Kisan Andolan: पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां, किसानों का दिल्ली कूच फिर विफल, एक किसान ने निगला जहर
नरेन्द्र सहारण, अंबाला शहर : Kisan Andolan: हरियाणा में शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच एक बार फिर संघर्ष देखने को मिला। दिल्ली कूच की कोशिश कर रहे किसानों ने शनिवार को पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों ने किसानों को रोकने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। रबर की गोलियां भी चलाई गईं, जिसमें 17 किसान घायल हो गए। एक किसान की आंख बुरी तरह जख्मी हो गई।
सल्फास निगल लिया
कूच करने में असफल रहने पर, दोपहर 3:15 बजे लुधियाना के रत्नहेड़ी गांव के 50 वर्षीय किसान जोधा सिंह ने सल्फास निगल लिया। उन्हें पंजाब के राजपुरा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई। तनावपूर्ण माहौल के बीच किसान नेताओं ने जत्थे को वापस बुला लिया और 18 दिसंबर तक दिल्ली कूच के फैसले को स्थगित कर दिया। साथ ही, 16 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च और 18 दिसंबर को पंजाब में रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया। यह घटना एक सप्ताह में तीसरी बार हुई है जब किसानों ने दिल्ली कूच का असफल प्रयास किया।
महिलाओं को जत्थे में शामिल करने की योजना
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शंभू बॉर्डर पर पत्रकारवार्ता के दौरान घोषणा की कि अगला जत्था हरियाणा के किसानों, महिलाओं और बच्चों को शामिल करते हुए दिल्ली कूच करेगा। उन्होंने कहा कि रविवार को सुबह 11 बजे एक और पत्रकारवार्ता की जाएगी, जिसमें घायल किसानों की स्थिति और आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
एक्सपायर आंसू गैस के गोले दागने का आरोप
पंधेर ने यह भी आरोप लगाया कि किसानों पर एक साल पहले एक्सपायर हो चुके आंसू गैस के गोले दागे गए। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि इसका रिकॉर्ड दर्ज न हो सके। इसके साथ ही, रबर की गोलियां भी चलाई गईं, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ गया।
केमिकल युक्त पानी का इस्तेमाल करने का आरोप
किसान नेताओं ने पुलिस पर यह आरोप लगाया कि वाटर कैनन के जरिए ठंड में घग्गर नदी के केमिकल युक्त पानी का इस्तेमाल किया गया। उस समय किसान एसपी और डीसी से बातचीत कर रहे थे। इस पानी के कारण किसानों को ठंड और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा।
अंबाला के डीसी का बयान: बड़ा डेवलपमेंट होने का दावा
अंबाला के डीसी और एसपी ने शनिवार दोपहर करीब 12 बजे किसानों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि 18 दिसंबर तक किसानों की मांगों पर बड़ा डेवलपमेंट हो सकता है। डीसी ने किसानों से सुप्रीम कोर्ट और हाई पावर कमेटी पर भरोसा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए प्रयासरत है। हालांकि, किसान इस बात पर सहमत नहीं हुए और बैरिकेडिंग तोड़ने का कई बार प्रयास किया।
इंटरनेट सेवाएं बंद
हरियाणा सरकार ने किसानों के दिल्ली कूच से पहले अंबाला जिले के 12 गांवों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं। इन सेवाओं को अब 18 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। यह प्रतिबंध सुबह 6 बजे से 17 दिसंबर की रात 12 बजे तक जारी रहेगा।
कांग्रेस किसान मोर्चा का समर्थन
किसानों को समर्थन देने के लिए कांग्रेस किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग पूनिया भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा, “सरकार एक तरफ कह रही है कि वे किसानों को नहीं रोक रहे, दूसरी तरफ आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाकर किसानों के साथ पाकिस्तान बॉर्डर जैसा व्यवहार किया जा रहा है।” पूनिया ने यह भी सवाल उठाया कि जब नेता दिल्ली जाकर प्रदर्शन करते हैं, तो क्या वे अनुमति लेते हैं?
पुलिस का पक्ष: केमिकल वाले पानी के आरोप गलत
अंबाला के एसपी सुरेंद्र सिंह भोरिया ने कहा कि किसानों को रोकने के लिए केवल प्लेन वाटर का इस्तेमाल किया गया। केमिकल वाले पानी के आरोप पूरी तरह से गलत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को कानून अपने हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। यदि वे दिल्ली जाना चाहते हैं, तो अनुमति लेकर जाएं।
किसानों की आगे की रणनीति
किसानों ने 18 दिसंबर तक दिल्ली कूच स्थगित करने का निर्णय लिया है। इस बीच 16 दिसंबर को देशभर में ट्रैक्टर मार्च और 18 दिसंबर को पंजाब में रेल रोको आंदोलन का आयोजन किया जाएगा। किसान नेता इस दौरान अपनी रणनीति को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
आंदोलन से जुड़ी मुख्य बातें
-किसानों ने एक सप्ताह में तीसरी बार दिल्ली कूच का असफल प्रयास किया।
– पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया।
-17 किसान घायल हुए, जबकि एक ने आत्महत्या का प्रयास किया।
– किसान नेताओं ने अगली रणनीति के तहत महिलाओं को भी शामिल करने का ऐलान किया।
– 16 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च और 18 दिसंबर को रेल रोको आंदोलन किया जाएगा।
किसानों की मांगें और सरकार का रुख
किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। दूसरी तरफ, सरकार का दावा है कि उनकी मांगों पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
सामाजिक समर्थन और आंदोलन की गति
किसानों के इस आंदोलन को विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का समर्थन मिल रहा है। हालांकि, बार-बार पुलिस और किसानों के बीच झड़पों के कारण आंदोलन के स्वरूप और प्रभाव पर सवाल उठ रहे हैं। आने वाले दिनों में किसानों की अगली रणनीति और सरकार की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होगा कि इस मुद्दे का समाधान कैसे और कब तक निकलेगा।
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