Kaithal News: किसानों की गिरफ्तारी मामले में सरकारी फैसले से संयुक्त किसान मोर्चा नाराज

कुरुक्षेत्र में किसान महापंचायत
नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को जिला सचिवालय के पार्क में अपनी मांगों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में किसानों के खिलाफ जारी किए गए सरकारी आदेश पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की गई और सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की गई। यदि ऐसा नहीं होता, तो मोर्चा ने चेतावनी दी है कि वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। बैठक की अध्यक्षता जिला संयोजक महेंद्र सिंह रामगढ़ ने की और इसका संचालन किसान नेता जसबीर सिंह ने किया। बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के कई प्रमुख नेता उपस्थित थे, जिनमें राज्य प्रधान मास्टर बलबीर सिंह, राज्य कैशियर डिंपल, सतपाल दिल्लोवाली, सतबीर सिंह नरवाना, बलवंत सिंह धनौरी, गुरनाम सिंह, ओम प्रकाश ढांडा आदि शामिल थे।
किसान विरोधी सरकारी आदेश पर आक्रोश
संयुक्त किसान मोर्चा की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य किसानों के खिलाफ जारी किए गए आदेशों का विरोध करना था। किसानों पर लगाए गए आरोपों और उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई के विरोध में मोर्चा ने सरकार से तुरंत इस आदेश को वापस लेने की मांग की। मोर्चा के नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने पराली जलाने को लेकर जो आदेश जारी किए हैं, वे न केवल किसानों के लिए अन्यायपूर्ण हैं, बल्कि कृषि के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को भी दर्शाते हैं। इस आदेश के तहत, 15 सितंबर 2024 से पराली जलाने वाले किसानों पर एफआईआर दर्ज की जाए और उनकी उपज को अगले दो सीजन तक मंडी में नहीं खरीदा जाए।
किसान नेताओं ने इस आदेश को पूरी तरह से अव्यवहारिक और कठोर बताया। उनका कहना था कि सरकार पराली प्रबंधन में असफल रही है और अब उसका बोझ किसानों पर डालना चाहती है। बैठक में जोरदार नारेबाजी के बीच यह फैसला लिया गया कि सरकार के इस आदेश की प्रतियां जलाई जाएंगी और यदि सरकार इसे तुरंत वापस नहीं लेती, तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
डीसी के साथ किसानों की बैठक
बैठक के दौरान, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने जिला उपायुक्त (डीसी) डॉ. विवेक भारती से भी मुलाकात की। इस मुलाकात में किसानों ने अपनी समस्याओं को रखा, जिसमें पराली जलाने के मुद्दे पर किसानों की गिरफ्तारी और पराली प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं प्रमुख थीं। डीसी ने आश्वासन दिया कि पराली प्रबंधन के कार्यों में सुधार किया जाएगा और किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए त्वरित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि डीएपी और गेहूं के बीज की कीमतों को जल्द ही तय किया जाएगा, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।
लेकिन किसान नेताओं ने साफ किया कि सरकारी आश्वासनों से समस्या का समाधान नहीं होगा। राज्य प्रधान बलबीर सिंह, जिला प्रधान जसबीर सिंह, बलवंत सिंह धनौरी, गुरनाम सिंह और ओम प्रकाश ढांडा ने कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों को दोषी ठहराना पूरी तरह से अनुचित है। उनके अनुसार, सरकार अन्य प्रदूषणकारी तत्वों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि किसानों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। यह नीति किसानों के हित में नहीं है और इसे बदलने की जरूरत है।
पराली प्रबंधन और किसानों की भूमिका
पराली जलाने का मुद्दा पिछले कुछ वर्षों से काफी गंभीर हो गया है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, खासकर उत्तर भारत के क्षेत्रों में। परंतु किसान इसे जलाने के लिए मजबूर होते हैं क्योंकि उन्हें पराली प्रबंधन के लिए उचित संसाधन और सुविधाएं नहीं मिलतीं। सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कई योजनाएं चलाईं, लेकिन किसान नेताओं का आरोप है कि ये योजनाएं नाकाफी साबित हो रही हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधन और मशीनरी की व्यवस्था नहीं की है, जिससे किसान इसे जलाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सस्ती और सुलभ मशीनरी उपलब्ध हो। इसके बाद ही किसी भी प्रकार की कार्रवाई की जानी चाहिए।
आंदोलन की चेतावनी
बैठक के अंत में, संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया कि यदि सरकार किसानों के खिलाफ जारी आदेश को तुरंत वापस नहीं लेती, तो उन्हें बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा। किसान नेताओं ने कहा कि इस बार का आंदोलन केवल पराली जलाने के मुद्दे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि किसानों की व्यापक समस्याओं को भी उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने का मुद्दा केवल एक बहाना है। असल में सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है और उनकी समस्याओं को हल करने में नाकाम रही है। यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कि सरकार किसानों की सभी मांगों को नहीं मान लेती और उनके खिलाफ जारी किए गए सभी आदेश वापस नहीं ले लेती।
संयुक्त किसान मोर्चा की इस बैठक ने यह साफ कर दिया है कि किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज करने की कोशिशें अब और बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। पराली जलाने के मुद्दे पर सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों का गुस्सा उबाल पर है और वे इसके विरोध में किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और उनके खिलाफ जारी आदेशों को तुरंत वापस लिया जाए।
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