Kaithal News:जिला नागरिक अस्पताल में चूहों ने कुतरे 3.40 करोड़ की लिथोट्रिप्सी मशीन के तार, 50 लाख का आक्सीजन प्लांट खराब
नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: कैथल के जिला नागरिक अस्पताल में करोड़ों रुपये की अत्याधुनिक सुविधाएं लंबे समय से खराब हालत में पड़ी हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और सरकारी प्रक्रियाओं की सुस्ती के कारण ये महत्वपूर्ण सुविधाएं मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। मरीज, जो यहां बिना चीर-फाड़ के निशुल्क इलाज के लिए आते थे, अब मजबूरन महंगे निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।
तीन करोड़ 40 लाख की लिथोट्रिप्सी मशीन खराब
अस्पताल में करीब तीन करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से खरीदी गई लिथोट्रिप्सी मशीन पिछले तीन साल से खराब पड़ी है। यह मशीन बिना सर्जरी के पथरी के ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होती थी। जब तक यह मशीन ठीक थी, मरीजों को निशुल्क उपचार मिलता था और सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती थी। लेकिन अब, मशीन के खराब होने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों में उपचार करवाना पड़ता है, जिसमें 20 से 25 हजार रुपये का खर्च आता है।
लिथोट्रिप्सी मशीन कोरोना महामारी के दौरान खराब हो गई थी, जब चूहों ने उसके तारों को कुतर दिया था। हालांकि मशीन की मरम्मत के लिए इंजीनियरों ने अस्पताल का दौरा किया था, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मशीन कब तक ठीक हो पाएगी। अस्पताल प्रशासन की ओर से भी इस मुद्दे को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है। मशीन के रखरखाव में हुई लापरवाही को लेकर विभाग ने रिपोर्ट भी मांगी थी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। करोड़ों की यह मशीन अब अस्पताल के एक कोने में धूल फांक रही है।
निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा
स्थानीय लोगों में इस मामले को लेकर भारी असंतोष है। उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में उपलब्ध यह सेवा आम आदमी के लिए एक बड़ी राहत थी। अब, मशीन की मरम्मत न होने के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। अस्पताल में निशुल्क इलाज न मिलने के कारण उन्हें मजबूरी में निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है।
50 लाख रुपये का ऑक्सीजन प्लांट भी बंद
कोरोना महामारी के दौरान जिला नागरिक अस्पताल में 50 लाख रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था, जो अब बंद पड़ा है। अस्पताल में अब तक इस प्लांट को ठीक नहीं करवाया जा सका है, जबकि अस्पताल में दो नए आइसीयू बनकर तैयार हो गए हैं। इनमें से एक आइसीयू बच्चों के इलाज के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, और इन दोनों को जल्द ही शुरू करने की योजना है। दिसंबर में आइसीयू के शुरू होने के साथ ही ऑक्सीजन प्लांट की जरूरत और बढ़ जाएगी।
ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत के लिए विभाग द्वारा करीब 10 लाख रुपये का एस्टीमेट बनाकर भेजा गया है, लेकिन अभी तक इस राशि को मंजूरी नहीं मिली है। नतीजतन, प्लांट जस का तस खराब पड़ा है। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट को चालू करना बेहद जरूरी है, क्योंकि आइसीयू के संचालन के लिए यह प्लांट एक अहम कड़ी है। अस्पताल प्रशासन ने प्लांट को जल्द ठीक करवाने के लिए सीनियर अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करवाया है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
फायर फाइटिंग सिस्टम तैयार, लेकिन एनओसी की प्रतीक्षा
अस्पताल में एक फायर फाइटिंग सिस्टम भी बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन इसका उपयोग अभी तक नहीं हो सका है। इसकी वजह है कि अस्पताल के नाम पर जमीन नहीं है, जिस कारण दमकल विभाग से आवश्यक एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं मिल पा रही है। दमकल विभाग की टीम ने पहले ही अस्पताल का निरीक्षण कर लिया है और सिस्टम को चालू करने के लिए एनओसी जरूरी है। जब तक अस्पताल के नाम पर जमीन नहीं होगी, तब तक फायर फाइटिंग सिस्टम शुरू नहीं किया जा सकता है।
फायर फाइटिंग सिस्टम को चालू करने में हो रही देरी भी एक बड़ी समस्या बन गई है। यह स्थिति किसी भी आपातकालीन स्थिति में अस्पताल के लिए खतरा साबित हो सकती है। अस्पताल प्रशासन इस बात को लेकर भी चिंतित है, लेकिन जमीन के नामकरण की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सचिन मांडले ने कहा कि लिथोट्रिप्सी मशीन की मरम्मत के लिए उच्च अधिकारियों को सूचित किया गया है, और ऑक्सीजन प्लांट को ठीक करने के लिए 10 लाख रुपये की राशि का एस्टीमेट बनाकर भेजा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि फायर फाइटिंग सिस्टम का कार्य पूरा हो चुका है, और अब एनओसी मिलने का इंतजार है।
डॉ. मांडले ने यह स्वीकार किया कि इन सुविधाओं के न चलने से मरीजों को परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है कि जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान हो सके। लेकिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं और वित्तीय बाधाओं के कारण समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं।
मरीजों की बढ़ती परेशानी
अस्पताल की इन समस्याओं के कारण मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जो लोग सरकारी अस्पताल की सुविधाओं पर निर्भर हैं, उन्हें मजबूरी में निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है। मरीजों और उनके परिवारों ने प्रशासन से मांग की है कि इन सुविधाओं को जल्द से जल्द ठीक किया जाए, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।
इस तरह, जिला नागरिक अस्पताल की खराब पड़ी सुविधाएं प्रशासनिक लापरवाही और सरकारी प्रक्रियाओं की सुस्ती का प्रतीक बन गई हैं। लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही अस्पताल प्रशासन और सरकार इस ओर ध्यान देकर इन समस्याओं का समाधान करेंगे।
भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्शन