Kaithal News: पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी इलाकों में दिख रहा शीतलहर का असर

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: पिछले कुछ दिनों से पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों में साफ देखा जा सकता है। सर्द हवाओं के साथ शीतलहर ने ठंड को और अधिक बढ़ा दिया है। सुबह और रात के समय तापमान में गिरावट के कारण लोग ठिठुरने को मजबूर हो गए हैं।

तापमान में गिरावट दर्ज

 

पिछले सप्ताह से मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। गुरुवार को जिले का न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो आठ डिग्री से नीचे चला गया। वहीं, अधिकतम तापमान 21.7 डिग्री रहा। दिन के समय धूप निकलने से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन सुबह और शाम की ठंडी हवाओं ने कंपकंपी बढ़ा दी। इस दौरान 12 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही सर्द हवा में 66 प्रतिशत तक नमी दर्ज की गई।

जनजीवन पर असर

 

ठंड के कारण जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। सुबह और शाम के समय सड़कों पर लोगों की आवाजाही कम हो गई है। दोपहर में लोग पार्कों और खुले स्थानों पर धूप सेंकते हुए देखे जा सकते हैं।

कृषि पर प्रभाव

 

कृषि विज्ञान केंद्र कैथल के मौसम समन्वयक डॉ. रमेश वर्मा ने बताया कि आने वाले दिनों में ठंड और अधिक बढ़ सकती है। मौसम में बदलाव गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है। ठंड और नमी के कारण गेहूं की फसल के फुटाव में तेजी आएगी। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे फसल की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। हालांकि, सब्जियों की फसल पर इस मौसम का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

स्वास्थ्य संबंधी सलाह

 

मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि इस सप्ताह सर्दी अपने चरम पर रहेगी। पछुआ हवाओं के चलते ठंड में और इजाफा होगा। चिकित्सकों ने बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी है। ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनने और खानपान पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

मौसम विभाग की चेतावनी

 

मौसम विभाग ने बताया कि अगले कुछ दिनों में हल्के बादल छाने की संभावना है, जिससे ठंड बढ़ सकती है। विभाग ने किसानों और आम जनता को सतर्क रहने और मौसम के अनुसार अपनी दिनचर्या में बदलाव करने की सलाह दी है।

बर्फबारी के कारण मैदानी इलाकों में शीतलहर का प्रभाव जारी है। ठंडी हवाओं और गिरते तापमान ने सर्दी को और अधिक कठोर बना दिया है। हालांकि, दिन के समय धूप निकलने से थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन सुबह और रात की सर्दी से बचने के लिए सावधानियां बरतना जरूरी है। किसानों के लिए यह समय गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है, लेकिन सब्जी उत्पादकों को सतर्क रहना होगा।

 

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