Kaithal News: कैथल के महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बर्खास्तगी से उठा विवाद, धरना दे रहे पांच शिक्षकों को नौकरी से हटाया

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में पांच शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद विवाद गहराता जा रहा है। यह सभी शिक्षक आधुनिक विषयों जैसे हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास और राजनीति विज्ञान को पढ़ा रहे थे। बर्खास्त किए गए शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अनुबंध और पार्ट-टाइम आधार पर रखा गया था और उनके साथ अनुचित व्यवहार किया गया है।

धरने पर बैठे शिक्षक, विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप

हटाए गए शिक्षकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ धरना शुरू कर दिया है। इन शिक्षकों में डॉ. मनोज कुमार (अनुबंधित शिक्षक) और डॉ. ओमबीर, डॉ. सुमन, जसबीर सिंह और पूनम (पार्ट-टाइम शिक्षक) शामिल हैं। उनका कहना है कि उनकी मुख्य मांग यह है कि शास्त्री पाठ्यक्रम में हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों को फिर से शामिल किया जाए। शिक्षकों का आरोप है कि उनके धरने को दबाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनका परिसर में प्रवेश बंद कर दिया है। जब शिक्षकों ने सुरक्षा कर्मियों से लिखित आदेश मांगा, तो उन्हें मौखिक आदेश का हवाला दिया गया।

शिक्षकों का पक्ष

धरना दे रहे शिक्षकों का कहना है कि शांतिपूर्ण विरोध करना उनका अधिकार है। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया कि बिना ठोस कारण और लिखित आदेश के उनका प्रवेश कैसे रोका जा सकता है। शिक्षकों ने कुलपति को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

एक शिक्षक ने कहा, “हमारा विरोध शांतिपूर्ण है, लेकिन अगर प्रशासन हमारी मांगों को अनसुना करता रहा, तो हमें कठोर निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा।”

विश्वविद्यालय प्रशासन का जवाब

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेशचंद्र भारद्वाज ने शिक्षकों की बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए कहा, “यह शिक्षक अनुबंध और पार्ट-टाइम आधार पर रखे गए थे। सेमेस्टर समाप्त हो चुका है, इसलिए इनकी सेवाओं की अब आवश्यकता नहीं है। भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर नई भर्ती प्रक्रिया के तहत शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा।”

शास्त्री पाठ्यक्रम से हटाए गए विषयों पर विवाद

 

शिक्षकों और छात्रों का मानना है कि आधुनिक विषयों को शास्त्री पाठ्यक्रम से हटाने का निर्णय शिक्षा के समग्र विकास में बाधा उत्पन्न करेगा। उनका तर्क है कि संस्कृत विश्वविद्यालयों में भी आधुनिक विषयों की पढ़ाई महत्वपूर्ण है, ताकि छात्रों को बेहतर करियर विकल्प मिल सकें।

प्रमुख मांगें

 

हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास और राजनीति विज्ञान को शास्त्री पाठ्यक्रम में पुनः शामिल किया जाए।
हटाए गए शिक्षकों को फिर से बहाल किया जाए।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए।

अधिकारी और प्रशासन के बीच बढ़ता तनाव

शिक्षकों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच यह टकराव शिक्षा जगत के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या आधुनिक विषयों को संस्कृत शिक्षा में शामिल करना आवश्यक नहीं है? क्या अनुबंध और पार्ट-टाइम शिक्षकों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है?

संभावित समाधान और अगला कदम

यदि दोनों पक्ष समय रहते संवाद नहीं करते हैं, तो यह मामला और अधिक गंभीर हो सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह शिक्षकों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का समाधान निकाले। वहीं, शिक्षकों को भी अपने विरोध को शांतिपूर्ण ढंग से जारी रखना चाहिए।

यह मामला न केवल शिक्षकों के अधिकारों, बल्कि शिक्षा के आधुनिक और पारंपरिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है।

 

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