Kisan Andolan: खनौरी बॉर्डर से किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में लेने से माहौल गर्माया

किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल

नरेन्‍द्र सहारण , जींद खनौरी बॉर्डर : Kisan Andolan: हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन ने नया मोड़ ले लिया है। सोमवार को मरणव्रत पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्हें पंजाब पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से उठाकर लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में दाखिल कराया। इस कार्रवाई के बाद आंदोलनकारी किसानों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है।

डल्लेवाल की गिरफ्तारी के विरोध में किसानों ने खनौरी बॉर्डर पर भारी संख्या में जुटना शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारी सरकार पर किसानों की आवाज दबाने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, पुलिस ने डीएमसी अस्पताल को पूरी तरह से घेर लिया है, जिससे किसी को भी डल्लेवाल से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही।

किसानों का आरोप: सरकार डरी हुई है

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि जगजीत सिंह डल्लेवाल शांतिपूर्ण तरीके से मरणव्रत पर बैठे थे। उनके नेतृत्व में आंदोलन तेज हो रहा था, जिसे देखकर सरकार घबरा गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने रात के समय बिना किसी सूचना के डल्लेवाल को उनके तंबू से उठाया।

कोहाड़ ने कहा, “हम सरकार के इस दमनकारी रवैये का कड़ा विरोध करते हैं। डल्लेवाल को आतंकवादियों की तरह उठाकर पुलिस कस्टडी में रखना लोकतंत्र की हत्या है।” उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे खनौरी बॉर्डर पर पहुंचें और इस आंदोलन को बड़ा बनाएं।

अस्पताल में भी अनशन जारी

सूत्रों के अनुसार, लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में डल्लेवाल ने कुछ भी खाने या इलाज करवाने से इनकार कर दिया है। वह अपनी मांगों पर अडिग हैं और वहीं अनशन जारी रखे हुए हैं। किसानों का कहना है कि डल्लेवाल को हिरासत में लेकर सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह आंदोलन और तेज होगा।

शंभू बॉर्डर का मामला

इस बीच, हरियाणा और पंजाब के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने को लेकर चर्चा जारी है। 4 फीट का रास्ता खोलने पर सहमति बनी है, जिससे किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के बिना आगे बढ़ सकें। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है।

कांग्रेस ने साधा निशाना: भाजपा सरकार किसान विरोधी

 

कांग्रेस महासचिव और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने डल्लेवाल की गिरफ्तारी पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।

सैलजा ने कहा, “किसान पहले भी आंदोलनरत थे और आज भी हैं। भाजपा सरकार ने किसानों से किए वादे पूरे नहीं किए। खाद-बीज और उर्वरकों के लिए किसान आज भी लाइनों में खड़े हैं। यदि सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला, तो देश का किसान अगली बार सरकार बदल देगा।”

खनौरी बॉर्डर पर बढ़ती भीड़

डल्लेवाल की गिरफ्तारी के बाद खनौरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हरियाणा, राजस्थान, यूपी और पंजाब के किसान बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। आंदोलन के मद्देनजर पुलिस ने इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया है।

किसान नेताओं ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर डल्लेवाल को तुरंत रिहा नहीं किया गया, तो खनौरी बॉर्डर पर बड़ा आंदोलन खड़ा होगा।

बीजेपी पर आरोप: जुमलेबाज सरकार

सैलजा ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ वादे करना जानती है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने आंकड़ों के मुताबिक किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, लेकिन हकीकत में किसान की हालत बदतर हो चुकी है।

सैलजा ने कहा, “भाजपा सरकार जुमलेबाज सरकार है। किसान नहीं जानता कि अगले महीने या साल में उसकी स्थिति क्या होगी।”

किसानों की मांगें

डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं ने आंदोलन के जरिए निम्नलिखित मांगें रखी थीं:

फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाना।
किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को तुरंत वापस लेना।
फसलों के लिए समय पर खाद-बीज और उर्वरकों की आपूर्ति।
कृषि कानूनों से जुड़े सभी विवादों का स्थायी समाधान।

आंदोलन का भविष्य

 

डल्लेवाल की गिरफ्तारी के बाद किसानों में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है। आंदोलनकारी नेताओं का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ डल्लेवाल की रिहाई तक सीमित नहीं है। किसान सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।

अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सरकार किसानों की एकता और संघर्ष की ताकत को कम आंक रही है। “अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं, तो यह आंदोलन पूरे देश में फैल जाएगा।”

सरकार और किसानों के बीच टकराव

खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन ने गंभीर मोड़ ले लिया है। सरकार और किसानों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। डल्लेवाल की गिरफ्तारी ने किसानों के संघर्ष को और धार दे दी है।

किसान नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन न केवल किसानों की आवाज है, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी है। आने वाले दिनों में यह आंदोलन कितना बड़ा रूप लेगा, यह सरकार की प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करेगा।

 

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