Kaithal News: मजदूर हड़ताल पर, कलायत अनाज मंडी में उठान कार्य प्रभावित

नरेन्‍द्र सहारण , कलायत। Kaithal News: कलायत की अनाज मंडी में मजदूरों की हड़ताल के कारण उठान कार्य बुरी तरह प्रभावित हो गया है। मजदूरों ने कम मजदूरी और मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते काम बंद करने का फैसला लिया है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें प्रतिदिन केवल 100 रुपये मजदूरी मिल रही है, जो उनके जीवन-यापन के लिए अपर्याप्त है। इसके अलावा, मंडी में सुविधाओं का गंभीर अभाव है, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं।

अनाज का सही तरीके से प्रबंधन न होना

 

मजदूर यूनियन के प्रधान, कुलदीप ने बताया कि मंडी में काम करने की सबसे बड़ी चुनौती अनाज का सही तरीके से प्रबंधन न होना है। उन्होंने कहा कि किसान पूरी रात ट्रॉलियों में धान लेकर मंडी में आते हैं और जहां जगह मिलती है, वहीं धान डाल देते हैं। यह अव्यवस्था मजदूरों के लिए समस्या बन जाती है, क्योंकि उन्हें धान के उठान के लिए दूर-दूर तक चलकर ट्रकों तक जाना पड़ता है। इससे उनकी उत्पादकता काफी कम हो जाती है, और वे पूरे दिन में एक ट्रक का माल भी नहीं लिफ्ट कर पाते।

ट्रॉलियों की एंट्री बंद कराने का आश्‍वासन

 

कुलदीप ने बताया कि मजदूरों की कम मजदूरी और अव्यवस्थित काम के कारण कई मजदूर पलायन कर चुके हैं। यूनियन ने इस समस्या को मंडी प्रधानों और सचिव के सामने रखा था। प्रधानों ने आश्वासन दिया था कि शाम पांच बजे के बाद मंडी में ट्रॉलियों की एंट्री बंद करवा दी जाएगी ताकि मजदूर आराम से उठान कार्य कर सकें। हालांकि, यह आश्वासन भी केवल शब्दों तक सीमित रहा और स्थिति पहले से भी बदतर हो गई।

मंडी में बुनि‍यादी सुव‍िधाएं नहीं

मजदूरों का आरोप है कि मंडी में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही पर्याप्त शौचालय। प्रवासी मजदूर रामखिलावन और सही राम ने बताया कि मंडी में करीब पांच हजार मजदूर, किसान और व्यापारी आते हैं, लेकिन केवल दो सुलभ शौचालय उपलब्ध हैं। इनमें से भी अधिकांश का उपयोग महिला मजदूर करती हैं, जिससे पुरुष मजदूरों को बड़ी समस्या होती है। पीने के लिए दो वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन वे खराब पड़े हैं। मजदूर पहले पानी नहर से लाते थे, लेकिन अब नहर भी बंद है। इस कारण मजदूरों को नहाने और पीने के पानी के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

वापस नहीं लौटने की धमकी

इन दिक्कतों के कारण मजदूरों ने हड़ताल का निर्णय लिया। उनका कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे। मंडी प्रधानों ने एक बार फिर मजदूरों को आश्वासन दिया है कि रविवार को कोई किसान अपनी फसल लेकर मंडी में नहीं आएगा। इसके अलावा, हर रोज शाम पांच बजे के बाद मंडी में किसानों की ट्रॉलियों की एंट्री बंद कर दी जाएगी। इससे मजदूरों को उठान कार्य में आसानी होगी और वे बिना बाधा के अपना काम पूरा कर सकेंगे।

मंडी में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि उन्हें सुविधाएं न मिलने की वजह से उनका जीवन कठिन हो गया है। प्रधानों के नए आश्वासनों के बावजूद मजदूर अभी भी संशय में हैं। वे कहते हैं कि पहले भी आश्वासन मिले थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हड़ताल के कारण मंडी में अनाज उठान का काम दोपहर तक ठप रहा, लेकिन प्रधानों के आश्वासन के बाद कुछ हद तक उठान कार्य शुरू किया जा सका।

उपेक्षा के खिलाफ उठाया कदम

 

मंडी में काम कर रहे मजदूरों की दयनीय स्थिति को देखकर यह साफ है कि बिना उचित मजदूरी और बुनियादी सुविधाओं के उनकी समस्याएं खत्म नहीं होंगी। मजदूर यूनियन का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वे लंबे समय तक हड़ताल जारी रख सकते हैं। कुलदीप ने कहा कि यह हड़ताल मजदूरों की हताशा और उनके अधिकारों की उपेक्षा के खिलाफ एक मजबूर कदम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रशासन जल्द ही उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान करेगा ताकि मजदूरों का जीवन बेहतर हो सके और मंडी में काम सामान्य रूप से चल सके।

मंडी प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों के सामने अब यह चुनौती है कि वे मजदूरों की शिकायतों का समाधान करें और उनकी परेशानियों को दूर करें। बेहतर प्रबंधन, पर्याप्त सुविधाएं और उचित मजदूरी ही मजदूरों को संतुष्ट रख सकती हैं। मंडी में किसान, व्यापारी और मजदूर सभी की जरूरतें पूरी हों, इसके लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने होंगे।

 

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