मद्रास हाई कोर्ट में वकील ने अर्जी देकर कहा, वेश्यालय चलाना चाहता हूं, मदद किजिए, तिलमिला गए जज

चेन्नई, एजेंसी। मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक वकील को कड़ी फटकार लगाते हुए ना सिर्फ उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना ठोका है बल्कि उसकी अर्जी भी खारिज कर दी। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने बार काउंसिल से कहा है कि वह प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़कर आए लोगों को ही सदस्यता दें।

याचिकाकर्ता वकील ने अपनी अर्जी में कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल में वेश्यालय चलाने के लिए अदालत से संरक्षण की मांग की थी। वकील ही एक ट्रस्ट के माध्यम से वेश्यालय चला रहा था और पुलिस की कार्यवाही से बचने के लिए उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

वकील की अर्जी पर भड़के जज

मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के जस्टिस बी पुगलेंधी इस अर्जी पर ऐसा भड़के कि उन्होंने तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल को याचिकाकर्ता वकील के बार काउंसिल में निबंधन और उसकी लॉ समेत अन्य शैक्षणिक डिग्री की वास्तविकता और प्रमाणिकता का पता लगाने का भी निर्देश दे दिया।

5 जुलाई को पारित आदेश में जस्टिस बी पुगलेंधी ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि बार काउंसिल समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा में आ रही गिरावट पर ध्यान दे। साथ ही कहा कि बार निकाय को केवल प्रतिष्ठित कॉलेजों के सदस्यों को ही नामांकित करना चाहिए।

वकील ने वेश्यालय चलाने के लिए संरक्षण की मांग की

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि अर्जी में एक वकील ने ये दावा किया है कि वह वेश्यालय चला रहा है। उस वकील ने वेश्यालय को चलाने के लिए कुछ संरक्षण की मांग करते हुए यह रिट याचिका दायर की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।

वकील ट्रस्ट के माध्यम से चला रहा था वेश्यालय

एडवोकेट राजा मुरुगन ने अपनी याचिका में दावा किया कि वह फ्रेंड्स फॉर एवर ट्रस्ट नामक ट्रस्ट का संस्थापक है। ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों और ग्राहकों के लिए ऑयल मसाज और सेक्स संबंधी सेवाओं सहित वयस्क मनोरंजन और अन्य संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देना है। मुरुगन ने दावा किया कि उसके ट्रस्ट में स्वेच्छा से सेक्स वर्कर्स भी जुड़ी हुई हैं।

पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए कोर्ट में अर्जी

मुरुगन ने याचिका में दावा किया कि स्थानीय पुलिस ने उसके ट्रस्ट पर छापा मारा और उसे काम करने से रोका। पुलिस ने इस वकील के खिलाफ भी चार्जशीट तैयार की थी। इसलिए, इस अर्जी में वकील ने अपने खिलाफ दायर FIR को रद्द करने और वेश्यालय चलाने के लिए अदालत से परमादेश (Mandamus) जारी करने का अनुरोध किया था कि पुलिस उसके काम में दखल न दे लेकिन जज साहब यह सब देखकर भड़क गए।

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