Kaithal News : कलायत में 40 दिन बाद पहुंचा पानी: 8 अप्रैल से सूखी पड़ी थी सिरसा ब्रांच नहर

कलायत में सिरसा ब्रांच नहर में बहता हुआ पानी।

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News : हरियाणा के कैथल जिले के निवासी पिछले कुछ हफ्तों से नहरी पानी की कमी से उत्पन्न पेयजल संकट की आशंका से जूझ रहे थे। सिरसा ब्रांच नहर जो शहर की अधिकांश आबादी के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत है, लगभग एक महीने से अधिक समय तक सूखी पड़ी रही। निर्धारित तिथि के एक सप्ताह बाद आखिरकार शनिवार 17 मई 2025 की शाम को नहर में पानी ने दस्तक दी, जिससे शहरवासियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली। हालांकि, यह राहत अभी अधूरी है क्योंकि नहर में पानी का प्रवाह सामान्य से आधा ही है, जो भविष्य की जल सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े करता है।

संकट की आहट: जब सूख गई जीवनरेखा

 

कैथल शहर और आसपास के क्षेत्रों के लिए पेयजल आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा सिरसा ब्रांच नहर पर निर्भर करता है। इस नहर में 8 अप्रैल 2025 से पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई थी। गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही नहर का सूख जाना किसी बड़े संकट की आहट से कम नहीं था। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, घरों में संग्रहित पानी घटने लगा और लोगों की चिंताएँ बढ़ने लगीं। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, जो शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार है, के लिए यह स्थिति एक बड़ी चुनौती बन गई। शहर की लगभग 70 प्रतिशत आबादी, जो सीधे तौर पर नहरी पानी पर निर्भर है, के कंठ सूखने का खतरा मंडराने लगा था।

विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नहर में पानी की आपूर्ति 8 मई 2025 को बहाल होनी थी। इस उम्मीद में शहरवासी दिन गिन रहे थे। लेकिन जब 8 मई की तारीख भी बिना पानी के गुजर गई, तो चिंता और घबराहट का माहौल बनना स्वाभाविक था। पंजाब से पानी की आपूर्ति में कमी को इस अप्रत्याशित देरी का मुख्य कारण बताया गया। यह स्थिति हरियाणा और पंजाब के बीच जल बंटवारे के संवेदनशील मुद्दे की ओर भी इशारा करती है, जहां अक्सर ऐसे मौके आते हैं जब किसी एक राज्य में पानी की कमी का असर दूसरे राज्य की जल आपूर्ति पर पड़ता है।

एक-एक बूंद को तरसते दिन और प्रशासनिक कवायद

 

8 अप्रैल से 15 मई के बीच का लगभग 37 दिनों का यह कालखंड कैथल शहर के निवासियों के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा। विशेषकर उन परिवारों के लिए जो पूरी तरह नहरी जल पर आश्रित थे, दैनिक कार्यों के लिए पानी जुटाना एक बड़ी समस्या बन गया। शुरुआती दिनों में तो लोगों ने अपने घरों में बने टैंकों और अन्य भंडारण क्षमताओं से काम चलाया, लेकिन जैसे-जैसे नहर के आने में विलंब होता गया, स्थिति विकट होती गई। बाजार में पानी के टैंकरों की मांग बढ़ गई और कई लोगों को महंगे दामों पर पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जनस्वास्थ्य विभाग पर इस दौरान भारी दबाव रहा। अधिकारियों ने वैकल्पिक स्रोतों, जैसे कि ट्यूबवेल, से पानी की आपूर्ति को सुचारू रखने की पूरी कोशिश की, लेकिन शहर की विशाल आबादी की प्यास बुझाने के लिए ये प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे थे। विभाग द्वारा पानी की राशनिंग और निश्चित समय पर कम अवधि के लिए पानी छोड़ने जैसे कदम भी उठाए गए होंगे, ताकि उपलब्ध सीमित जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जा सके। इस दौरान पानी की बर्बादी रोकने और संयम से पानी का उपयोग करने की अपीलें भी लगातार की जाती रहीं।

कलायत क्षेत्र में भी प्रतीक्षा

 

कैथल शहर के साथ-साथ, कलायत और इसके आसपास के क्षेत्र भी सिरसा ब्रांच नहर पर निर्भर हैं। जहाँ कैथल में पानी 15 मई की शाम को पहुँचा, वहीं कलायत क्षेत्र के लोगों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ा। कलायत में सिरसा ब्रांच का पानी 17 मई 2025 की सुबह पहुँचा, जिससे वहाँ के निवासियों ने भी राहत महसूस की। यह देरी संभवतः नहर प्रणाली में पानी के प्रवाह की गति और वितरण नेटवर्क की जटिलताओं के कारण हुई होगी।

पानी की वापसी और अधूरी राहत

शनिवार 17 मई 2025 की शाम जब सिरसा ब्रांच नहर में पानी की पहली लहर पहुंची, तो यह खबर शहर में तेजी से फैली। लोगों के चेहरों पर खुशी और सुकून का भाव था। जो पेयजल संकट पिछले कुछ दिनों से गहराता जा रहा था, उसके टलने की एक उम्मीद बंधी। जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी इस पर संतोष व्यक्त किया, क्योंकि यदि 15 मई तक पानी नहीं पहुँचता तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी, और शहर में पेयजल का गंभीर संकट खड़ा हो सकता था।

