Loksabha Election 2024: गाजीपुर सीट पर 35 साल से कोई दोबारा चुनाव नहीं जीत सका

गाजीपुर, BNM News। सांसद अफजाल अंसारी ने पिछले दिनों बसपा छोड़कर फिर से साइकिल की सवारी करने का फैसला लिया है। समाजवादी पार्टी ने उन्हें गाजीपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। भाजपा की ओर से कई नामों की चर्चा हो रही है। लेकिन जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने बेटे अभिनव सिन्हा के लिए दावेदारी की है। इसके लिए उन्होंने मनोज सिन्हा से भी मुलाकात की है। इससे राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। अब अफजाल अंसारी 35 वर्ष पुराने रिकॉर्ड की बराबरी का सपना देख रहे हैं। इस अवधि में कोई भी प्रत्याशी दोबारा चुनाव नहीं जीत सका है।

पिछली बार मनोज सिन्हा को नहीं मिल सकी सफलता

 

यहां के चुनावी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो कोई भी सांसद लगातार दूसरी बार जीत नहीं पाया है। पिछली बार मनोज सिन्हा के सामने इस परिपाटी को तोड़ने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। मनोज सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर आखिरी बार कांग्रेस नेता जैनुल बशर लगातार दो बार 1980 और 1984 के चुनाव में जीते थे। 1989 से कोई भी उम्मीदवार किसी न किसी कारण के चलते जीत का सिलसिला कायम नहीं रख पाया। निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, मनोज सिन्हा पहली बार 1996 में भाजपा के टिकट पर संसद पहुंचे, लेकिन 1998 के चुनाव में हार गए। 1999 में गाजीपुर से दोबारा चुनाव जीते थे। 2004 में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा था।

2014 मनोज सिन्हा इस सीट से तीसरी बार सांसद बने, लेकिन, 2019 में उन्हें अफजाल अंसारी ने 1,19,392 वोटों के अंतर से हरा दिया था। इससे पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राधेमोहन सिंह को सपा का टिकट नहीं मिला था। लिहाजा, वह दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ सके। 1989 में जगदीश कुशवाहा निर्दलीय और 1991 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विश्वनाथ शास्त्री चुनाव जीते थे, लेकिन ये दोनों दूसरी बार संसद नहीं पहुंच पाए थे। 2019 के चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अफजाल अंसारी इस बार सपा से किस्मत आजमाएंगे। वह 35 वर्ष पुराने रिकाॅर्ड की बराबरी करने का सपना देख रहे हैं।

पांच बार विधायक और दो बार सांसद बने

 

पांच बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए अफजाल अंसारी 1985 में मुहम्मदाबाद से वह पहली बार भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से विधायक बने थे। इसके बाद वर्ष 1996 तक लगातार पांच बार विधानसभा में पहुंचते रहे। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में अफजाल अंसारी हार गए। लेकिन, 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गाजीपुर संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी ने पहली बार टिकट दिया था। इस चुनाव में अफजाल अंसारी ने भाजपा के खिलाफ जीत दर्ज की। इसके बाद अफजाल 2009 और 2014 में चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन से भाजपा के सांसद मनोज सिन्हा को हराकर लोकसभा में पहुंचे थे।

दुर्भाग्य ने नहीं छोड़ा पीछा, 27 जून को बाहर आए

 

2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से अफजाल अंसारी चुनाव जीते थे। लेकिन, 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या मामले में मुख्तार अंसारी के साथ अफजाल अंसारी को आरोपी बनाया गया। अफजाल अंसारी ने इस मामले में कोर्ट में समर्पण कर दिया। लगभग दो वर्ष जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आए। दूसरी बार 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के टिकट पर अफजाल अंसारी चुनाव लड़े। उन्होंने मनोज सिन्हा को 1,19,392 मतों से पराजित किया। बसपा सांसद के रूप में वह लोकसभा पहुंचे, लेकिन दुर्भाग्य ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।

सजा मिली, फिर सांसदी गई, सुप्रीम कोर्ट ने बहाल किया

संसदीय कार्यकाल के अंतिम वर्ष में उन्हें गैंगस्टर के मुकदमे में 29 अप्रैल को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी को सजा सुनाई थी, जिसके बाद अफजाल अंसारी जिला कारागार में भेज दिए गए। हाईकोर्ट से जमानत मंजूर कर ली थी। इसके बाद वह 27 जून 2023 को जेल से बाहर आए और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए। जहां से उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी गई।

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