Loksabha Election 2024: हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राह में बागियों ने बिछाये कांटे, जानें किन-किन सीटों पर बिगाड़ सकते हैं खेल

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Loksabha Election 2024: हरियाणा में कांग्रेस के टिकटों की घोषणा के साथ ही टिकट के दावेदारों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। राज्य की फरीदाबाद, हिसार, भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां टिकट आवंटन के बाद बाकी दावेदारों की नाराजगी बढ़ गई। फरीदाबाद, हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ में टिकट से वंचित दावेदारों ने जहां अपने समर्थकों की बैठकें बुलाकर कांग्रेस हाईकमान के प्रति अपने गुस्से का इजहार कर दिया, वहीं अब गुरुग्राम में भी स्थिति बिगड़ने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

हुड्डा के के समधी पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल नाराज

कांग्रेस हाईकमान ने टिकटों के आवंटन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद-नापसंद का पूरा ध्यान रखा है। हुड्डा से सबसे ज्यादा उनके समधी पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल नाराज हैं। दलाल फरीदाबाद लोकसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे थे। वहां कांग्रेस ने पूर्व राजस्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया है। महेंद्र प्रताप सिंह करीब 20 साल पहले भाजपा के मौजूदा उम्मीदवार केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को लोकसभा चुनाव में पराजित कर चुके हैं। हुड्डा हालांकि दलाल को ही फरीदाबाद से टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन जातीय समीकरण आड़े आ गए। दलाल पर फरीदाबाद से निर्दलीय चुनाव लड़ने का दबाव है। हुड्डा के सामने दलाल यह कदम उठा पाएंगे, हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है, लेकिन वे महेंद्र प्रताप सिंह का खुलकर साथ देंगे, इसकी भी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है।

राव दान को किरण-श्रुति चौधरी का समर्थन मिलने की उम्मीद कम

कांग्रेस की गुटबाजी का असर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर भी सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। हुड्डा ने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करते हुए भिवानी से कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का टिकट कटवा दिया है। किरण को एसआरके (सैलजा-रणदीप सुरजेवाला-किरण चौधरी) गुट की नेता माना जाता है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की हार का ठीकरा भी किरण चौधरी पर ही फोड़ा जा रहा है। कांग्रेस ने यहां हुड्डा के बेहद नजदीकी राव दान सिंह को टिकट दिया है। राव दान सिंह हालांकि किरण को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। किरण ने उनसे बातचीत करने में रुचि भी दिखाई है, मगर वे चुनाव में राव दान सिंह का साथ देंगी, इसकी संभावना नहीं है। किरण चौधरी और श्रुति भिवानी में समर्थकों की बैठक बुलाकर औपचारिक रूप से घोषणा कर चुकी हैं कि वे पार्टी के फैसले के साथ हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने इस बैठक में यह भी तंज कसा था कि जिस तरह से पहले के चुनाव में राव दान सिंह ने उनकी मदद की, उसी तरह की मदद वे भी करेंगे।

बीरेंद्र सिंह नहीं करेंगे जयप्रकाश का समर्थन

हुड्डा ने तीसरा झटका हाल में कांग्रेस में शामिल हुए अपने ममेरे भाई पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और भांजे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को दिया है। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए बृजेंद्र सिंह को उम्मीद थी कि हिसार से हुड्डा उनकी टिकट की पैरवी करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हुड्डा हिसार में अपने नजदीकी पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश जेपी को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। इससे नाराज बीरेंद्र सिंह और बृजेंद्र सिंह ने अपने समर्थकों की बैठक बुलाकर यह तो कहा कि टिकट नहीं मिलने का उन्हें कोई मलाल नहीं है, लेकिन बीरेंद्र सिंह कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश जेपी की मदद करेंगे, इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं है। सिरसा से कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होकर बीरेंद्र सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में वह एसआरके गुट के साथ मिलकर राजनीति करने में अधिक फायदा समझते हैं।

राजबब्बर को कैप्टन अजय का समर्थन मिलने की उम्मीद कम

कांग्रेस में असंतोष की दृष्टि से चौथी सीट गुड़गांव लोकसभा की है, जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मित्र फिल्म अभिनेता व पूर्व सांसद राज बब्बर को चुनाव लड़वाया जा रहा है। इस टिकट पर कांग्रेस ओबीसी सेल के प्रधान कैप्टन अजय यादव की दावेदारी थी, लेकिन हुड्डा ने राज बब्बर को चुनावी रण में उतार दिया है। राज बब्बर को टिकट देने की औपचारिक रूप से कैप्टन ने तारीफ तो की है, लेकिन साथ ही हुड्डा पर यह आरोप लगा दिया कि हरियाणा कांग्रेस के कुछ नेता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।

लोकसभा के नतीजों का विधानसभा पर पड़ेगा असर

हुड्डा गुट के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने बिना किसी गुटबाजी के मजबूत उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, लेकिन एसआरके गुट उनकी इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस में जिस तरह से हुड्डा की पसंद के टिकट बांटे गए हैं, उससे यह बात तो साफ हो गई है कि इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी हुड्डा की पसंद-नापसंद का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन यह लोकसभा चुनाव के नतीजों पर काफी हद तक निर्भर रहने वाला है।

 

 

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