Kaithal News: कलायत में किसान के खेत में विवाद: आढ़ती और परिवार के बीच सामने आया फसाद

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में स्थित कलायत कस्बा इन दिनों एक गंभीर विवाद का साक्षी बन रहा है। यहां के लांबा खेड़ी गांव में एक किसान राजेंद्र अपने खेत में गेहूं की फसल काटने के प्रयास में थे, जब पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया। इस विवाद ने स्थानीय समुदाय में हलचल मचा दी है और इसके पीछे की कहानी उतनी सरल नहीं है जितनी पहले नजर आती है।

विवाद का कारण

राजेंद्र के परिजनों का दावा है कि कलायत मंडी का आढ़ती सुरेंद्र ने उनकी जमीन को धोखे से अपने नाम करवा लिया है। यह आरोप इस बात पर आधारित है कि सुरेंद्र ने राजेंद्र की जमीन की खरीद-फरोख्त की जो कि अधूरी और संदेहास्पद है। राजेंद्र का भाई प्रीतम इस मामले में सक्रियता से सामने आया है और उसने बताया कि उनके भाई को शराब पीने की लत है, जिसके कारण उन पर गलत निर्णय लेने का आरोप लगाया जा रहा है।

कानूनी दस्तावेजों का अभाव

प्रीतम ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस के पास इस जमीन की खरीद-फरोख्त का कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि न तो कोई बैंक द्वारा भुगतान का प्रमाण है और न ही कोई नगद लेनदेन का सबूत है। यह स्पष्ट है कि सुरेंद्र द्वारा किया गया यह लेन-देन पूरी तरह से कानूनी रूप से संदिग्ध है।

खेत में विवाद

इस विवादित जमीन पर राजेंद्र अभी भी खेती कर रहा है और वहां की फसल काटने हेतु कंबाइन मशीन का उपयोग कर रहा था। जब पुलिस ने कंबाइन को रोका, तो किसान और उनके परिजन पुलिस के साथ बहस करते हुए दिखाई दिए। यह न केवल एक खेत के विवाद का मामला है, बल्कि यह किसानों की स्वतंता और उनके अधिकारों का भी मामला है।

पुलिस की भूमिका

पुलिस अधिकारी यह कहते नजर आए कि उनके पास इस मामले के संबंधित डॉक्यूमेंट नहीं हैं। उनका कहना था कि सभी दस्तावेज थाने में रखे हुए हैं और बिना दस्तावेज के किसान को अपने खेत की फसल काटने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है क्योंकि किसान परिवार अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।

स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

लांबा खेड़ी गांव के स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर चिंता जताई है। कई लोग इस विचार को साझा कर रहे हैं कि अगर सुरेंद्र ने वास्तव में राजेंद्र की जमीन को अपने नाम करवा लिया है तो यह न केवल एक निर्दोष किसान के अधिकारों का उल्लंघन है बल्कि पूरे गांव के लिए खतरे की घंटी भी है।

किसान का अधिकार

भारत में किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून हैं लेकिन इन अधिकारों का उल्लंघन कभी-कभी ऐसे मामलों में दिखाई देता है। राजेंद्र का यह केस इसका एक उदाहरण है। किसानों को अपने अधिकारों के लिए हमेशा जागरूक रहना चाहिए और ऐसे मामलों में कानूनी मदद लेना चाहिए।

अधिकारों का उल्लंघन

फसल काटने की इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या हमारी पुलिस और न्याय प्रणाली किसानों के अधिकारों की रक्षा कर रही है? क्या वे उन इलाकों में किसानों की ओर से खड़े हो सकते हैं जहां उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?

राजेंद्र और उसके परिवार का संघर्ष केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि सभी किसानों के लिए एक उदाहरण है उन लोगों के खिलाफ जो स्वार्थी लाभ के लिए दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। प्रशासन को ऐसे सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि किसानों को न्याय मिल सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके। जागरूकता के माध्यम से लांबा खेड़ी गांव के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हो सकते हैं। यह केवल एक किसान का मुद्दा नहीं है बल्कि यह सभी किसानों और उनके अधिकारों का मामला है।

 

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