जानें हरियाणा के अंशुल कंबोज के बारे में, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में 10 विकेट लेकर टीम इंडिया का दरवाजा खटखटाया

अंशुल कंबोज
नरेन्द्र सहारण, रोहतक : हरियाणा के युवा तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज (Anshul Kamboj) ने भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक यादगार उपलब्धि हासिल कर ली है। रणजी ट्रॉफी के मुकाबले में केरला के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने अपनी घातक गेंदबाजी से हर किसी को हैरान कर दिया। अंशुल ने एक ही पारी में सभी दस विकेट लेकर एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसे वर्षों तक याद रखा जाएगा। यह कारनामा करने वाले वह हरियाणा के पहले और भारत के कुल तीसरे गेंदबाज बन गए हैं। उन्होंने यह दुर्लभ उपलब्धि लगभग चार दशक बाद हासिल की है। इससे पहले 1985-86 में राजस्थान के प्रदीप सुंदरम ने और 1956-57 में बंगाल के प्रेमांगसु चटर्जी ने यह अद्वितीय उपलब्धि हासिल की थी।
कैसे रचा अंशुल ने इतिहास
रणजी ट्रॉफी का यह महत्वपूर्ण मैच रोहतक के चौधरी बंसीलाल क्रिकेट ग्राउंड, लाहली में खेला गया। बुधवार को शुरू हुए इस मुकाबले में हरियाणा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। हालांकि, टीम अधिक रन नहीं बना सकी और केरला को बल्लेबाजी का निमंत्रण दिया। गेंदबाजी की बारी आते ही हरियाणा के तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज ने केरला के बल्लेबाजों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया।
पहले दो दिन के खेल में केरल के आठ विकेट गिर चुके थे, और ये सभी विकेट अंशुल के खाते में आए। तीसरे दिन के खेल की शुरुआत में हरियाणा के कप्तान ने अंशुल पर ही भरोसा जताया और उन्हें गेंदबाजी का जिम्मा सौंपा। अंशुल ने कप्तान की उम्मीदों को पूरा करते हुए नौवां विकेट चटकाया, जिससे स्टेडियम में मौजूद हर दर्शक रोमांचित हो उठा। अब सबकी नजरें अंतिम विकेट पर टिकी थीं, और जैसे ही उन्होंने केरला के बल्लेबाज शौन रोजर को आउट किया, अंशुल ने खुशी में बाहें फैलाकर आसमान की ओर देखा। उनकी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। यह शानदार प्रदर्शन देखकर हर कोई उनकी तारीफों के पुल बांध रहा था। अंशुल ने केरला की पूरी टीम को 291 रन पर समेट दिया। उन्होंने 30.1 ओवर में 49 रन देकर यह दस विकेट लिए और इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवा लिया।
कौन हैं अंशुल कंबोज?
अंशुल कंबोज का सफर भी उतना ही प्रेरणादायक है जितना कि उनका यह कारनामा। अंशुल का जन्म 6 दिसंबर 2000 को हरियाणा के करनाल में हुआ। क्रिकेट में उनका पदार्पण 17 फरवरी 2022 को हुआ, जब उन्होंने हरियाणा के लिए 2021-22 रणजी ट्रॉफी में पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला। इसके बाद उन्होंने 2022-23 सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में टी-20 क्रिकेट में डेब्यू किया और फिर 2022-23 विजय हजारे ट्रॉफी में लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत की।
उनकी प्रतिभा सिर्फ घरेलू क्रिकेट तक सीमित नहीं रही। अंशुल 2024 एसीसी इमर्जिंग टीम एशिया कप में भारत ए टीम का हिस्सा रहे, जहाँ उन्होंने अपनी तेज गेंदबाजी से प्रभावित किया। उनकी काबिलियत को देखते हुए मुंबई इंडियंस ने उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 के लिए अपनी टीम में शामिल किया। विजय हजारे ट्रॉफी 2023-24 में भी अंशुल ने अपनी गेंदबाजी का जलवा दिखाया। हरियाणा के लिए खेले गए 10 मैचों में उन्होंने कुल 17 विकेट लेकर टीम को खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके नाम अब तक 47 प्रथम श्रेणी विकेट, 23 लिस्ट-ए विकेट और 17 टी-20 विकेट दर्ज हो चुके हैं।
लाहली: ऐतिहासिक पलों का गवाह
चौधरी बंसीलाल क्रिकेट ग्राउंड, लाहली इस ऐतिहासिक मैच का गवाह बना। इस मैदान का भारतीय क्रिकेट में विशेष महत्व है, क्योंकि यहाँ पर क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर का अंतिम रणजी ट्रॉफी मैच 2017 में खेला था। उस मैच में सचिन ने पहली पारी में 17 रन बनाए थे, जबकि दूसरी पारी में एक अर्धशतकीय पारी खेलते हुए मुंबई को जीत दिलाई थी। अब अंशुल के इस अद्वितीय प्रदर्शन ने लाहली को एक और ऐतिहासिक पल दे दिया है।
एक पारी में दस विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाजों की सूची
क्रिकेट के इतिहास में एक पारी में दस विकेट लेना एक दुर्लभ उपलब्धि है। इस सूची में अब अंशुल कंबोज का नाम भी शामिल हो गया है। आइए एक नजर डालते हैं इस अद्वितीय उपलब्धि को हासिल करने वाले अन्य भारतीय गेंदबाजों पर:
प्रेमांगसु चटर्जी (बंगाल बनाम असम, 1956-57): 10 विकेट देकर 20 रन
सुभाष गुप्ते (मुंबई बनाम पाकिस्तान कंबाइंड सर्विसेज और बहावलपुर XI, 1954-55): 10 विकेट देकर 78 रन
प्रदीप सुंदरम (राजस्थान बनाम विदर्भ, 1985-86): 10 विकेट देकर 78 रन
अनिल कुंबले (भारत बनाम पाकिस्तान, 1999): 10 विकेट देकर 74 रन
देबासिस मोहंती (पूर्वी क्षेत्र बनाम दक्षिण क्षेत्र, 2000-01): 10 विकेट देकर 46 रन
अंशुल कंबोज (हरियाणा बनाम केरला, 2024-25): 10 विकेट देकर 49 रन
अंशुल का यह कारनामा: प्रेरणा का स्रोत
अंशुल कंबोज का यह कारनामा न केवल उनकी मेहनत का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट में उभरते हुए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कहानी भी कहता है। उनकी सफलता अन्य युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा बन गई है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद क्रिकेट जगत में उनकी चर्चा हर ओर हो रही है।
हरियाणा के इस युवा गेंदबाज ने साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। यह उपलब्धि अंशुल के करियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है और उन्हें भविष्य में भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए प्रेरित करेगी।
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