Kisan Andolan 2024: जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा- हम मसलों का हल चाहते हैं, बच्चों को मरवाना नहीं चाहते

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर गुट और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की ओर से बुधवार को किसानों के दिल्ली कूच के आह्वान के विफल होने के बाद किसान नेताओं और युवाओं के बीच कई बार तीखी बहस होती दिखाई दी। युवा किसान हर हाल में बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ना चाहते थे, वहीं भाकियू सिद्धूपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई नेता उन्हें लगातार समझाते रहे कि हम बच्चों को नहीं मरवा सकते। एक को तो आज हमने खो दिया है। क्या हम बच्चों को खोकर मसले हल करवाने आए हैं। डल्लेवाल जब अलग-अलग किसान संगठनों के प्रधानों के साथ पैदल ही आगे बढ़े तो हरियाणा पुलिस ने कई गोले दागे गए, जिस कारण डल्लेवाल और पंधेर आदि नेताओं को मास्क लगाने के बावजूद सांस लेने में भी तकलीफ आने लगी और उन्हें लौटना पड़ा।

डल्लेवाल ने कहा,  युवाओं को मरने के लिए आगे नहीं भेज सकते

सभी किसान नेताओं के पीछे आने पर वहां पहुंचे युवा किसानों ने उन्हें आगे बढ़ने के आदेश देने को कहा लेकिन डल्लेवाल ने कहा कि हम युवाओं को मरने के लिए आगे नहीं भेज सकते। एक युवा ने चीख कर कहा कि प्रधान जी, अगर बैरिकेड तोड़ने के दौरान हमारी मौत हो गई तो इसके लिए हम खुद जिम्मेवार होंगे। आप हमें आगे बढ़ने दें। डल्लेवाल, जिन्हें गैस के गोले फेंकने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी ने उनसे हाथ जोड़कर कहा कि वे ऐसा न करें। हमने पहले भी शांतिपूर्वक 13 महीने आंदोलन लड़कर जीत प्राप्त की है। इस बार भी जीत मारी होगी। इस दौरान युवाओं की डल्लेवाल से काफी बहस हुई।

युवाओं और किसान नेताओं में बहस होती रही

 

यही नहीं, लगभग ऐसा ही एक और दृश्य स्टेज के बिल्कुल पास भी था जहां शाम को चार बजे बड़े-बड़े ट्रैक्टर, जेसीबी मशीनें और पोकलेन मशीनें खड़ी थीं, वहां युवाओं और किसान नेताओं में बहस होती रही। युवाओं का कहना था कि हम सारे काम धंधे छोड़कर यहां 13 फरवरी से बैठे हैं, या तो हमें बैरिकेड्स तोड़ने दो या फिर हम अपने घरों को लौट जाते हैं। खुद तो सारे लीडर पीछे चले गए हैं। क्या हम यहां गोलियां खाने के लिए आए हैं। इसी तरह एक ट्राली में बैठे किसान नेता डल्लेवाल और पंधेर को युवा किसानों ने घेर लिया और कहा कि आप लोग खुद यहां आराम कर रहे हो और हम लोग आगे जाकर आंसू गैस के गोले खा रहे हैं।

पिछले नौ दिनों से बैठे युवाओं में गुस्सा इसलिए भी बढ़ रहा था कि उन्हें लग रहा था कि अधिकांश लोग ऐसे घूम रहे हैं जैसे मेले में आए हों। एक युवा ने कहा कि इन्हें सात-सात रोटियां खिला दो..जो मेला देखने आए हैं। इनका क्या जाना है, बेटे तो हमारी माताओं ने खोने हैं। हम तो कागज की तलवारों से लड़ रहे हैं….युवा किसान बुधवार को भी पतंगों से ड्रोन को गिराने की कोशिश करते रहे। पटियाला के साहिब सिंह ने कहा कि पहले तलवारों से लड़ाइयां होती थीं, आज हम कागज की तलवारों से लड़ रहे हैं।

 

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