कैथल पुलिस ने युवक को दी थर्ड डिग्री:बोला-निर्वस्त्र कर मुझे पीटा, डीएसपी ने आरोपों को नकारा

नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जिले की इकोनॉमिक्स सेल के पुलिसकर्मियों पर एक युवक ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया, जिसके कारण उसकी टांग में फ्रैक्चर हो गया। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि युवक दीवार से कूदते समय घायल हुआ। इस मामले ने स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बनते हुए पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
युवक का आरोप: “बिना वजह टॉर्चर किया गया”
करनाल जिले के खुशगढ़ गांव निवासी अनिल ने कैथल पुलिस की इकोनॉमिक्स सेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अनिल का कहना है कि उसे उसके घर से उठाकर कैथल के सीआईए थाने ले जाया गया, जहां उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उसने दावा किया कि उसे निर्वस्त्र करके मारा गया, जिससे उसकी टांग की हड्डी टूट गई।
अनिल के मुताबिक, यह घटना तब शुरू हुई जब दो साल पहले उसके भाई के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था। उसने बताया कि पुलिस ने उस मामले में उसे भी गलत तरीके से फंसाया है। “मैं पिछले 10 सालों से अपने परिवार से अलग रह रहा हूं। मैं अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रहता हूं। मेरा उस मामले से कोई लेना-देना नहीं है,” अनिल ने कहा।
अनिल का आरोप है कि पुलिस ने उसे बिना किसी ठोस आधार के पकड़कर प्रताड़ित किया। वह कहता है कि यह सिर्फ उसके भाई के खिलाफ दर्ज केस के चलते उसे निशाना बनाने का एक प्रयास है।
पुलिस का पक्ष: “दीवार से कूदने पर लगी चोट”
इस मामले में जब डीएसपी बीरभान से संपर्क किया गया, तो उन्होंने युवक के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने बताया कि अनिल एक आपराधिक मामले में वांछित था। पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए उसके घर पहुंची थी, लेकिन पुलिस को देखकर वह भागने लगा। डीएसपी ने कहा, “भागने के दौरान अनिल दीवार से कूद गया, जिससे उसकी टांग में फ्रैक्चर हो गया। उसे तुरंत जिला नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाकर इलाज मुहैया कराया गया।”
डीएसपी ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और अनिल के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया।
अस्पताल में भर्ती और इलाज
घटना के बाद अनिल को जिला नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी टांग का इलाज चल रहा है। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, अनिल की स्थिति स्थिर है और उसे फ्रैक्चर के लिए जरूरी चिकित्सा दी जा रही है।
दोनों पक्षों की दलीलों पर सवाल
इस मामले ने पुलिस की भूमिका और कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। एक तरफ अनिल का आरोप है कि उसे बिना वजह टॉर्चर किया गया और उसकी टांग तोड़ दी गई, वहीं पुलिस इसे महज एक दुर्घटना बता रही है।
मामला यह भी उठता है कि अगर अनिल किसी मामले में वांछित था, तो उसकी गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने क्या प्रक्रिया अपनाई। क्या पुलिस की कार्यशैली में कहीं कोई खामी थी, या यह महज एक संयोग है कि अनिल घायल हो गया?
स्थानीय लोगों में गुस्सा
अनिल के आरोपों के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है। कई लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “अगर अनिल दोषी था, तो पुलिस को उसे कानून के दायरे में लाकर न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था। लेकिन अगर उसके साथ मारपीट हुई है, तो यह बेहद निंदनीय है।”
पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग
अनिल और उसके परिवार ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई है कि पुलिस के उन कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिन्होंने कथित तौर पर अमानवीय व्यवहार किया।
यह घटना पुलिस और आम जनता के बीच विश्वास के संकट को उजागर करती है। अगर अनिल के आरोप सही हैं, तो यह पुलिस के दायित्वों का उल्लंघन है। वहीं, अगर पुलिस की बात मानी जाए, तो यह घटना पुलिस के प्रयासों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का मामला हो सकता है।
इस घटना की सच्चाई का पता लगाने के लिए स्वतंत्र जांच की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि न्याय हो। ऐसी घटनाएं सिर्फ कानून व्यवस्था को ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के मनोबल को भी प्रभावित करती हैं।