जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती को मिला जीआई टैग, अब मक्का और मूली को पहचान दिलाने की तैयारी
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जौनपुर, बीएनएम न्यूज: जौनपुर की इमरती को आखिरकार दो साल के अथक प्रयास से भौगोलिक संकेत जीआई टैग मिल गया। ब्रिटिश काल से बन रही इमरती को (GI Tag) मिलने से जौनपुर में खुशी की लहर है। नई पहचान से जौनपुर की मशहूर इमरती को देश और विदेश में विशेष स्थान प्राप्त होगा।
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में जीआई रजिस्ट्री चेन्नई कार्यालय में 160 नए उत्पाद जीआई पंजीकृत हुए। उनमें उत्तर प्रदेश के 14 उत्पादों के साथ-अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेधालय, असम, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात और उत्तराखंड के भी जीआई शामिल हैं। पिछले साल 55 जीआई टैग की तुलना में यह तीन गुना के बराबर है।
जौनपुर की इमरती की खासियत
यहां की इमरती तकरीबन 200 वर्षों से अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है। उड़द की दाल और देशी घी से निर्मित से होने होने वाली इमरती मुलायमियत के लिए जानी जाती है। साथ ही यह एक सप्ताह तक खराब नहीं होती। बाहर से आने वाले इसका स्वाद चखने के साथ ही अपने साथ लेकर जरूर जाते हैं। उपायुक्त हर्ष प्रताप सिंह ने बताया कि जौनपुर की इमरती को रजिस्ट्रार कार्यालय चेन्नई की ओर से पंजीकृत कर लिया गया है। इससे अब यहां की इमरती को देश के साथ विदेश में भी विशेष स्थान प्राप्त होगा।
मक्का और मूली को भी पहचान दिलाने की तैयारी
इमरती को जीआइ टैग मिलने के बाद अब मक्के के साथ ही मूली को भी इसके माध्यम से नई पहचान दिलाई जाएगी। साथ ही यहां के इत्र को भी इस कड़ी में जोड़ा जाएगा। इमरती को जीआइ टैग पंजीकरण कराने के लिए तकरीबन 2 साल से प्रयास किया जा रहा था, जो आखिरकार सफल हुआ। जिलाधिकारी रविद्र कुमार मांदड सहित मुख्य विकास अधिकारी साई तेजा सीलम ने कहा कि जौनपुर की इमरती की इमरती का जीआइ पंजीकरण होना गौरव की बात है। सार्थक परिणाम के बाद अब प्रशासन की कोशिश है कि यहां कि मक्के के साथ ही मूली को भी अलग पहचान मिले। जनपद में जहां मक्के की पैदावार अधिक होती है वहीं मूली से बी जिले की पहचान अलग है। साथ ही यहां के इत्र का भी खास पहचान रही है। ऐसे में अब इन उत्पादों का भी जीआई पंजीकरण के लिए कवायद शुरु की जाएगी।
काशी क्षेत्र के इन उत्पादकों को GI टैग
शनिवार को बनारस की ठंडई, शहनाई और तबला के साथ-साथ लाल पेड़ा, बनारस ब्रोकेड्स और साड़ी, बनारसी लंगड़ा आम, हैंडमेड कारपेट ऑफ भदोही, रामनगरी भंटा, बनारसी गुलाबी मीनाकारी, बनारसी पान, वाराणसी वुडेन लेकरवियर एंड ट्वायज, आदमचीनी चावल, मिर्जापुर की हैंडमेड दरी, वाराणसी ग्लास बीड्स, निजामाबाद का ब्लैक पाटरी, मऊ साड़ी, बनारस का मेटल रिपोजी क्राफ्ट, गोरखपुर का टेराकोटा, गाजीपुर की वाल हैंगिंग, बनारसी ठंडई, वाराणसी साफ्ट स्टोन जाली वर्क, बनारसी तबला, चुनार का बलुआ पत्थर, बनारसी शहनाई, बनारस का लाल भरवा मिर्च, वाराणसी वुड कार्निंग।अब बनारस के साथ-साथ यूपी, देश में सबसे ज्यादा GI उत्पाद वाला राज्य बन गया है। बनारस में जहां सबसे अधिक 32 उत्पादक जीआई हो गए हैं, तो राज्य में संख्या 69 तक पहुंच गई है।
क्या होता है GI टैग?
जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है। दूसरा कोई नकल या अनुकरण नहीं कर सकता है। इसकी वैधता 10 साल के लिए होती है। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार मादड़ ने कहा कि जौनपुर की इमरती का जीआई का पंजीयन होने से देश विदेश में नई पहचान मिलेगी जो जनपदवासियो के लिये गर्व की बात है। सीडीओ तेजा सीलम सांई ने बताया कि यहां के उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध कराकर नए बाजार स्थापित होंगे। उपायुक्त उद्योग हर्ष प्रताप सिंह ने कहा कि जौनपुर के मशहूर मूली एवं मक्का के साथ जौनपुर इत्र के जीआई पंजीयन की प्रकिया शीध्र शुरू की जाएगी। पिछले दिनों आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इमरती की तारीफ मंच से की थी। खुद पूर्व पीएम चन्द्रशेखर भी इमरती को काफी पंसद करते थे।
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