Kaithal News: कैथल में डीसी कॉलोनी की नीलामी रद्द, विपक्षी दलों के आरोपों के चलते सहकारिता विभाग की कार्रवाई

आप कार्यालय में पहुंचे सोसाइटी सदस्य व पार्टी नेता!
नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में डीसी कॉलोनी आवासीय सहकारी गृह निर्माण सोसाइटी की भूमि की नीलामी पर विवाद उठ खड़ा हुआ है। विपक्षी दलों, विशेष रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के पदाधिकारियों ने नीलामी प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाते हुए इसे निष्प्रभावित करने की मांग की। इसके चलते, सहकारिता विभाग करनाल के संयुक्त रजिस्ट्रार ने नीलामी को रद्द करने की पुष्टि की है। यह भूमि 31 कनाल 19 मरला है, जिसकी बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई थी, जबकि इसे मात्र 12.5 करोड़ रुपये में बेचने का प्रयास किया जा रहा था।
भूमि नीलामी का विवाद
नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने पर विपक्षी दलों ने संदेह व्यक्त किया कि इसमें पारदर्शिता का अभाव है। आम आदमी पार्टी और जजपा ने आरोप लगाया कि भाजपा के स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस भूमि को कौड़ियों के भाव में बेचा जा रहा है। इन आरोपों के बाद, इन दलों ने प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा जिसमें नीलामी की प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की गई।
चौकाने वाली बात यह थी कि नीलामी की तिथि 19 मार्च को रखी गई थी, जिसमें कई दावेदारों को बोलने से रोका गया। इसके विरोध में, सोसाइटी के सदस्यों ने भी प्रेस वार्ता की, जिसमें उन्होंने अपनी चिंताओं को साझा किया।
अनियमितताओं की जांच
संयुक्त रजिस्ट्रार द्वारा की गई जांच में पाया गया कि नीलामी प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं थी। प्रशासन को थोड़ी समय में यह समझ में आया कि इस नीलामी में गड़बड़ियों का होना निरंतर आरोपों का मुख्य कारण बनता गया। इसके बाद, सहकारिता विभाग ने आगे बढ़ते हुए नीलामी को रद्द करने का आदेश दिया।
इस मामले में मुख्यमंत्री, वित्तायुक्त, राजस्व एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव, सहकारिता विभाग, उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, कुरुक्षेत्र, उपायुक्त कैथल और असिस्टेंट रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसाइटी कैथल को भी सूचना भेजी गई है। यह कदम इस बात का संकेत है कि प्रशासन समाज के हित में निर्णय लेने के लिए तत्पर है।
विपक्ष का दृष्टिकोण
आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष जगमग मटौर ने कहा कि भूमि की नीलामी औने-पौने दाम पर की जा रही थी और यह पूरी प्रक्रिया विवादास्पद बनी हुई थी। उनकी पार्टी ने इस मुद्दे पर जन जागरूकता फैलाने का काम किया था। मटौर के अनुसार, “इस जमीन को बचाने में आम आदमी पार्टी की सक्रियता ने बहुत बड़ा भूमिका निभाई है। हम हमेशा से पारदर्शिता की मांग करते आए हैं और इस बार भी इसे सुनिश्चित करने का प्रयास किया।”
वहीं, AAP नेता सतबीर गोयत ने भी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि अधिकारी अपने कार्य में लापरवाह रहते हैं, तो उन्हें जिम्मेदार ठहराना जरूरी है।
प्रशासन का पक्ष
इस मामले में डीसी प्रीति का कहना है कि नीलामी से संबंधित बैठक ऑनलाइन कांफ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई थी, जिसमें सभी समितियों के अधिकारी शामिल हुए थे। उन्होंने जोर दिया कि प्रशासन की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के अनुसार थी। प्रीति ने कहा, “सरकार का निर्णय अंतिम है और हम सभी नियमों का पालन करते हुए कार्य कर रहे हैं।”
आश्चर्य की बात यह है कि प्रशासन ने नीलामी को रोकने के कदम उठाने के बजाय पहले से निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण किया। यह स्थिति प्रशासन की शक्ति और निर्णय लेने की प्रक्रिया को दर्शाती है।
पारदर्शिता की आवश्यकता
इस नीलामी विवाद ने न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे भूमि और संपत्ति के मामलों में राजनीतिक दलों की सक्रियता रहती है। आम आदमी पार्टी और जजपा द्वारा उठाए गए सवालों ने प्रशासन को तरोताजा किया है और इस मामले में पारदर्शिता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
भविष्य में यदि इस तरह के मामलों में आवश्यक पारदर्शिता और न्यायलय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो इससे प्रशासन की छवि प्रभावित हो सकती है। ऐसे में, कैथल की भूमि नीलामी का यह मामला स्थानीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा, जो पारदर्शिता और प्रशासनिक जिम्मेदारी की आवश्यकता को प्रकट करेगा।
उम्मीद है कि इस निर्णय के बाद भविष्य में ऐसी घटनाएं कम होंगी और आम जनता का विश्वास प्रशासन और राजनीतिक दलों पर बना रहेगा।