Loksabha Election 2024: बिहार में भाजपा को हराने के लिए अपनी सीटें छोड़ने को तैयार वामदल
पटना, BNM News। Loksaha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) में सीट बंटवारे को लेकर ज्यादा पेच फंसने की गुंजाइश नहीं दिख रही है, क्योंकि बिहार में भाजपा को हराने के लिए वामदल अपने दावे की सीटें भी INDIA को देने को तैयार हैं। इसका कारण भी है। राज्य में लोकसभा की कुल चालीस सीटें हैं, लेकिन इसमें तीन-चार सीटों पर ही भाकपा, माकपा और भाकपा-माले मजबूत स्थिति में दिखती है।
प्रत्येक सीट पर संयुक्त उम्मीदवार ही उतारेंगे
माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने बताया कि भले ही अब तक न तो INDIA में राष्ट्रीय स्तर पर सीट शेयरिंग का फार्मूला निकाला जा सका, ना ही पीएम फेस पर सहमति हो पाई है, किंतु प्रदेश में राजद, जदयू, कांग्रेस और वाम दल पूरी तरह एकजुट होकर भाजपा को हराने का काम करेंगे। प्रत्येक सीट पर अपना संयुक्त उम्मीदवार ही उतारेंगे। हमने उजियारपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और महाराजगंज सीट का प्रस्ताव महागठबंधन में रखा है, लेकिन भाजपा को केंद्र की सत्ता से बेदखल करने हेतु अपने दावे की सीटें भी कुर्बान करनी पड़ी तो करेंगे।
लेफ्ट पार्टियों ने भेजा प्रस्ताव
इधर, भाकपा ने बेगूसराय, मधुबनी और बांका लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव महागठबंधन में रखा है। इसी तरह भाकपा माले ने आरा, जहानाबाद, सिवान, काराकट, वाल्मीकिनगर, पाटलिपुत्र, बक्सर और कटिहार सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन, इन दलों को अपनी सच्चाई मालूम है। इसीलिए माकपा हो या भाकपा, ये सब भाजपा को हराने के लिए अपने दावे की सीटें महागठबंधन को देने को तैयार हैं। वैसे भी जमीनी पड़ताल की जाए तो भाकपा बेगूसराय में, माकपा उजियारपुर में और माले आरा और काराकट में मजबूत स्थिति में है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आरा सीट पर माले उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था। जबकि, बेगूसराय में भाकपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थी।
भाजपा को हराना हे मुख्य मकसद
बिहार महागठबंधन में सीट शेयरिंग के मामले में जदयू व राजद ड्राइविंग सीट पर हैं, क्योंकि यही दल तय करेंगे कि भाजपा को हराने के लिए वाम दलों व कांग्रेस को कितनी सीटें दी जाएं। यदि माले को दो, माकपा और भाकपा को एक-एक सीट भी मिलती है तो ये दल विरोध नहीं करेंगे, क्योंकि वाम दलों का मानना है कि हमारा मकसद भाजपा को हराना है। ये दल सिर्फ यह चाहते हैं कि सीट शेयरिंग के मामले में घटक दलों के बीच आम सहमति बन जाए, ताकि कार्यकर्ता और नेता अपनी पूरी ताकत के साथ अभी से चुनाव प्रचार में उतर सकें।