कैथल में जबरन डिलीवरी से जच्चा-बच्चा की मौत, खुलासा हुआ तो डॉक्टर स्टाफ समेत फरार

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News : हरियाणा के कैथल जिले के चीका में एक प्राइवेट अस्पताल की कथित लापरवाही के कारण एक महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई। मृतका की पहचान चानचक गांव की 35 वर्षीय सुनीता के रूप में हुई है। इस घटना ने न केवल परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। महिला के परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने जबरन डिलीवरी कराने की कोशिश की, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई।

परिजनों के आरोप: झूठ बोलते रहे डॉक्टर

 

परिजनों के मुताबिक, सुनीता को शनिवार को प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। सुबह करीब 11 बजे उसे चीका के सार्थक अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों का दावा है कि डॉक्टरों ने करीब 3-4 घंटे तक जबरन डिलीवरी कराने का प्रयास किया, जिसके चलते बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई।

परिवार के अनुसार, डॉक्टर स्थिति को गंभीर बताते हुए सही इलाज करने के बजाय लगातार झूठ बोलते रहे कि मां और बच्चा ठीक हैं। जब महिला की स्थिति खराब हुई और अत्यधिक रक्तस्राव शुरू हो गया, तब डॉक्टरों ने उसे पटियाला के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया। लेकिन रास्ते में ही महिला की मौत हो गई।

पटियाला पहुंचने से पहले ही तोड़ा दम

 

परिजनों ने बताया कि जब वे सुनीता को पटियाला के निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, तब तक वह दम तोड़ चुकी थी। इसके बाद परिजन शव को वापस चीका लेकर आए और अस्पताल में हंगामा किया। इस दौरान उन्होंने सार्थक अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ पर लापरवाही के आरोप लगाए।

डॉक्टर और स्टाफ फरार

 

महिला की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में डॉक्टरों से जवाब मांगा। लेकिन विवाद बढ़ने पर डॉक्टर और पूरा स्टाफ मौके से फरार हो गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने अपनी गलती छिपाने की कोशिश की और पीड़ित परिवार को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

पुलिस की कार्रवाई

 

चीका थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि महिला की मौत की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची। परिजनों की शिकायत के आधार पर डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने कहा कि घटना की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

परिजनों का दर्द

 

सुनीता के परिवार में उनकी तीन साल की बेटी है, जो अब मां के बिना हो गई है। परिजनों का कहना है कि अस्पताल ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर डॉक्टरों को समय रहते स्थिति की गंभीरता का अंदाजा हो जाता और महिला को सही समय पर उच्च स्तरीय इलाज के लिए रेफर कर दिया जाता, तो शायद दोनों की जान बचाई जा सकती थी।

स्थानीय लोगों में रोष

 

घटना के बाद स्थानीय लोग भी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ गुस्से में हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट अस्पताल अक्सर मरीजों को गुमराह करते हैं और लापरवाही से मौतें होती हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और दोषी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

मेडिकल लापरवाही पर सवाल

 

यह घटना एक बार फिर से मेडिकल लापरवाही और प्राइवेट अस्पतालों की गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को उजागर करती है। डॉक्टरों का पेशा मरीजों की जान बचाना है, लेकिन इस मामले में आरोप है कि लापरवाही और पैसे कमाने की लालच में एक महिला और उसके बच्चे की जान चली गई।

क्या है अगला कदम?

 

पुलिस ने बताया कि महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मामले की कड़ी से कड़ी जोड़ी जाएगी। परिवार ने दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की मांग की है। वहीं, पुलिस ने कहा है कि जांच पूरी होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।

परिवार को न्याय दिलाया जाए

 

यह घटना स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार और निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करती है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे प्राइवेट अस्पतालों की जवाबदेही तय करें और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून लागू करें। सुनीता और उनके बच्चे की मौत ने उनके परिवार को कभी न भरने वाला नुकसान पहुंचाया है। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाकर परिवार को न्याय दिलाया जाए।

 

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