Kaithal News: डीएपी खाद न मिलने से किसान परेशान, अन्य खाद के नाम पर किसानों से लूट

नरेंद्र सहारण, गुहला-चीका। Kaithal News: गुहला-चीका क्षेत्र में रबी की फसल के लिए डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद की भारी कमी के चलते किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं, सरसों और आलू जैसी प्रमुख रबी फसलों की बुआई के इस महत्वपूर्ण समय में डीएपी की अनुपलब्धता ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों को सुबह से शाम तक सहकारी समितियों और निजी दुकानों पर डीएपी के लिए भटकना पड़ रहा है, लेकिन खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

डीएपी की कमी और मुनाफाखोरों का फायदा

 

डीएपी खाद की कमी के बीच कुछ मुनाफाखोर इसका फायदा उठाने में जुटे हैं। डीएपी के विकल्प के रूप में अन्य नाम की खादों को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि डीएपी के विकल्प में मिलने वाले खाद की गुणवत्ता कम होती है, जिससे फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है।

भारतीय किसान यूनियन के जिला आईटी सेल प्रभारी जरनैल जैली के अनुसार, गुहला-चीका क्षेत्र में लगभग एक लाख 28 हजार एकड़ कृषि योग्य भूमि है, जहां पर रबी की फसल के लिए डीएपी की अत्यंत आवश्यकता होती है। डीएपी खाद की कमी को देखते हुए जैली ने मांग की है कि प्रशासन और सरकार को किसानों की इस जरूरत का ध्यान रखना चाहिए।

किसानों की परेशानी और कृषि विभाग की निष्क्रियता

 

डीएपी की किल्लत से किसानों में नाराजगी बढ़ रही है, लेकिन इस गंभीर समस्या पर कृषि विभाग की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। कृषि विभाग के एसडीओ चीका, डॉ. कंचन कुमारी ने जानकारी दी कि जल्द ही कुछ पैक्स समितियों और निजी दुकानों पर डीएपी की आने की संभावना है, परंतु वे इसके आने की निश्चित तिथि के बारे में कुछ भी कहने में असमर्थ हैं। उनका कहना है कि जैसे ही खाद उपलब्ध होगी, इसे वितरण के लिए भेजा जाएगा, जिससे किसानों को खाद की कमी का सामना न करना पड़े।

किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग की इस उदासीनता के चलते ही खाद की कालाबाजारी बढ़ रही है, जिससे वे मजबूर होकर घटिया खाद ऊंचे दामों में खरीद रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के जिला उपाध्यक्ष केवल सिंह संदहरेडी ने भी बताया कि बाजार में घटिया खाद एनपीके का एक बोरा 1300 रुपये में मिल रहा है, जो न केवल महंगा है, बल्कि गुणवत्ता में भी कमजोर है।

रबी फसल की बुआई पर असर

 

किसान गुरजंट टटियाना ने बताया कि बीते दिनों कुछ डीएपी आई थी, लेकिन वह कुछ ही दिनों में बिक गई, और इसके बाद से सभी सहकारी समितियों पर डीएपी का संकट बरकरार है। दुकानों पर नैनो डीएपी उपलब्ध है, लेकिन किसानों के अनुसार, यह खाद अधिक कारगर नहीं है और इसका उपयोग करने पर उचित उत्पादन मिलने की संभावना कम है। डीएपी खाद की कमी के कारण किसानों को बिना खाद के ही बुआई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे फसल की पैदावार में गिरावट आने की आशंका है।

कृषि विभाग से अपेक्षाएं

किसानों का कहना है कि उनकी आवश्यकताओं की अनदेखी कर उन्हें इस तरह की परेशानी में डालना अनुचित है। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने सरकार और कृषि विभाग से अपील की है कि डीएपी की कमी को जल्द से जल्द दूर किया जाए और साथ ही मुनाफाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि वे किसानों से अन्य खादों के नाम पर ज्यादा पैसे न वसूल सकें।

जरनैल जैली और केवल सिंह संदहरेडी का कहना है कि अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो किसानों की समस्याएं बढ़ेंगी और आने वाले समय में उत्पादन में भी भारी कमी आ सकती है। उन्होंने प्रशासन से यह भी अपील की है कि वह डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित संस्थानों को निर्देश दे ताकि किसानों को उचित कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाला खाद प्राप्त हो सके।

सरकार और प्रशासन का रुख

इस मसले पर प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि खाद की समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है और जल्दी ही इसका समाधान किया जाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि डीएपी की मांग को ध्यान में रखते हुए सभी प्रयास किए जा रहे हैं ताकि जल्द से जल्द डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और किसानों को इस समस्या से राहत मिले।

हालांकि, कृषि विभाग की निष्क्रियता और मौन रवैये से किसान असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि किसानों की इस विकट समस्या पर विभाग को अधिक सक्रियता से काम करना चाहिए, ताकि मुनाफाखोरों पर रोक लगे और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला खाद उचित दामों में मिल सके। गुहला-चीका क्षेत्र में डीएपी की इस कमी का असर न केवल इस क्षेत्र में, बल्कि इससे जुड़े अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। अगर सरकार और प्रशासन इस दिशा में त्वरित कदम नहीं उठाते, तो किसानों को फसल उत्पादन में नुकसान हो सकता है।

इस परिस्थिति में सरकार और प्रशासन के लिए यह आवश्यक है कि वे डीएपी खाद की आपूर्ति में तेजी लाएं और किसानों को राहत प्रदान करें।

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