने विवाह के बाद वन जाने का निर्णय लिया था, ताकि धरती पर व्याप्त आसुरी शक्तियों को समाप्त किया जा सके। उनका यह कदम हमें यह सिखाता है कि बिना तपस्या के कोई भी कार्य सफल नहीं होता। जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए हमें तप और संघर्ष की आवश्यकता होती है।
युवा पीढ़ी को सत्य की राह आगे बढ़ना चाहिए
महाराज ने युवा पीढ़ी को अपने कर्म पथ का चयन करते हुए सत्य की राह पर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति युवा अवस्था में तप करता है, वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है। भगवान राम का वनवास इसी बात का उदाहरण है, जब उन्होंने 14 वर्षों तक तपस्या की और अपने साम्राज्य को आसुरी शक्तियों से मुक्त किया। यह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
ईश्वर की व्यवस्था में विश्वास
आखिर में, पूज्य महाराज ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का आना-जाना लगा रहता है। भगवान की बनाई हुई व्यवस्था में यही भलाई है कि मनुष्य अपना भविष्य नहीं जानता। यह अज्ञातता ही उसे जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने की शक्ति देती है। भगवान की अपनी व्यवस्था में सब कुछ निश्चित है और यही व्यवस्था संसार की भलाई के लिए है।
इस महत्वपूर्ण श्रीराम कथा के दौरान महाराज ने भगवान राम के जीवन से जुड़ी अन्य शिक्षाओं को भी साझा किया और उपस्थित लोगों को प्रेरित किया कि वे अपनी जीवन यात्रा में सत्य और धर्म के मार्ग पर चलें।
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