Kaithal News: गुहला-चीका के टटियाणा बॉर्डर पर पुलिस बल तैनात, किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान से प्रशासन सतर्क
नरेन्द्र सहारण, गुहला-चीका/कैथल। Kaithal News: किसानों के दिल्ली कूच के आह्वान के बाद कैथल जिला प्रशासन ने गुहला-चीका के टटियाणा बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले इस महत्वपूर्ण बॉर्डर पर प्रशासन ने पुलिस बल की एक कंपनी, वाटर कैनन, आंसू गैस के गोले दागने वाले वाहन और रास्ते अवरुद्ध करने के लिए हाइड्रा मशीनों को तैनात किया है। प्रशासन की सतर्कता यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पंजाब की ओर से आने वाले किसान हरियाणा में प्रवेश न कर सकें और दिल्ली की ओर कूच का प्रयास विफल रहे।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की रणनीति
गुहला-चीका के टटियाणा बॉर्डर पर जिला प्रशासन ने घग्गर नदी के पुल पर भी कड़ी निगरानी रखी है। यहां से गुजरकर दिल्ली जाने की कोशिश करने वाले किसानों को रोकने के लिए पुलिस बल के जवान चौकस हैं। हालांकि, अब तक पंजाब की ओर से किसी भी किसान जत्थे के यहां पहुंचने की सूचना नहीं मिली है, लेकिन एहतियात के तौर पर बॉर्डर पर हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
कैथल के डीएसपी कुलदीप बैनीवाल ने स्थिति पर खुद नजर बनाए रखी है। उन्होंने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार के निर्देशानुसार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पटियाला रोड पर वाहनों की आवाजाही सामान्य है और हर व्यक्ति की गतिविधियों पर सतर्क नजर रखी जा रही है।
धारा 144 लागू, छोटे रास्तों पर भी निगरानी
प्रशासन ने बॉर्डर क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी है, ताकि किसी भी बड़े समूह को इकट्ठा होने से रोका जा सके। इसके साथ ही, पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने वाले छोटे रास्तों पर भी सतर्कता बरती जा रही है। करीब एक दर्जन छोटे मार्ग, जो हर रोज सामान्य यातायात के लिए खुले रहते हैं, वहां भी पुलिस की निगरानी जारी है।
चीका थाना प्रभारी सुरेश कुमार ने बताया कि पिछले दो दिनों में बॉर्डर पर किसी भी तरह की हलचल नहीं हुई है। “हम जनता के सहयोग और सुरक्षा के लिए यहां मौजूद हैं। कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा,” उन्होंने कहा।
किसानों की मांगें और समर्थन का अभाव
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के आईटी सेल प्रभारी जरनैल सिंह जैली ने कहा कि उनकी यूनियन इस आंदोलन में पंजाब के किसानों का फिलहाल कोई समर्थन नहीं कर रही है। हालांकि, जैली ने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों की मांगें जायज हैं और सरकार को इन्हें पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर पंजाब के किसान हमारी यूनियन से समर्थन मांगते हैं, तो हम इस पर विचार करेंगे।”
पिछले आंदोलन की यादें और मौजूदा स्थिति
गुहला-चीका के टटियाणा बॉर्डर ने 2021 में हुए किसान आंदोलन के दौरान भी किसानों को दिल्ली भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय किसानों ने बॉर्डर पार कर दिल्ली पहुंचने की कोशिश की थी। हालांकि, इस बार जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
पिछले आंदोलन के बाद से प्रशासन की सख्ती बढ़ी है। स्थानीय लोग और पुलिस यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बॉर्डर पर सामान्य जनजीवन बाधित न हो। इस बार, चीका-पटियाला रोड और अन्य मार्गों पर वाहनों की आवाजाही सामान्य बनी हुई है।
पुलिस की तैनाती और उपकरणों की व्यवस्था
प्रशासन ने किसी भी संभावित प्रदर्शन या अव्यवस्था को रोकने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस के वाहनों को तैयार रखा है। इसके अलावा, हाइड्रा मशीनें भी तैनात की गई हैं, जो रास्तों को अवरुद्ध करने में मदद कर सकती हैं।
डीएसपी बैनीवाल ने बताया कि हरियाणा में प्रवेश करने वाले हर वाहन और व्यक्ति की गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासन मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
स्थानीय और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
गुहला के स्थानीय लोग और व्यापारी भी किसानों के कूच को लेकर सतर्क हैं। पिछली बार के आंदोलन से प्रभावित स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे इस बार किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं चाहते। प्रशासन ने आम लोगों को आश्वस्त किया है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और रोजमर्रा के कामों में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आने दिया जाएगा।
आंदोलन के राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
किसानों के इस आंदोलन का असर केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी देखा जा रहा है। आंदोलनकारियों की मांगें लंबे समय से चर्चा का विषय बनी हुई हैं। किसानों की मुख्य मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी, फसल बीमा, और कर्ज माफी शामिल हैं।
जरनैल सिंह जैली का बयान इस ओर संकेत करता है कि किसान संगठनों में एकजुटता की कमी आंदोलन को कमजोर कर सकती है। इसके बावजूद, सरकार पर दबाव बना हुआ है कि वह किसानों के मुद्दों का समाधान जल्द से जल्द निकाले।
क्या आगे होगा?
टटियाणा बॉर्डर पर फिलहाल स्थिति सामान्य है, लेकिन प्रशासन ने अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ी है। किसानों की ओर से अभी तक कोई गतिविधि न होने के बावजूद, पुलिस और प्रशासनिक अमला पूरी तरह सतर्क है।
आंदोलनकारियों का अगला कदम और प्रशासन की प्रतिक्रिया यह तय करेगी कि यह मुद्दा आगे कैसे बढ़ेगा। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि प्रशासन हर संभव कदम उठाने को तैयार है ताकि बॉर्डर पर शांति और व्यवस्था बनी रहे।
जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे
किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान के बाद टटियाणा बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम यह दर्शाते हैं कि प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, किसानों की जायज मांगों का समाधान निकालने की दिशा में सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे। यह आंदोलन केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक चुनौती भी बन चुका है।
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