नशे, लिव-इन रिलेशन व समगोत्र विवाह के खिलाफ खापों ने खोला मोर्चा, सरकार को ठोस कदम उठाने के लिए दिया अल्टीमेटम

नरेन्‍द्र सहारण, सोनीपत : Sonipat News: उत्तर भारत के खाप पंचायतों ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सख्त मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने नशे, समगोत्र विवाह, एक ही गांव में शादी, लिव-इन रिलेशनशिप जैसी परंपराओं के विरुद्ध कड़ा संदेश देते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने का अल्टीमेटम दिया है। यदि सरकार ने इन मुद्दों पर कार्रवाई नहीं की, तो 28 सितंबर को गोहाना में होने वाली महापंचायत में बड़ा फैसला लिया जा सकता है। यह कदम सामाजिक ताने-बाने को मजबूत बनाने और पारंपरिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठाया गया है। 

खाप पंचायतों का यह निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?

 

खाप पंचायतें भारतीय समाज में पारंपरिक और सामाजिक व्यवस्था की रक्षक मानी जाती हैं। ये समुदाय की सामाजिक शर्तों, परंपराओं और मर्यादाओं का संरक्षण करती हैं। वर्तमान समय में, समाज में नशा, विवाह के नए तरीके, और सामाजिक बदलावों के चलते खाप पंचायतें चिंतित हैं। उन्होंने महसूस किया है कि यदि इन बुराइयों को रोकने के लिए समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो सामाजिक ताने-बाने का संकट उत्पन्न हो सकता है।

खाप पंचायतें इस मोर्चे को इसलिए भी बड़ा मान रही हैं क्योंकि वे समाज के मुख्यधारा के बदलाव के खिलाफ नहीं बल्कि परंपरागत मूल्यों के संरक्षण के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि युवा पीढ़ी का दिशा भटकना और सामाजिक विकृतियों का बढ़ना न केवल सांस्कृतिक आधार को कमजोर कर रहा है, बल्कि सामाजिक स्थिरता के लिए भी खतरा बन रहा है।

मुख्य मुद्दे और खाप पंचायतों का दृष्टिकोण

 

1. नशे की प्रवृत्ति पर नियंत्रण

 

खाप पंचायतों का मानना है कि नशा सामाजिक और पारिवारिक जीवन दोनों के लिए विनाशकारी है। नशे के कारण युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है, पारिवारिक कलह बढ़ रही है और समाज में अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इसलिए, पंचायतों ने युवाओं को नशे से मुक्त करने और नशे के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

2. समगोत्र विवाह और एक ही गांव में विवाह पर प्रतिबंध

 

समगोत्र विवाह का चलन सामाजिक मुद्दा बन चुका है। खापें इस परंपरा को खत्म करने का आह्वान कर रही हैं ताकि परिवारों के बीच खाई न बढ़े। उनका कहना है कि इन परंपराओं से जातिगत भेदभाव बढ़ता है और सामाजिक समरसता खतरे में पड़ जाती है।

3. लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध

 

खाप पंचायतें इन आधुनिक संबंधों को सामाजिक मूल्यों के खिलाफ मानती हैं। उनका तर्क है कि ये परंपराओं और संस्कारों के खिलाफ हैं। वे युवाओं से आग्रह करती हैं कि वे पारंपरिक विवाह और सामाजिक मर्यादाओं का पालन करें।

4. सामाजिक ताने-बाने की रक्षा

 

सामाजिक संरचना को मजबूत बनाए रखने के लिए खापें लगातार प्रयास कर रही हैं। उनका मानना है कि इन मुद्दों को लेकर सरकार और समाज दोनों को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और निष्पक्ष कदम उठाने चाहिए।

बैठक और प्रस्ताव: 22 जून से लेकर 27 सितंबर तक का संघर्ष

22 जून को उचाना में बैठक

 

खाप पंचायतों ने 22 जून को उचाना में एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल हुए। उस बैठक में इन सामाजिक मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि यदि सरकार 27 सितंबर तक कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो 28 सितंबर को गोहाना में महापंचायत बुलाई जाएगी।

27 सितंबर का अल्टीमेटम

 

खापों ने स्पष्ट किया है कि 27 सितंबर तक सरकार से इन मुद्दों पर कार्रवाई की अपेक्षा है। इस तारीख तक अगर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो खाप पंचायतें 28 सितंबर को गोहाना में बड़ी बैठक कर अपने फैसले का ऐलान करेंगी। इसमें आंदोलन की घोषणा, जनसमूह जुटाने और सामाजिक जागरूकता फैलाने के कदम शामिल हो सकते हैं।

प्रमुख नेताओं और प्रतिनिधियों की भागीदारी

 

पंचायत में प्रमुख खाप नेताओं ने भाग लिया। इनमें शामिल हैं:

कुलदीप मलिक (प्रधान, गठवाला खाप)

अशोक मलिक (महासचिव, गठवाला खाप)

संजय देशवाल (प्रधान, देशवाल खाप)

रामकुमार सोलंकी (360 पालम खाप)

मूलचंद सहरावत (राष्ट्रीय अध्यक्ष, सहरावत खाप)

सुभाष गोयल (प्रधान, महम चौबीसी)

श्रीपाल (प्रधान, सतगामा बलंभ खाप)

कंवर सिंह धनखड़ (प्रधान, झज्जर 360 खाप)

हरदीप शर्मा (प्रधान, रोधी खाप हांसी)

अनिल ढुल (ढुल खाप)

अन्य सामाजिक नेता और प्रतिनिधि

इन सभी नेताओं ने सामाजिक बदलाव के लिए एकजुट होकर आंदोलन की रणनीति तय करने का संकल्प लिया है।

सामाजिक ताने-बाने का संरक्षण: खापों का संदेश

 

खाप पंचायतें इस बात पर जोर देती हैं कि समाज को मजबूत बनाए रखने के लिए पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण आवश्यक है। युवाओं को जागरूक कर, उन्हें सामाजिक मर्यादाओं का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि यदि सरकार समय रहते इन मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाती, तो वे व्यापक आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

युवाओं का आह्वान

 

नशे से दूर रहें

सामाजिक मर्यादाओं का पालन करें

अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करें

समाज को दिशा देने वाले कदम

जागरूकता अभियान

सामाजिक और धार्मिक संस्थानों का सहयोग

जनसंपर्क और आंदोलन

एकजुट होकर सामाजिक परिवर्तन का मार्ग

 

खाप पंचायतें अपने पारंपरिक मूल्यों और सामाजिक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उनका मानना है कि समाज में बदलाव लाने के लिए दृढ़ता और संगठित प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से कदम नहीं उठाती, तो 28 सितंबर को बड़े फैसले किए जाएंगे, जिसमें व्यापक आंदोलन की रूपरेखा भी शामिल हो सकती है।

यह कदम सामाजिक सुधार, युवा पीढ़ी को सही दिशा में ले जाने और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत बनाने का प्रयास है। समाज के सभी वर्गों से अपील की गई है कि वे इस आंदोलन का समर्थन करें और अपनी संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आएं।

जागरूकता का संकेत

 

खाप पंचायतों का यह अभियान सामाजिक बदलाव के लिए एक बड़ी चेतावनी और जागरूकता का संकेत है। यह साबित करता है कि पारंपरिक मूल्य और सामाजिक ताने-बाने को कायम रखने के लिए मजबूत कदम जरूरी हैं। आने वाले दिनों में यह आंदोलन समाज में नई दिशा और जागरूकता लाने में मददगार साबित हो सकता है।

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