Kaithal News: जिला प्रशासन ने बाल विवाह रुकवाया, अधिकारियों ने किया परिवार को जागरूक
नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल शहर की एक कॉलोनी में जिला प्रशासन और पुलिस ने मिलकर बाल विवाह रोकने का सराहनीय कदम उठाया। बुधवार की रात जब पुलिस को सूचना मिली कि एक 14 वर्षीय किशोरी का विवाह करवाया जा रहा है, तो तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस और बाल विवाह निषेध अधिकारी की टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने न केवल शादी रुकवाई, बल्कि परिवार को इसके कानूनी और सामाजिक दुष्परिणामों के बारे में भी जागरूक किया।
मौके पर पहुंची टीम ने रोकी शादी
शादी के लिए घर में पूरी तैयारियां चल रही थीं। मंडप सज चुका था, दावत के लिए भोजन का इंतजाम हो चुका था, और बारात आने की प्रतीक्षा हो रही थी। इसी बीच, पुलिस और जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी सुनीता शर्मा के नेतृत्व में एक टीम घर पहुंची। उन्होंने तुरंत परिवार से बातचीत शुरू की और लड़की के दस्तावेज मांगे।
आधार कार्ड से हुआ खुलासा
लड़की के घरवालों ने जब दस्तावेज दिखाए, तो आधार कार्ड के अनुसार उसकी उम्र मात्र 14 साल निकली। घर वालों ने इसे “गलत लिखवाने” का तर्क दिया, लेकिन अन्य दस्तावेजों से भी यह स्पष्ट हो गया कि लड़की नाबालिग है। किशोरी के माता-पिता ने शादी करने की बात को सही ठहराने की कोशिश की, लेकिन कानून और उसकी गंभीरता को समझाने के बाद परिवार ने सहमति जताई कि वे शादी रुकवा देंगे।
पुलिस और अधिकारी ने किया जागरूक
टीम ने परिवार को बाल विवाह के खतरों और इसके कानूनी परिणामों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कम उम्र में विवाह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह लड़की के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य के लिए भी हानिकारक है। बाल विवाह से संबंधित कानून, जैसे कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धाराओं को समझाते हुए टीम ने परिवार को सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए, जिसमें लड़की की शादी 18 साल की उम्र के बाद करने का वादा किया गया।
बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कानून
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की या 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह करना या करवाना कानूनन अपराध है। इस कानून की धारा 9 के अनुसार, यदि 18 साल से अधिक का कोई पुरुष बाल विवाह करता है, तो उसे दो साल तक के कठोर कारावास, एक लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
बाल विवाह के दुष्परिणाम
टीम ने परिवार को समझाया कि बाल विवाह लड़की के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से हानिकारक है। कम उम्र में शादी से लड़की के शिक्षा प्राप्त करने के अवसर खत्म हो जाते हैं, और वह जल्दी मातृत्व का बोझ उठाने को मजबूर हो जाती है। इससे न केवल उसका स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि उसके बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
समाज को जागरूक करने की जरूरत
यह घटना न केवल प्रशासन की मुस्तैदी को दर्शाती है, बल्कि समाज में बाल विवाह की प्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को भी उजागर करती है। आज भी ग्रामीण और शहरी इलाकों में बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं जारी हैं। इसके पीछे गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक दबाव जैसे कारण प्रमुख हैं। प्रशासन और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार शिक्षा और अवसर मिलें, न कि जिम्मेदारियों का बोझ।
प्रशासन का सक्रिय कदम
इस घटना में पुलिस और बाल विवाह निषेध अधिकारी की सक्रियता से किशोरी का भविष्य बचा लिया गया। यह कार्रवाई समाज में एक मिसाल बन सकती है कि कानून तोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
सामाजिक जिम्मेदारी
यह केवल कानून लागू करने की बात नहीं है, बल्कि समाज की मानसिकता को बदलने की भी आवश्यकता है। परिवारों को यह समझना होगा कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता से ही बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बन सकता है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि समय पर सही कदम उठाने से बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को रोका जा सकता है। प्रशासन और पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है और इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने की जरूरत है।
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