Kaithal News: रूस-यूक्रेन युद्ध में गए कैथल के युवक की मौत, पहचान के लिए मां के डीएनए की जरूरत

नरेन्द्र सहारण, कलायत (कैथल): Kaithal News: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लापता चल रहे गांव मटौर के 22 वर्षीय रवि मौण की करीब चार माह बाद मौत की खबर मिली है। दुख और बेबसी का पहाड़ परिवार पर उस समय टूट पड़ा, जब दूतावास ने ईमेल के जरिये शव की पहचान पुख्ता करने के लिए रवि की माता की डीएनए रिपोर्ट मांगी। जबकि वे दुनिया में नहीं हैं। पिता के बेहद बीमार होने की स्थिति में बड़े भाई अजय अपनी डीएनए रिपोर्ट भेजेंगे। इस संबंध में उन्होंने शनिवार को भारतीय दूतावास मास्को रूस को एक पत्र लिखा है। इसका जवाब मिलने के बाद ही शव को स्वदेश लाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा। परिजनों का कहना है कि वह रूस ट्रांसपोर्ट में काम करने गया था लेकिन उसे जबरन युद्ध में भेज दिया गया। उसे रूसी आर्मी की वर्दी में देखा गया था।

रवि को रूस-युक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया

संकट की घड़ी से घिरे अजय मौण ने बताया कि 13 जनवरी 2024 को रोजगार की तलाश में उसका भाई रवि गांव के अन्य छह युवाओं के साथ विदेश गया था। वहां एजेंट ने उसे वाहन चालक की नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था, लेकिन रवि को रूस-युक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया। अंतिम बार 12 मार्च को उसका रवि से संपर्क हुआ। तब उसने बताया था कि 6 मार्च से उन्हें लड़ाई में उतारा गया है। अब दोबारा उन्हें युद्ध क्षेत्र में जाना पड़ेगा। रूसी सेना के लोगों ने उन्हें कहा कि या तो युद्ध को फ्रंट लाइन पर लड़ो नहीं तो उन्हें 10 साल की जेल होगी। उसके बाद से रवि निरंतर लापता चल रहा था। इसके चलते ग्रामीणों व स्वजन ने स्थानीय प्रशासन से लेकर केंद्रीय विदेश मंत्री तक से संपर्क साधा। आखिरकार अब दूतावास से रवि के पासपोर्ट के नंबर का सबूत पेश करते हुए मृत्यु की जानकारी दी गई है।

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रवि की मौत की पुष्टि की गई

बताया गया है कि दूतावास ने परिवार के सदस्यों के अनुरोध के अनुसार संबंधित रूसी अधिकारियों से संपर्क साधते हुए रवि के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई है। इसमें मौत की पुष्टि की गई है। शव की पहचान के लिए उन्हें उसके करीबी रिश्तेदारों से डीएनए टेस्ट की जरूरत है। खासकर उसकी मां से डीएनए टेस्ट की। इसलिए भारत में किसी पंजीकृत या सरकारी अस्पताल से मां का डीएनए परीक्षण कराया जाए और रिपोर्ट मास्को में भारतीय दूतावास के साथ साझा की जाए। अजय ने बताया कि उनके पास भाई का शव लाने के लिए कोई संसाधन नहीं है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से मांग है कि उनके भाई का शव भारत मंगवाया जाए।

 

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