Kaithal New: देश के 253 शहरों में कैथल की हवा सबसे ज्यादा खराब, जानें क्या है कारण

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कई शहरों की वायु गुणवत्ता तेजी से बिगड़ रही है, विशेष रूप से दिल्ली के समीपवर्ती क्षेत्रों में। शुक्रवार को देश के 253 शहरों में कैथल की हवा सबसे अधिक खराब पाई गई, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 320 तक पहुंच गया। पराली जलाने के मामलों में वृद्धि इसका मुख्य कारण है। कैथल में पराली जलाने के 117 मामले दर्ज हुए, जिसके कारण दिन के समय वहां का AQI 400 से भी अधिक हो गया था। इसके अलावा, हरियाणा के अन्य शहरों जैसे पानीपत, यमुनानगर, बहादुरगढ़, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है, जहां AQI 200 से अधिक दर्ज किया गया है।

वायु प्रदूषण बढ़ने के कई कारण हैं। पराली जलाने के साथ-साथ तेजी से हो रहे निर्माण कार्य, वाहनों से निकलने वाला धुआं, उद्योगों से उत्सर्जित प्रदूषण और खनन गतिविधियां भी वायु गुणवत्ता में गिरावट के लिए जिम्मेदार मानी जा रही हैं। प्रशासन द्वारा पराली जलाने पर जुर्माने लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद मामलों में कोई खास कमी नहीं आई है।

मौसम की स्थिति और प्रदूषण का प्रभाव

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अगले आठ से दस दिनों तक प्रदेश में न तो बारिश की संभावना है और न ही तेज हवा चलने के आसार हैं। विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में प्रदूषण लंबे समय तक बना रह सकता है। अगर मौसम शुष्क रहता है और हवा की गति धीमी रहती है, तो प्रदूषण हटने की संभावना कम है, जिससे वायु गुणवत्ता और बिगड़ सकती है।

दीपावली के बाद स्थिति और गंभीर होने की आशंका

वायु प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका तो है ही, लेकिन आने वाले दिनों में दीपावली के त्योहार के दौरान पटाखों से भी प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है। यदि स्थिति यूं ही बनी रही, तो लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। बच्चों, बुजुर्गों और श्वास संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि ऐसे लोग अत्यधिक प्रदूषित हवा में बाहर निकलने से बचें।

निर्माण कार्य और प्रदूषण में बढ़ोतरी

हरियाणा के कई शहरों में हाल ही में विकास कार्य तेज हो गए हैं, जिससे निर्माण स्थलों पर उड़ती धूल-मिट्टी ने भी प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा दिया है। आचार संहिता के कारण रुके हुए कार्यों की शुरुआत के साथ धूल के कणों का वायुमंडल में फैलाव तेजी से हुआ है, जिससे AQI और खराब हो गया है।

प्रमुख शहरों का AQI स्तर

कैथल के अलावा सोनीपत, पानीपत, यमुनानगर, बहादुरगढ़ और फरीदाबाद जैसे शहरों में AQI 200 से अधिक दर्ज किया गया है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। कुछ शहरों जैसे नारनौल और सिरसा में AQI अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है, लेकिन प्रदेश के अधिकांश प्रमुख शहरों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्रदूषित हवा का सबसे बुरा प्रभाव सांस के मरीजों पर पड़ रहा है। प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी रोगों से पीड़ित लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है, जिससे आम जनता को सावधान रहने और प्रदूषण से बचने के उपाय करने की सलाह दी जा रही है।

प्रदूषण से निपटने के उपाय

फिलहाल, प्रदूषण से राहत केवल मौसम में बदलाव या तेज हवा चलने से मिल सकती है। प्रशासन द्वारा प्रदूषण कम करने के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन इसका प्रभाव अब तक बहुत अधिक नहीं देखा गया है। जरूरत है कि पराली जलाने पर सख्त नियंत्रण लगाया जाए, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए जाएं, और वाहनों तथा उद्योगों से निकलने वाले धुएं पर कड़ी निगरानी रखी जाए। इस तरह के प्रदूषण की स्थिति में सभी को अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि इस संकट से सुरक्षित निकल सकें।

जिला : एक्यूआइ

कैथल : 320
सोनीपत : 246
पानीपत : 283
यमुनागनर : 216
अंबाला : 145
बहादुरगढ़ : 272
बल्लभगढ़ : 193
भिवानी : 170
चरखी दादरी : 186
फरीदाबाद : 242
फतेहाबाद : 195
गुरुग्राम : 204
हिसार : 160
जींद : 201
करनाल : 159
कुरुक्षेत्र : 172
मानेसर : 191
नारनौल : 80
पलवल : 132
रोहतक : 112
सिरसा : 80

 

VIEW WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

 

 

 

You may have missed