Kisan Andolan: केंद्रीय कृषि मंत्री से किसान नेता आज चंडीगढ़ में करेंगे बैठक, डल्लेवाल भी रहेंगे मौजूद

कुरुक्षेत्र में किसान महापंचायत
नरेन्द्र सहारण, (खनौरी) संगरूर : Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) ने हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है, जो शनिवार को चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में उन किसानों के नेताओं की उपस्थिति भी रहेगी, जो खनौरी में पिछले 88 दिनों से अनशन पर बैठे हैं, जिसमें प्रमुखता से जगजीत सिंह डल्लेवाल शामिल होंगे। यह मीटिंग किसानों की आवाज़ को सुनने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है।
पिछले महीने, 14 फरवरी को हुई पांचवें दौर की बैठक में शिवराज सिंह चौहान अपने बेटे की शादी के कारण शामिल नहीं हो सके थे। इसलिए यह बैठक किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्री के बीच संवाद को फिर से स्थापित करने का एक अवसर है। विशेष रूप से, खनौरी में हाल ही में आयोजित कार्यक्रम ने किसानों के लिए एक नया संकल्प पैदा किया है।
कैंडल मार्च निकाला
संबंधित घटनाक्रम में शुक्रवार को किसान नेताओं ने दिल्ली कूच के समय मारे गए शुभकरण की बरसी पर शंभू और खनौरी में शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान एक कैंडल मार्च भी निकाला गया। जगजीत सिंह डल्लेवाल ने शुभकरण को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उसके निधन के बाद एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी मामले की जांच में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। खासकर, वह पुलिस अधिकारी जिन पर शुभकरण की मौत का आरोप है, अब तक दंडित नहीं हुए हैं।
डल्लेवाल ने आगे यह भी कहा कि पिछले वर्ष उन अधिकारियों को राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित करने की सिफारिश भी की गई थी, परंतु किसानों के विरोध के कारण इसे वापस लिया गया। ऐसे में, किसान समुदाय को न्याय की उम्मीद बरकरार है।
तो हरियाणा की ओर कूच
इस बीच शंभू में श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने स्पष्ट किया कि अगर बैठक में कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, तो वे 25 फरवरी को पैदल हरियाणा की ओर कूच करने का निर्णय लेंगे।
किसान आंदोलन के इन महत्वपूर्ण चरणों को देखते हुए, यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि भविष्य की संभावनाओं और दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने का एक चैनल बन सकती है। किसानों के बीच बढ़ती आकांक्षाएँ और सरकार के प्रति उनकी अपेक्षाएँ इस बैठक में स्पष्ट होना आवश्यक हैं।
किसानों के अधिकारों को लेकर लंबी लड़ाई
वर्तमान में भारत में कृषि नीति और किसानों के अधिकारों को लेकर एक लंबी लड़ाई चल रही है। पिछले वर्ष हुए आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया है कि किसान एकजुट हैं और वे अपने हकों के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इस संदर्भ में, केंद्रीय कृषि मंत्री का किसानों के साथ संवाद करना एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है।
किसान आंदोलन की वास्तविकता यह है कि यह अब केवल कृषि कानूनों की बहाली तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह किसानों के समग्र कल्याण और अधिकारों की एक व्यापक लड़ाई बन चुकी है। कई किसानों का मानना है कि सरकारी नीतियाँ उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण नहीं हैं, और उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद
किसान नेताओं की इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है, जैसे कृषि उपज की उचित कीमत, कृषि संबंधित ऋण, और अन्य आवश्यक सुविधाएँ। इसके अलावा, किसानों की मांगों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए रणनीतिक योजनाओं पर भी विचार किया जाएगा।
सरकार के सामने किसानों की चिंताएं और समस्याएं रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि वे समझ सकें कि कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह बैठक यह भी दर्शाएगी कि किसान नेता अपने समुदाय की आवाज़ को सही ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम हैं, और वे केंद्र की नीतियों में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस बैठक को संबोधित करते हुए, कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए समर्पित है, लेकिन किसान नेताओं को भी अपनी समस्याओं को स्पष्टता से प्रस्तुत करना होगा ताकि सरकार सही निर्णय ले सके।
वास्तव में इस बैठक की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि किसान नेता अपने मुद्दों को कैसे उठाते हैं और उनकी अपेक्षाएं क्या हैं। यह समय की मांग है कि किसान संगठनों को एकजुट होकर अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा।
भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़
संक्षेप में, यह बैठक भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है। अगर परिणाम सकारात्मक होते हैं, तो यह आंदोलन को एक नई दिशा दे सकता है और किसानों की उम्मीदों को एक बार फिर जगाने में मदद कर सकता है। दूसरी ओर, अगर बैठक निष्क्रिय रहती है, तो इससे किसानों के बीच और अधिक असंतोष और निराशा फैल सकती है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखा जा सकता है।
इसलिए यह न केवल केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान के लिए बल्कि किसानों के लिए भी एक निर्णायक क्षण है। दोनों पक्षों के लिए सही संवाद और समर्पण होना आवश्यक है ताकि किसानों के हितों की वास्तविक रक्षा हो सके।
इस बैठक में संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए हम आशा कर सकते हैं कि यह भारतीय कृषि क्षेत्र को स्थिरता और सुरक्षा की दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक होगी। अगर एसा हो पाता है, तो ये एक नई शुरुआत का संकेत हो सकता है, जिसमें किसान और सरकार के बीच बेहतर सहयोग और समझदारी हो सके।