Kisan Andolan: हरियाणा की इन सात सीटों पर किसान आंदोलन की दिखेगी तपिश, भाजपा-जजपा नेताओं का कर रहे खुलकर विरोध

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Kisan Andolan: लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सात सीटों पर किसान आंदोलन का ‘करंट’ दौड़ रहा है। हिसार, सिरसा, रोहतक, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, करनाल और अंबाला संसदीय क्षेत्रों में किसान फैक्टर का असर दिख सकता है। मौजूदा समय में हिसार और सिरसा में खुलकर किसान संगठन सत्ताधारी पार्टी भाजपा और जजपा के नेताओं का विरोध कर रहे हैं।

हरियाणा में किसान आंदोलन का असर बरकरार

 

इनके अलावा शेष पांच सीटों पर भी अंदर खाते दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों को किसानों का रोष झेलना पड़ सकता है। किसान आंदोलन को लेकर अभी आम किसान शांत हैं और समय आने पर अपने पत्ते खोलेंगे। सत्ताधारी पार्टी के सर्वे और खुफिया एजेंसी भी इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि हरियाणा में अभी किसान आंदोलन का असर बरकरार है। खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण हरियाणा की सीटों पर किसान आंदोलन का असर कम है। इनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीटें आती हैं। इनमें से भिवानी के क्षेत्र में कुछ असर है।

2020-21 में हुए किसान आंदोलन में यहां के किसानों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था, लेकिन यहां पर भारतीय किसान यूनियन का मजबूत संगठन नहीं होने के चलते अब किसान आंदोलन का इतना असर नहीं है। आंदोलन के समय मुख्य रूप से हरियाणा के जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, रोहतक, झज्जर, हिसार, सिरसा, सोनीपत, करनाल, अंबाला और पानीपत जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।

किसानों को साधने की कोशिश कर रहे विपक्षी दल

 

अब लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल किसान आंदोलन को मुद्दा बना रहे हैं और किसानों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर कांग्रेस और इनेलो इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं। हरियाणा में किसान फैक्टर का असर होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि किसानों के प्रति अच्छा संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झज्जर के गांव सिलानी के रहने वाले किसान रामवीर चाहर को संकल्प पत्र की पहली प्रति सौंपी थी।

विरोध का फैसला हो चुका, समर्थन पर अब होना है फैसला : रतन मान

 

भाकियू (टिकैत गुट) के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि लोकसभा चुनावों को लेकर भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा पहले से ही भाजपा और जजपा के विरोध का एलान कर चुके हैं। अब किसान किस पार्टी का साथ देंगे, इस संबंध में फैसला होना शेष है। राष्ट्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में ही यह फैसला लिया जाना है। बैठक में हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसान भी हिस्सा लेंगे। फिलहाल ये तय है कि किसानों की सुनवाई करने वालों को ही वोट दिया जाएगा। चुनावों के दौरान प्रदेश इकाई के पदाधिकारी सभी जिलों में जाएंगे और आंदोलन के दौरान किसानों पर हुए अत्याचार को याद दिलाएंगे, ताकि वह वोट की चोट मार सकें।

पूरा संगठन एक ही पार्टी को डालेगा वोट : चढूनी

भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि लोकसभा चुनावों को लेकर भाकियू की कमेटी फैसला करेगी कि आखिर संगठन के सदस्य किसको वोट और सपोर्ट करेंगे। लेकिन ये तय है कि भाकियू के सदस्य एक ही पार्टी को वोट डालेंगे। कमेटी के फैसले से पहले अगर भाकियू का कोई पदाधिकारी किसी भी राजनीतिक दल या नेता के साथ जुड़ा तो वह खुद को पदमुक्त समझे। चुनावों में किसान एकजुटता के साथ अपनी ताकत का अहसास कराएगा। भाजपा और जजपा की सरकार ने किसानों पर गोली और लाठियां चलाई हैं, इसलिए वह कभी भी हमारे नहीं हो सकते।

 

Tag-Loksabha Election 2024, Kisan Andolan, Farmer Protests, Haryana Protest, BJP JJP leaders oppose, Ratan Maan, Gurnam Singh Chadhuni

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