कैथल में किसान ने दो एकड़ में लगी गोभी की फसल पर चलाया ट्रैक्टर, मंडी में रेट मिला 1 रुपए से भी कम
नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के प्रभावत गांव में एक किसान ने अपनी दो एकड़ गोभी की फसल को नष्ट कर दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी मेहनत बेकार हो गई है। ऐसे हालात ने किसान कुलदीप सिंह और हरविंद्र सिंह को इस कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
किसान की मेहनत पर पानी फिरा
किसान कुलदीप सिंह ने 31 जनवरी को एक एकड़ गोभी की फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर दिया, जबकि दूसरे एकड़ की फसल को नष्ट करने का काम उन्होंने एक फरवरी को किया। किसान की यह कार्रवाई इसलिए थी क्योंकि उन्हें अपनी फसल के लिए मंडियों में उचित मूल्य नहीं मिला। वे पहले से ही लागत के भारी संकट का सामना कर रहे थे और ऐसे में जब फसलों के दाम लागत से भी कम मिल रहे थे, तो उनके लिए फसल को नष्ट करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा।
लागत की कमी
किसानों ने बताया कि उन्होंने गोभी की फसल लगाने का निर्णय इसलिए लिया था क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि इस बार फसल से उन्हें अच्छे दाम मिलेंगे और इससे मुनाफा होगा। लेकिन जब फसल तैयार हो गई और मंडियों में बिकी, तो उन्हें सिर्फ नुकसान ही हुआ। प्रति एकड़ गोभी की फसल तैयार करने के लिए उन्होंने करीब 50 हजार रुपये खर्च किए थे। लेकिन मंडी में उन्हें फसल के लिए एक रुपये का भी उचित दाम नहीं मिला। वहां पर 30 किलो गोभी के थैले का दाम केवल 20 रुपये था, जो बिल्कुल अनसुना था।
दिहाड़ी मजदूरी का भाड़ा और परिवहन की समस्याएं
किसान बताते हैं कि फसल तैयार करने के लिए जितनी मेहनत और लागत आई, उस पर भी उन्हें मजदूरी देने और फसल को मंडी तक पहुंचाने के लिए वाहन और ईंधन के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ा। मजदूरों को तुड़ाई का काम करने के लिए पैसे देने पड़ते हैं, बाद में फसल को मंडी तक पहुँचाने का खर्च उठाना पड़ता है। जब मंडी में जाकर सही दाम नहीं मिलता, तो यह स्थिति वास्तव में किसान के लिए एक निराशाजनक दृष्टिकोण बन जाती है।
उचित मूल्य का निर्धारण जरूरी
कुलदीप सिंह और हरविंद्र सिंह ने मीडिया से बात करते हुए यह उधृत किया कि किसानों को सरकार की तरफ से गेहूं और धान की फसल की तुलना में सब्जियों की फसल उगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। लेकिन जब फसल तैयार हो जाती है, तो सही दाम नहीं मिलने के कारण उनका सार्थक होना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि किसानों के समर्थन में उचित मूल्य निर्धारित किया जाए ताकि वे अपने उत्पादन को सही दामों पर बेच सकें।
खेती में बढ़ते घाटे के कारण
प्रदेश के ऐसे कई किसान हैं जो खेती से एक प्रमुख आजीविका के रूप में जी रहे हैं। हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र में कई समस्याएं आई हैं, जिनमें असामान्य मौसम, कीटों का हमला और उचित बाजार मूल्य की कमी शामिल हैं। इसके कारण किसानों को फसल उगाने में परेशानी हो रही है और उन्हें आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
किसानों ने कहा कि विकास के नाम पर सरकारें अक्सर कृषि की उपेक्षा करती हैं और केवल गिनती के लिए योजनाएं बनाती हैं। जब तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक किसान इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करते रहेंगे।
जीविका के साधनों का संकट
किसानों का यह कदम केवल उनकी व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के कृषि क्षेत्र की चिंता का विषय है। यदि किसान इस तरह से फसल नष्ट करने पर मजबूर होते हैं, तो यह कृषि का संकट उत्पन्न करेगा। कृषि में न केवल खाद्य सुरक्षा का मुद्दा है, बल्कि यह लाखों लोगों का रोजगार भी है।
समाधान के उपाय
सरकार को चाहिए कि वह कृषि आधारित योजनाओं में सुधार करें ताकि किसानों को सही मूल्य मिल सके। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को प्रभावी ढंग से लागू करने, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और कृषि उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और किसानों के लिए फसल बीमा योजनाओं को गंभीरता से लागू करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को फसलों के उचित दाम मिले, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।
गरीब किसान यदि अपनी फसल ठेके पर देने से मजबूर हो रहे हैं, तो इससे ना केवल उनके जीवन में मुश्किलें आएंगी बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। इसलिए जरूरी है कि किसानों की बात को पूरे देश सुनें और उनके हक में ठोस चुनाव करें।
सही मूल्य की जरूरत
हरियाणा के कैथल में हुए इस घटना से स्पष्ट है कि यदि किसानों को खुद को बचाना है, तो उन्हें सही मूल्य की जरूरत है और इसके लिए आवाज उठाने का समय आ गया है। हमें उम्मीद है कि सरकार अब इस गंभीर स्थिति को स्पष्टता से देखेगी और उचित कार्यवाही करेगी।
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