Kisan Andolan : खनौरी बॉर्डर पर सभी किसान भूख हड़ताल पर बैठे: डल्लेवाल का 11 किलो वजन घटा, दिल्ली कूच पर फैसला आज

किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल

नरेन्‍द्र सहारण, खनौरी बॉर्डर : Kisan Andolan : हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन एक नई दिशा में पहुंच गया है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून की मांग को लेकर 15 दिन से आमरण अनशन शुरू किया है। उनकी तबीयत गंभीर होती जा रही है, लेकिन आंदोलन में शामिल किसानों का हौसला कम होता नहीं दिख रहा। मंगलवार को किसानों ने पूरे दिन भूख हड़ताल पर रहकर संघर्ष तेज करने का फैसला लिया।

डल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत

डल्लेवाल का अनशन अब 15वें दिन में प्रवेश कर गया है। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही है। ब्लड प्रेशर 124/95, शुगर 93, और पल्स 87 तक गिर गई है। उनका वजन 11 किलो कम हो चुका है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि उनकी किडनी और लीवर पर गंभीर असर पड़ रहा है। सोमवार को जब डल्लेवाल के रिश्तेदार उनसे मिलने पहुंचे, तो वे भावुक हो गए। डल्लेवाल का कहना है कि यह आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई है, और जब तक MSP गारंटी कानून लागू नहीं होता, वे अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे।

भूख हड़ताल और लंगर बंद

किसानों ने मंगलवार को भूख हड़ताल कर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। आंदोलन के दौरान लंगर नहीं लगाया गया, और गांवों से भी किसी को लंगर लाने की अनुमति नहीं दी गई। यह रणनीति किसानों के दृढ़ निश्चय को दिखाती है। वहीं, 11 दिसंबर को डल्लेवाल की सेहत के लिए धार्मिक स्थलों पर अरदास करने की योजना बनाई गई है। किसानों ने अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस आंदोलन में शामिल हों और इसे मजबूत बनाएं।

दिल्ली कूच की योजना

किसान नेताओं ने मंगलवार को एक मीटिंग की, जिसमें दिल्ली कूच पर चर्चा हुई। पिछले कुछ दिनों में शंभू बॉर्डर और दिल्ली कूच की कोशिशों ने सरकार और किसानों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। 8 दिसंबर को किसानों ने दूसरी बार दिल्ली कूच की कोशिश की थी, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

शंभू बॉर्डर पर संघर्ष

8 दिसंबर को किसानों ने शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर मार्च करने की कोशिश की। 101 किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे धरनास्थल से निकला। पुल पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया और दिल्ली जाने का परमिशन लेटर मांगा। जब किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। इसके बाद वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया। इस घटना में 8 किसान घायल हो गए।

पुलिस की दोहरी रणनीति

 

दिलचस्प बात यह रही कि पुलिस ने किसानों पर कार्रवाई के बाद उन्हें चाय-बिस्किट और फूल भी ऑफर किए। लेकिन किसानों ने दिल्ली कूच पर अड़े रहने की बात कही। करीब पौने चार घंटे के गतिरोध के बाद किसान नेताओं ने जत्थे को वापस बुला लिया। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के बीच मीटिंग के बाद अगले कदम का फैसला होगा।

पहले भी हुआ संघर्ष

 

6 दिसंबर को भी किसानों ने दिल्ली कूच की कोशिश की थी। उस दिन किसानों ने शंभू बॉर्डर पर तीन लेयर की बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने आंसू गैस और पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया, जिससे 2-3 किसान घायल हो गए। करीब ढाई घंटे तक चले इस घटनाक्रम के बाद किसान धरनास्थल लौट आए। किसानों ने बैरिकेडिंग और कंटीले तार अपने साथ ले गए।

सफाई अभियान और आंसू गैस का असर

 

मंगलवार को शंभू बॉर्डर पर किसानों ने सफाई अभियान चलाया। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले का असर अभी भी महसूस किया जा रहा है। आंदोलन के दौरान फैली गंदगी को साफ किया गया।

किसानों की अपील और रणनीति

 

आंदोलन को लेकर किसानों ने साफ कहा है कि यह लड़ाई सिर्फ उनके हक की नहीं, बल्कि देश के हर किसान की है। उन्होंने सभी गांवों से अपील की है कि वे आंदोलन में शामिल हों और इसे और मजबूत करें। किसानों का कहना है कि सरकार का रवैया उनकी मांगों को लेकर असंवेदनशील है।

क्या चाहते हैं किसान?

किसानों की मुख्य मांग है कि MSP गारंटी कानून लागू किया जाए। उनका कहना है कि यह कानून किसानों को उनकी फसलों की सही कीमत दिलाने में मदद करेगा और उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी।

डल्लेवाल की लड़ाई का क्या होगा असर?

डल्लेवाल के अनशन ने आंदोलन को एक नई ऊर्जा दी है। उनकी बिगड़ती सेहत आंदोलन को और तेज कर रही है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को जल्द नहीं माना, तो वे बड़ा कदम उठाने को मजबूर होंगे।

हक, आत्मसम्मान और जीविका की लड़ाई

 

किसानों का यह आंदोलन केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुद्दा नहीं, बल्कि उनके हक, आत्मसम्मान और जीविका की लड़ाई है। सरकार और किसानों के बीच बढ़ता तनाव देश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर गहरा असर डाल सकता है। MSP गारंटी कानून को लेकर यह आंदोलन आने वाले दिनों में और उग्र हो सकता है।

 

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