Jharkhand News: दि‍ल दहला देने वाली वारदात, महिला ने अंधविश्वास में बच्ची की बलि देकर कलेजा खाया

सांकेतिक फोटो

पलामू, बीएनएम न्‍यूज : Jharkhand News:  झारखंड के पलामू जिला में काला जादू के नाम पर एक दिल दहला देने वाली घटना घटी है। एक मां अपनी ही बेटी की बलि चढ़ा दी। इसके बाद चाकू से उसका कलेजा निकालकर खाया। हुसैनाबाद थाना की पुलिस ने खराड़ गांव से आरोपित महिला गीता देवी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यह घटना वाकई दिल दहला देने वाली है और समाज में फैले अंधविश्वास तथा काले जादू जैसी प्रथाओं के खतरों को उजागर करती है। यह बेहद दुखद और भयावह स्थिति है कि ऐसी मान्यताएं आज भी लोगों को इस हद तक प्रभावित कर सकती हैं कि वे इस प्रकार की अमानवीय और हिंसक हरकतें करने पर उतारू हो जाएं।

गला काटकर बच्ची की बलि दे दी

जानकारी के अनुसार, महिला गीता देवी मंगलवार सुबह अपनी सास से जपला बाजार जाने की बात कह घर से निकली। साथ में डेढ़ वर्ष की बेटी परी कुमारी को ले गई। जपला बाजार से उसने चूड़ी, कपड़ा तथा पूजन की अन्य सामग्री की खरीदारी की। इसके बाद वापस आ गई। शाम होने पर वह अपने घर से लगभग दो किलोमीटर दूर सिकनी बरवाढोड़ा जंगल के पास सुनसान जगह पर बेटी के साथ पहुंची। यहां उसने तंत्र-मंत्र शुरू किया। बच्ची को नग्न करने के बाद स्वयं नग्न हो गई। चूड़ी, वस्त्र तथा अन्य सामग्री से पूजा की। पूजा के बाद वह कुछ देर तक वहां नाची। इसके बाद चाकू से गला काटकर बच्ची की बलि दे दी। फिर चाकू से बच्ची के शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिए। बच्ची कलेजा निकालकर वहीं बैठकर खाया। फिर शव को मिट्टी में दफन कर नग्न अवस्था में ही घर पहुंच गई।

परी की हत्या कर देने की बात कबूली

आसपास के लोगों ने उसे नग्न अवस्था में देख स्वजन को सूचना दी। उसका पति दिल्ली में काम करता है। गीता की सास कौशल्या देवी उसे इस हालत में देख अवाक रह गई। सास कौशल्या ने बच्ची के बारे में पूछा। उसने परी की हत्या कर देने की बात कबूली। गांव वालों ने पुलिस को सूचना दी। बुधवार को गांव पहुंचकर पुलिस उसे गिरफ्तार कर घटनास्थल लेकर पहुंची। नग्न अवस्था में बच्ची की कटी लाश बरामद की गई।

अंधविश्वास में अपना आपा खोया

थाना प्रभारी संजय कुमार यादव ने बताया कि महिला ने अंधविश्वास में अपना आपा खो दिया था। पूछताछ करने पर उसने बताया कि वह डायन-बिसाही (काला-जादू) सीख रही थी। उसे स्वप्न आ रहा था कि मंत्र सिद्धि में उसके पति या संतान की बलि देनी होगी। इसके बाद बच्ची की बलि दी।

समाज में जागरूकता और शिक्षा की कमी

इस प्रकार के अंधविश्वासों और टोने-टोटकों पर विश्वास करने की प्रवृत्ति समाज में जागरूकता और शिक्षा की कमी को दर्शाती है। ऐसी घटनाएं यह भी इंगित करती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सहायता की जरूरत कितनी महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जो मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं या भय और भ्रम की स्थिति में हैं।

प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। इसके लिए शिक्षा और सामाजिक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है, जो लोगों को अंधविश्वास और काले जादू के खतरों के प्रति सचेत करें और उन्हें उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करें।

 

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