Kaithal News: कारगिल युद्ध में कैथल के संजीव राणा ने राजा राम की जय बोल पाकिस्तानी बंकर में बोला था धावा

कारगिल युद्ध की फाइल फोटो

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kargil Vijay Diwas 2024: कैथल जिले के गांव टयोंठा निवासी पूर्व सैनिक संजीव राणा ने भी कारगिल युद्ध के समय सेना में शामिल होकर अपना भरपूर दम दिखाया था। संजीव राणा ने बताया कि उनकी भर्ती दिसंबर 1997 में हुई थी। उस समय उनकी आयु महज साढे़ 17 वर्ष थी। उन्होंने भारतीय सेना की 11वीं राजपूताना राइफल्स में अपनी सेवाएं दी है।

उनकी पहली पोस्टिंग लेह लद्दाख के तूर तूक में ग्लेशियर में हुई थी। जब वह ग्लेशियर का टर्न करके आ रहे थे तो आठ जून 1999 को कारगिल युद्ध शुरू हुआ था। उन्हें सूचना मिली थी कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा में दाखिल हो चुकी हैं। इसके बाद उनको खोजने के लिए 10 सैनिकों की टुकड़ी बनाई गई, इसमें वह शामिल थे।

तीन जवान मौके पर शहीद हुए

 

राणा ने बताया कि सर्च अभियान के दौरान समतल मैदान के आधा किमी के बाद पहाड़ी थी। उस पर पाकिस्तानी सिपाही छुपकर बैठे थे। उन्होंने उन पर फायरिंग कर दी। सबसे आगे सूबेदार नायब मंगेज सिंह को गोली लगी। उसके पीछे एक राइफल मैन प्रवेश कुमार वासी करनाल व एक और जवान जिसको गोली लगी। तीनों जवान मौके पर शहीद हो गए।

साथियों के शव 15 से 20 दिन वही पड़े रहे

इस बीच फायरिंग के दौरान सब अलग-अलग हो गए। इसके बाद वह अपने साथियों की लाश लेने के लिए आगे बढ़े तो पाकिस्तानी सिपाहियों ने उन पर फायरिंग कर दी। इस कारण उनके साथियों के शव 15 से 20 दिन वही पड़े रहे। उच्च अधिकरियों ने उन्हें आदेश दिए कि उस जगह को खाली करवाया जाए, जहां पर पाकिस्तानी घुसे हुए हैं। उसके बाद शहीद हुए जवानों के शव लेकर आने हैं।

शहीद जवानों के शव लेकर लौटे

तब जुमे की रात को 11वीं राजपूताना राइफल्स ने उस पहाड़ी पर ऊपर चढ़े। वह बंकर में सोए हुए थे। वहीं संतरी पहरा दे रहा था। हवलदार तानसिंह को संतरी ने गोली मारी तो वह शहीद हो गया। इसके बाद 11वीं राजपूताना राइफल्स राजा राम की जय बोलकर बंकर में कूद पड़े। उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को मौत की नींद सुला दी। साथ में उन्होंने बताया कि उन्होंने स्लीपिग बैंग में छेद कर दिए थे। फिर उस पोस्ट के काफी मात्रा में उनके हथियार बरामद किए थे। उस पहाड़ी पर फतेह हासिल करने के बाद वह शहीद जवानों के शव को वापस लेकर आए थे। तब एक दर्दनाक पल था वो कभी कभी तो ऐसे हादसे होते थे कि खाना खाते समय पाकिस्तानी बम आकर उनके पास गिर जाता थे। वही साथी को खाने खाते समय एक बम के छर्रे पीठ में लगे। राणा ने बताया कि वह 26 जनवरी 1999 को दिल्ली में 11वीं राजपुताना राइफल्स की टुकड़ी पेरड में भाग ले चुका है। अब वह हरियाणा पुलिस में स्पेशल पुलिस ऑफिसर के पद पर तैनात हैं।

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