Kisan Andolan: हरियाणा के प्रमुख किसान संगठनों ने बनाई आंदोलन से दूरी, केवल मांगों का समर्थन

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। पंजाब के किसान संगठनों के 13 फरवरी के दिल्ली कूच आंदोलन से हरियाणा के प्रमुख किसान संगठनों ने किनारा कर लिया है। ये संगठन किसानों की मांगों का समर्थन जरूर करते है, लेकिन इस आंदोलन का नहीं। खास बात ये है कि हरियाणा के ये संगठन आंदोलन का विरोध भी नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है। इस आंदोलन में हरियाणा से अंबाला के भारतीय किसान यूनियन शहीद भगत सिंह संगठन और एसकेएम के नेता अभिमन्यू कुहाड़ अगुवाई की तैयारी में हैं।

बिना किसी रणनीति और तैयारी के आंदोलन में हिस्सा नहीं

 

दरअसल, हरियाणा के किसान संगठनों को इस बात को लेकर आपत्ति है कि न तो आंदोलन के लिए उनको निमंत्रण दिया गया है और न ही आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते समय उनसे कोई राय ली गई। ऐसे में बिना किसी रणनीति और तैयारी के आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया जा सकता।

गुरनाम सिंह चढूनी इस आंदोलन से दूर

पिछले किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले और हरियाणा पंजाब के किसानों का नेतृत्व करने वाले गुरनाम सिंह चढूनी इस आंदोलन से दूर हैं। चढ़ूनी का कहना है कि वह किसानों की मांगों का जरूर समर्थन करते हैं, लेकिन इस आंदोलन का नहीं है। क्योंकि आंदोलन से पहले पूरी तैयारी करनी होती है।

सभी संगठनों की राय लेनी चाहिए थी

लेकिन इस आंदोलन में कुछ संगठन ही शामिल हैं, जबकि एसकेएम इसके साथ नहीं है। चढूनी ने कहा कि, वे खुद मानते हैं कि सरकार ने वादा खिलाफी की है, लेकिन ये तो सभी संगठनों के साथ की है। आंदोलन से पहले संगठनों की राय लेनी चाहिए थी और इसके साथ दिल्ली कूच करना चाहिए। वह तब तक इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे, जब तक उन्हें बुलाया नहीं जाता और उनसे राय नहीं ली जाती। सरकार को चाहिए कि किसानों की मांगों को पूरा करे। साथ ही वह अपील करते हैं कि किसानों के प्रति सरकार सख्ती न बरते।

सरपंचों को भी आह्वान का इंतजार

हरियाणा सरपंच एसोसिएशन ने आंदोलन का समर्थन किया है। हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष रणबीर समैण का कहना है कि सरपंच आंदोलन में पूरी मदद के लिए तैयार हैं। क्योंकि हम खुद सभी किसान हैं। अगर किसान संगठन मदद के लिए और आंदोलन में हिस्सेदारी के लिए आह्वान करते हैं कि वह तैयार हैं। इसलिए सरपंचों से भी मदद का आह्वान किया जाएगा। उधर, खाप पंचायतों की ओर से भी आंदोलन को लेकर कोई पत्ते नहीं खोले गए हैं।

बिना किसी सलाह के आंदोलन

भाकियू (टिकैत) के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि किसी भी आंदोलन का समर्थन और विरोध तब होता है, जब किसी ने कोई राय ली हो। ये आंदोलन हमारे से बिना किसी सलाह के शुरू किया जा रहा है। इसलिए हम इसमें हिस्सा नहीं लेंगे। जहां तक मांगों की बात है तो वो सरकार को पूरी करनी चाहिए।

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