लेकिन यह राहत पूरी नहीं है। जल संसाधन विभाग के एसडीईओ (सब-डिविजनल इंजीनियर ऑफिसर) श्री सुमित मौण ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में नहर में जो पानी आ रहा है, वह पहले की सामान्य आपूर्ति की तुलना में लगभग आधा है। उन्होंने कहा, “अब नियमित जल आपूर्ति संभव हो सकेगी, लेकिन पानी की मात्रा पहले से कम है।” यह स्थिति बताती है कि भले ही तात्कालिक संकट टल गया हो, लेकिन जल आपूर्ति को लेकर सतर्कता बरतने की आवश्यकता अभी भी बनी हुई है।

भविष्य की चुनौतियां और वैकल्पिक व्यवस्थाएं

एसडीईओ सुमित मौण ने यह भी बताया कि भविष्य में यदि पानी की ऐसी कमी फिर से उत्पन्न होती है, तो विभाग ट्यूबवेल के माध्यम से वैकल्पिक जलापूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। यह एक महत्वपूर्ण आकस्मिक योजना है, लेकिन इसके अपने पहलू हैं। ट्यूबवेल पर अत्यधिक निर्भरता भूजल स्तर को प्रभावित कर सकती है, जो दीर्घकालिक रूप से एक और पर्यावरणीय चिंता का विषय बन सकता है। इसलिए, नहरी पानी की नियमित और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना ही सबसे स्थायी समाधान है।

पानी की वर्तमान आधी मात्रा के साथ, जनस्वास्थ्य विभाग को जल वितरण का प्रबंधन सावधानीपूर्वक करना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी क्षेत्रों में समान रूप से पानी पहुँचे और किसी भी इलाके को उपेक्षित न किया जाए। इसके लिए सूक्ष्म स्तरीय योजना और निरंतर निगरानी की आवश्यकता होगी। नागरिकों को भी पानी के विवेकपूर्ण उपयोग के प्रति जागरूक रहना होगा और बर्बादी से बचना होगा।

पंजाब से पानी की आपूर्ति का मुद्दा

 

इस पूरे प्रकरण में पंजाब से पानी की आपूर्ति में कमी एक प्रमुख कारक के रूप में सामने आई है। यह हरियाणा जैसे राज्य के लिए एक सतत चिंता का विषय रहा है, जो अपने नहरी सिंचाई और पेयजल योजनाओं के लिए पड़ोसी राज्यों से आने वाले पानी पर काफी हद तक निर्भर है। अंतरराज्यीय जल समझौते और उनके प्रभावी क्रियान्वयन महत्वपूर्ण हैं। ऐसे मामलों में केंद्र सरकार और संबंधित जल प्राधिकरणों की भूमिका भी अहम हो जाती है ताकि राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर कोई विवाद उत्पन्न न हो और सभी को उनके हिस्से का पानी समय पर मिल सके। मौसम परिवर्तन और घटते जल संसाधनों के इस युग में, राज्यों के बीच अधिक सहयोग और समझ की आवश्यकता है।

दीर्घकालिक समाधानों की ओर एक कदम

 

कैथल में हालिया जल संकट कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाता है:

 

जल संरक्षण की महत्ता: पानी एक सीमित संसाधन है। इसका संरक्षण व्यक्तिगत, सामाजिक और प्रशासनिक, सभी स्तरों पर किया जाना चाहिए। वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और कुशल सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
बुनियादी ढांचे का रखरखाव और उन्नयन: नहरों, जल उपचार संयंत्रों और वितरण नेटवर्क का नियमित रखरखाव और आधुनिकीकरण सुनिश्चित करना होगा ताकि पानी की बर्बादी को कम किया जा सके और आपूर्ति दक्षता में सुधार हो।
वैकल्पिक स्रोतों का विकास: केवल एक स्रोत पर निर्भर रहने के बजाय, पेयजल के विविध स्रोतों का विकास करना बुद्धिमानी है। इसमें स्थानीय जल निकायों का पुनरुद्धार और नियंत्रित भूजल उपयोग शामिल हो सकता है।
जन जागरूकता और भागीदारी: जल प्रबंधन केवल सरकारी विभागों की जिम्मेदारी नहीं है। इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। पानी के महत्व और इसके संरक्षण के तरीकों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
अंतरराज्यीय समन्वय: पड़ोसी राज्यों के साथ जल बंटवारे के मुद्दों पर निरंतर संवाद और सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने की प्रक्रिया को मजबूत करना होगा।

सतर्कता और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता

 

कैथल में सिरसा ब्रांच नहर में पानी की वापसी ने भले ही एक बड़े पेयजल संकट को टाल दिया हो, लेकिन यह घटना भविष्य के लिए एक चेतावनी भी है। आधी क्षमता से हो रही आपूर्ति इस बात का संकेत है कि चुनौतियाँ अभी समाप्त नहीं हुई हैं। जनस्वास्थ्य विभाग और जल संसाधन विभाग को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि उपलब्ध पानी का न्यायसंगत वितरण हो और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आकस्मिक योजनाएँ तैयार रहें।

यह संकट हमें जल के महत्व को एक बार फिर याद दिलाता है। यह समय है कि हम सभी नागरिक, समुदाय और सरकार – मिलकर जल संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाएं। कैथल का अनुभव अन्य शहरों और कस्बों के लिए भी एक सीख हो सकता है जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जल सुरक्षा केवल बुनियादी ढांचे के विकास का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिकता, आदतों और सामूहिक जिम्मेदारी से भी जुड़ी हुई है। उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेते हुए कैथल और पूरा प्रदेश जल संरक्षण की दिशा में और अधिक गंभीरता से प्रयास करेगा, ताकि भविष्य में ऐसी संकटपूर्ण स्थितियों की पुनरावृत्ति न हो और सभी नागरिकों को निर्बाध रूप से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होता रहे।

 

 

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