Kidney Transplant Racket : गुरुग्राम में सेंटर, बांग्लादेश के मरीज और डोनर… जयपुर में होता था किडनी ट्रांसप्लांट; ऐसे चल रहा था इंटरनेशनल रैकेट

नरेन्द्र सहारण, गुरुग्राम: Kidney Transplant Racket :

हरियाणा मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की ओर से किडनी ट्रांसप्लांट के खुलासे के बाद मेडिकल इंड्रस्ट्री में हड़कंप है। गुरुग्राम सिटी का नाम लेकर बांग्लादेश के मरीजों को जाल में फंसाया जाता था। उन्हें सेक्टर-39 के आलीशान गेस्ट हाउस में ठहराकर सारी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थीं। मरीज को पहले गुरुग्राम के नामी अस्पताल का हवाला देकर बरगलाया जाता था। बाद में उसी अस्पताल की जयपुर ब्रांच में उनका किडनी ट्रांसप्लांट कराया जाता था।

जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में बांग्लादेश के मरीजों का अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण किया जा रहा था। इसमें डोनर भी बांग्लादेश से बुलाए जाते थे। मरीजों व डोनर को गुरुग्राम के एक गेस्ट हाउस में रखा जाता था। इसका पता चलने पर सीएम फ्लाइंग स्क्वाड और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को गेस्ट हाउस में छापेमारी कर तीन मरीजों व दो डोनर को गिरफ्तार किया है। गिरोह का मास्टरमाइंड झारखंड के रांची का मो. मुर्तजा अंसारी है जो पकड़ा नहीं जा सका है। मुर्तजा मरीजों को किडनी दिलाने के बदले में 10 से 12 लाख रुपये तक लेता था। डोनर को दो लाख रुपये दिए जाते थे। जयपुर से जागरण संवाददाता ने फोर्टिस अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने बात करने से इन्कार कर दिया। राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह ने इस संबंध में विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह से रिपोर्ट मांगी है। शुभ्रा सिंह इस बारे में फोर्टिस अस्पताल प्रशासन से जवाब तलब कर सकती है।

बांग्लादेशियों का कराया जाता था किडनी ट्रांसप्लांट

मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की तरफ से बताया गया कि गोपनीय सूचना के आधार स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मिलकर गेस्ट हाउस में छापेमारी की गई। मौके पर किडनी दानदाता 24 वर्षीय शमीम मेहंदी हसन व 30 वर्षीय हुसैन मोहम्मद और प्राप्तकर्ता 66 वर्षीय इस्लाम नुरुल, 33 वर्षीय कोबीर एमडी अहसानुल व 25 वर्षीय महमूद सैयद अकब मौजूद मिले। सभी बांग्लादेशी हैं। आपस में कोई भी रिश्ता नहीं मिला। इनके पास से जयपुर के एक अस्पताल के कागजात पाए गए। पूछताछ में पता चला कि मो. मुर्तजा अंसारी नाम का युवक इनको बुलवाता था। यह भी पता चला कि अंसारी की फोर्टिस अस्पताल में कुछ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी। यह कागज में हेरफेर कर फर्जीवाड़े से मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करा देते थे।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विरेंद्र यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से डिप्टी सिविल सर्जन, डीएमएस और सर्जन की टीम बनाकर मौके पर भेजा गया था। यहां मरीजों की जांच रिपोर्ट देखी गई है। इससे पता चला कि किडनी दानदाता और प्राप्तकर्ता में आपस में कोई संबंध नहीं है।

एसीपी सदर कपिल अहलावत ने कहा कि  गेस्ट हाउस से पकड़े गए सभी लोगों का मेडिकल कराया जा रहा है। पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर राजस्थान पुलिस का भी सहयोग लिया जाएगा।

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