Kaithal News: कैथल में पराली जलाने पर 10 किसानों पर केस दर्ज, प्रदूषण का स्तर 350 के पार

नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में पराली जलाने के मामले में प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जिले में शनिवार शाम तक 10 किसानों के खिलाफ पराली जलाने पर एफआईआर दर्ज की गई है। इन मामलों में पूंडरी क्षेत्र के पांच, कैथल क्षेत्र के एक, और सीवन क्षेत्र के चार किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसके साथ ही, वायु प्रदूषण का स्तर भी लगातार गंभीर बना हुआ है। शनिवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 के पार पहुंच गया, जबकि सुबह के समय यह 374 तक रिकॉर्ड किया गया, जो खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।

सरकार के आदेश पर सख्ती से कार्रवाई

कैथल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश कालिया ने जानकारी दी कि सरकार के निर्देशों के तहत सभी पुलिस थानों और चौकी प्रभारियों को किसानों को पराली जलाने से रोकने और उन्हें जागरूक करने के सख्त आदेश दिए गए हैं। पुलिस विभाग की ओर से किसानों को लगातार समझाया जा रहा है कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।

कृषि विभाग से अगर कोई शिकायत आती है, तो उसके आधार पर पुलिस तुरंत कार्रवाई कर रही है और संबंधित किसान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है। इसी क्रम में, कृषि विभाग ने 10 किसानों की पहचान की, जिन्होंने हाल ही में अपने खेतों में पराली जलाई थी।

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पराली जलाने पर जुर्माना और सख्त सज़ा

 

कैथल में पराली जलाने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए, कृषि विभाग ने अब तक 2 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है। विभाग ने 12 किसानों की पहचान की है, जिन्होंने पराली जलाने की घटना को अंजाम दिया था और अब इन किसानों की धान की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीदा जाएगा।

अधिकारियों का कहना है कि अब जिला प्रशासन और कृषि विभाग इस मुद्दे पर और सख्त हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों के बाद, जिला प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर सीधा एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

कृषि विभाग ने गांव स्तर पर पराली जलाने के मामलों को रोकने के लिए लापरवाही बरतने वाले आठ कर्मियों को नोटिस जारी किया है। इससे पहले भी पांच कर्मियों को नोटिस जारी किया जा चुका है। इस कड़ी कार्रवाई के बावजूद, जिले में अब तक 123 पराली जलाने के मामले सामने आ चुके हैं।

किसानों के लिए वैकल्पिक समाधान

 

पराली जलाने की समस्या का समाधान खोजने के लिए, कृषि विभाग लगातार किसानों को पराली के उचित प्रबंधन के लिए जागरूक कर रहा है। विभाग का सुझाव है कि किसान पराली को खेत में ही नष्ट कर खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, या फिर उनके गट्ठे बनाकर खरीद केंद्रों पर बेच सकते हैं। इस तरह न केवल उन्हें अतिरिक्त आमदनी होगी, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकेंगे।

कृषि उप निदेशक बाबू लाल ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों की जानकारी “मेरी फसल मेरा ब्योरा” पोर्टल पर दर्ज की जाएगी, जिससे उन किसानों की धान और गेहूं की फसल अगले दो सीजन तक नहीं बिक सकेगी। यह सख्त कदम किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया है।

प्रदूषण का खतरनाक स्तर

 

कैथल जिले में प्रदूषण का स्तर अब खतरे के निशान को पार कर चुका है। शनिवार को एक्यूआई 350 के पार चला गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। सुबह के समय एक्यूआई 374 तक पहुंच गया था, जो खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोगियों के लिए अत्यंत खतरनाक है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस स्थिति में बाहर निकलने से बचें और स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतें।

सरकार द्वारा रियायती दरों पर उपलब्ध कृषि यंत्र

सरकार ने किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए रियायती दरों पर कई कृषि यंत्र उपलब्ध कराए हैं, जिनमें सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, और मल्चर जैसे उपकरण शामिल हैं। इन उपकरणों की मदद से किसान पराली को जलाने के बजाय उसे खेत में ही नष्ट कर सकते हैं, जो मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाता है और प्रदूषण को कम करता है।

हालांकि, किसानों को ये यंत्र खरीदने के लिए आर्थिक सहायता और जागरूकता दी गई है, फिर भी कुछ किसान अब भी पराली जलाने की पुरानी प्रथा को जारी रखे हुए हैं। कृषि विभाग और प्रशासन द्वारा लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि किसानों को इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी दी जाए और उन्हें पराली जलाने के खतरों के बारे में सचेत किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

पराली जलाने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पराली जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय समस्याएं पैदा करता है। कोर्ट के आदेशों के बाद, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य सरकारें अब इस मुद्दे पर सख्ती बरत रही हैं।

पराली जलाने की समस्या कैथल जिले सहित हरियाणा और पंजाब के अन्य हिस्सों में भी गंभीर रूप से बनी हुई है। सरकार और प्रशासन द्वारा किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है, लेकिन अब भी कुछ किसान इस पुराने और हानिकारक तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सरकार द्वारा रियायती दरों पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने और पराली प्रबंधन के अन्य विकल्पों के बावजूद, किसानों द्वारा पराली जलाना जारी है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो रहा है।

अब जिला प्रशासन ने पराली जलाने वालों पर सख्ती से कार्रवाई करने का फैसला किया है, और एफआईआर के साथ-साथ जुर्माना और “मेरी फसल मेरा ब्योरा” पोर्टल पर रेड एंट्री जैसे कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को चाहिए कि वे जागरूक हों और पराली जलाने से बचें, ताकि पर्यावरण की सुरक्षा हो सके और उनकी फसल का नुकसान न हो।

 

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