Kaithal News: कैथल में मनरेगा घोटाले की जांच में तीन मनरेगा मेट निलंबित, 4 जेई 18 करोड़ के घोटाले में फंसे
नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हाल ही में कैथल जिले में 18 करोड़ रुपये के मनरेगा घोटाले का मामला सामने आया है, जिसके चलते सांसद नवीन जिंदल ने जांच के आदेश दिए। इस मामले की प्राथमिक जांच के दौरान, सीवन के बीडीपीओ ने कक्हेड़ी गांव के तीन मनरेगा मेट को निलंबित कर दिया है। निलंबित कर्मचारियों में कक्हेड़ी गांव के रणधीर सिंह, अनुज और सतपाल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त चार जूनियर इंजीनियरों (जेई) के संदर्भ में भी अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इन जेई में सिंचाई विभाग के सरस्वती हेरिटेज डिवीजन नंबर-3 के सोनू, शुभम धीमान, सलिंद्र कुमार और मुनीष कुमार शामिल हैं। इनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए सिंचाई विभाग को पत्र लिखा गया है।
कार्य में मिलीं गंभीर खामियां
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ककराला अनायत गांव में मनरेगा योजना के तहत कार्य में गंभीर खामियां पाई गई हैं। बीडीपीओ नेहा शर्मा ने अनुसंधान के दौरान पाया कि विदेश में रहने वाले दो मनरेगा मजदूरों की हाजिरी के रिकॉर्ड में फर्जी तरीके से उपस्थिति दर्ज की गई थी। इसके चलते उनकी मेहनताने की राशि का गबन हुआ।
विदेश में रह रहे 40 लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड
संगीन बात यह है कि सीवन ब्लॉक के ककराला अनायत गांव में विदेश में रह रहे 40 लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए थे। गांव के ही अमरीक सिंह द्वारा की गई शिकायत के अनुसार, जर्मनी, इटली, फ्रांस, मलेशिया और पुर्तगाल में रहने वाले 22 लोगों के नाम पर जॉब कार्ड जारी किए गए। मनरेगा के तहत इन मजदूरों को दिखाकर उनके खातों में पैसे भेजे गए, लेकिन वास्तविकता यह है कि इनमें से अधिकांश मजदूर कार्य नहीं कर रहे थे। अमरीक सिंह ने बताया कि उनके खातों में भेजी गई लाखों रुपये की रकम में से उन्हें केवल मामूली राशि दी जाती थी, जबकि बाकी का पैसा मेट और अधिकारियों के बीच बांट दिया जाता था। गांव में वास्तव में काम करने वाले मजदूरों की संख्या लगभग 40 है, लेकिन 328 लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए गए हैं। यह स्पष्ट रूप से एक बड़ा घोटाला प्रतीत होता है, जो 2022 से चल रहा था। अमरीक ने कई बार इस घटना की शिकायत सीएम विंडो और डीसी को भी की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
जांच के लिए विशेष समिति का गठन
इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सीवन बीडीपीओ नेहा शर्मा ने इसकी जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। कमेटी इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है और ककराला अनायत गांव के सरपंच और सचिव से मामले के संबंध में रिपोर्ट भी मांगी गई है।
इस घोटाले के बारे में चर्चा उस समय शुरू हुई जब गुहला के विधायक देवेंद्र हंस ने मंगलवार को जिला स्तरीय विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में मनरेगा कार्यों में अनियमितताओं के मुद्दे को उठाया। इस दौरान सांसद नवीन जिंदल ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए मनरेगा के तहत पिछले 10 महीनों में हुए 18 करोड़ रुपये के कार्यों की गहन जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करना है, और यदि इसमें कोई अनियमितता पाई जाती है, तो इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। सांसद ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि वे इस मामले की त्वरित जांच करें और आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
योजनाओं की विश्वसनीयता को नुकसान
इस तरह की घटनाएं सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती हैं और उन लोगों के लिए अन्याय करती हैं जिन्हें वास्तव में इन योजनाओं की आवश्यकता है। अब देखना यह होगा कि राज्य और जिला प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या सांसद की मांगों पर अमल किया जाएगा। मनरेगा योजना के माध्यम से गरीबों को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, इस प्रकार के भष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि सरकार को अपनी योजनाओं की पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में सक्रिय होना होगा, ताकि पात्र लोगों को लाभ मिले और भ्रष्टाचार के मामलों पर काबू पाया जा सके। यदि इस प्रकार के मामले लगातार बढ़ते रहे, तो यह न केवल एक गंभीर आर्थिक समस्या बनेगी बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाएगा। यही कारण है कि सांसद और जिला प्रशासन को मिलकर इस घोटाले को सुलझाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
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