जस्टिस संजीव खन्ना बनेंगे देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश, सीजेआइ चंद्रचूड़ ने की उनके नाम की सिफारिश

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़) ने अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत उन्होंने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना का नाम केंद्र सरकार को प्रस्तावित किया है। जस्टिस संजीव खन्ना, जो सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठतम जजों में दूसरे स्थान पर हैं, 11 नवंबर 2024 को मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे। यह निर्णय तब आया है जब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना का करियर और न्यायिक योगदान

 

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था और उनकी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर से हुई। उन्होंने अपनी कानूनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति प्राप्त की। इसके एक साल बाद, 2006 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। अपनी निष्पक्ष और दृढ़ न्यायिक दृष्टिकोण के चलते, जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में अपना एक मजबूत स्थान बनाया। 18 जनवरी 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त होगा, यानी वे लगभग छह महीने से कुछ अधिक समय तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा करेंगे। इस छोटे से कार्यकाल के बावजूद, उनके अनुभव और न्यायिक दूरदर्शिता ने उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाया है।

प्रमुख निर्णय और उनकी न्यायिक दृष्टि

 

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस संजीव खन्ना ने कई महत्वपूर्ण फैसलों में हिस्सा लिया। इनमें सबसे उल्लेखनीय फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग को लेकर था। जस्टिस खन्ना ने इस फैसले में यह स्थापित किया कि ईवीएम एक सुरक्षित उपकरण है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। यह निर्णय चुनावों में बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान की संभावनाओं को समाप्त करता है और लोकतांत्रिक प्रणाली में भरोसा बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम था।

इसके अलावा, जस्टिस खन्ना उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा भी थे, जिसने राजनीतिक दलों को वित्त पोषण देने वाली चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित किया था। इस फैसले ने राजनीति में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जस्टिस खन्ना ने एक और महत्वपूर्ण फैसले में केंद्र सरकार के 2019 के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था। इस फैसले ने जम्मू और कश्मीर के संविधानिक ढांचे में बदलाव की पुष्टि की और इस मसले पर उनका दृष्टिकोण राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता को प्राथमिकता देने वाला था।

जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति के मायने

 

जस्टिस खन्ना की नियुक्ति को भारत की न्यायिक प्रणाली में स्थिरता और निरंतरता बनाए रखने के रूप में देखा जा रहा है। उनके उल्लेखनीय फैसले और कानूनी दृष्टिकोण उन्हें एक सुलझे हुए और दूरदर्शी न्यायाधीश के रूप में स्थापित करते हैं। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल भले ही छोटा होगा, लेकिन उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से कई अहम फैसले आने की उम्मीद है।

जस्टिस खन्ना की नियुक्ति को न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने कई मामलों में सरकार की नीतियों के खिलाफ भी फैसले दिए हैं। उनकी न्यायिक प्रतिबद्धता और कानूनी निष्पक्षता भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की विदाई

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं और न्यायपालिका में सुधार के प्रयास किए हैं। उनका कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में कई उपलब्धियों से भरा रहा है, और उनकी जगह जस्टिस खन्ना का आना एक स्थिर नेतृत्व की ओर इशारा करता है।

जस्टिस संजीव खन्ना का सुप्रीम कोर्ट के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। उनकी कानूनी विशेषज्ञता, न्यायिक निष्पक्षता और दूरदर्शिता के चलते यह उम्मीद की जा रही है कि उनके नेतृत्व में सर्वोच्च न्यायालय महत्वपूर्ण फैसले करेगा। अब सभी की नजरें उनके आने वाले कार्यकाल पर हैं, जो भारतीय न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक और कदम हो सकता है।

 

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