Kisan Andolan: ढाई घंटे के संघर्ष के बाद किसान लौटे, एक दिन का अल्टीमेटम दिया: पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, 8 घायल
पटियाला, बीएनएम न्यूज : Kisan Andolan: शंभू बार्डर पर किसान आंदोलन शुक्रवार को अपने 298वें दिन पर पहुंच गया। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए दृढ़ थे, लेकिन हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले और मिर्ची स्प्रे का इस्तेमाल किया। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच ढाई घंटे तक तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। पुलिस की कार्रवाई में 16 किसान घायल हो गए, लेकिन इसके बावजूद किसानों ने केंद्र सरकार से वार्ता की संभावनाओं को देखते हुए एक दिन के लिए दिल्ली कूच स्थगित कर दिया। अब किसानों का अगला जत्था रविवार को दिल्ली की ओर बढ़ेगा।
दिल्ली कूच का प्रयास और पुलिस की सख्ती
शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) से जुड़े 101 किसानों का जत्था दोपहर करीब 1 बजे दिल्ली के लिए रवाना हुआ। किसानों ने शंभू बार्डर पर लगाए गए दो बैरिकेड्स और कंटीली तारों को तोड़ते हुए करीब 200 मीटर तक का सफर तय किया। इसके बाद, हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
धीरे-धीरे किसानों का आक्रोश बढ़ने लगा, और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए। करीब 26 आंसू गैस के गोले दागे गए, जिससे प्रदर्शन स्थल पर अफरा-तफरी मच गई। इस बीच, पुलिस ने किसानों को चेतावनी दी कि वे वापस लौट जाएं, क्योंकि पैदल भी आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
किसान नेता सुरजीत सिंह फूल समेत 16 किसान आंसू गैस और मिर्ची स्प्रे के कारण घायल हो गए। इसके बावजूद किसान झंडे और तिरंगे के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करते रहे। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पुलिस अधिकारियों से बातचीत की। इसके बाद, दोपहर करीब 3:30 बजे किसानों का जत्था वापस लौटा।
दिल्ली कूच स्थगित, लेकिन संघर्ष जारी
शंभू बार्डर पर लौटने के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हरियाणा पुलिस ने उनका मांगपत्र केंद्र सरकार तक पहुंचाने और वार्ता आयोजित करने का आश्वासन दिया है। इसी के चलते किसानों ने दिल्ली कूच को एक दिन के लिए टालने का निर्णय लिया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसान टकराव नहीं चाहते। अगर शनिवार को केंद्र सरकार वार्ता के लिए तैयार होती है, तो यह स्थिति को शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाएगी। अन्यथा, आठ दिसंबर को दोपहर 12 बजे 101 किसानों का अगला जत्था फिर से दिल्ली कूच करेगा।
शंभू बार्डर पर भारी सुरक्षा व्यवस्था
शंभू बार्डर पर फिलहाल करीब 1,500 किसान जुटे हुए हैं। हरियाणा पुलिस ने यहां तीन स्तरीय बैरिकेडिंग की है, जिसमें सीमेंट की पक्की दीवार भी शामिल है। इसके अलावा, वज्र वाहन और एंबुलेंस की तैनाती भी की गई है। किसान अपनी अगली रणनीति तय करने के लिए नेताओं के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।
खनौरी बार्डर पर डल्लेवाल का आमरण अनशन
संगरूर के खनौरी बार्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन शुक्रवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया। उन्होंने एक दिन पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से किसानों की मांगें पूरी कराने की अपील की थी।
डल्लेवाल ने कहा कि सरकार और पुलिस चाहे जितनी भी सख्ती दिखाए, लेकिन किसान संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि आंदोलन के उद्देश्य की पूर्ति के बिना वे पीछे नहीं हटेंगे।
किसानों की मुख्य मांगें
किसान आंदोलन में भाग ले रहे किसानों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के सामने कई मुद्दे रखे हैं। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
एमएसपी की गारंटी: सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाया जाए।
फसलों की उचित कीमत: फसलों की कीमतें डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय की जाएं।
कर्जमाफी और पेंशन: किसानों और खेत मजदूरों के कर्ज माफ किए जाएं और उन्हें पेंशन दी जाए।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम: 2013 का भूमि अधिग्रहण अधिनियम दोबारा लागू किया जाए।
लखीमपुर खीरी कांड: इस कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
मुआवजा और नौकरी: किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए।
विद्युत संशोधन विधेयक: 2020 के विद्युत संशोधन विधेयक को रद्द किया जाए।
मनरेगा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत हर साल 200 दिनों का काम और 700 रुपये दिहाड़ी सुनिश्चित की जाए।
आंदोलन की बढ़ती तीव्रता
किसानों के इस आंदोलन ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वे अपनी मांगों को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं। जहां एक तरफ दिल्ली कूच और खनौरी में आमरण अनशन जैसे कदम उनकी दृढ़ता को दिखाते हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार से वार्ता की उम्मीद उनकी शांति बनाए रखने की मंशा को दर्शाती है।
आगे की रणनीति
शनिवार को केंद्र सरकार के रुख पर आंदोलन की दिशा निर्भर करेगी। अगर वार्ता होती है और समाधान निकलता है, तो यह किसानों और सरकार दोनों के लिए सकारात्मक परिणाम लाएगा। अन्यथा, आंदोलन और तेज होगा, जिसमें किसान अपनी मांगों के लिए नए कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। किसानों का यह आंदोलन एक बड़े जनआंदोलन का रूप ले चुका है और इसके समाधान के लिए सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे।
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