INDIA गठबंधन में राज्यों में सीटों के समझौते की राह नहीं, जानें क्या है उत्तर भारत के कई राज्यों का हाल

नई दिल्ली, BNM News। India Allanice: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के तेवर के बाद आइएनडीआइए के भविष्य को लेकर संकट के बादल छाने लगे हैं। इस बीच जब अन्य राज्यों में इसके घटक दलों की स्थिति को लेकर पड़ताल की गई तो ऐसा लगा कि इनकी राह आसान नहीं है। लोकसभा चुनाव में जीत के लिए इनके घटक तल एकजुट होने की बात भले ही कर रहे हैं, मगर कोई भी सीटों को लेकर समझौते के लिए कतई तैयार नहीं है।

उत्तर प्रदेश में निष्कर्ष पर नहीं पहुंच रहे

उत्तर प्रदेश में सीट शेयरिंग को लेकर बीते सप्ताह दिल्ली में सपा और कांग्रेस के बीच हुई बैठक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। हालांकि, सपा के महासचिव राम गोपाल यादव ने इतना अवश्य कहा कि हमने आधा रास्ता तय कर लिया है और बाकी का जल्द तय कर लिया जाएगा। इस बीच सपा और रालोद में सीटों को लेकर सहमति बन गई है। बसपा प्रमुख मायावती ने पहले ही अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है।

दिल्ली में चार-चार सीटों की मांग

दिल्ली में आप ने सात में से चार सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है, मगर कांग्रेस भी चार सीटें मांग रही है। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। अभी बात चल रही है। जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

हरियाणा में कांग्रेस नहीं देना चाहती एक भी सीट

 

हरियाणा में कांग्रेस और आप में सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं है। राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से आप तीन पर दावेदारी जता रही है, लेकिन कांग्रेस यह कहते हुए कि आप का यहां कोई जनाधार नहीं है, उसे एक भी सीट देने को तैयार नहीं है।

बिहार में राजद के लिए राह आसान नहीं

 

बिहार में महागठबंधन में सीटों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। राज्य में लोकसभा की 40 सीटों में 17 पर जदयू ने चुनाव लड़ने का दावा कर दिया है। ऐसी स्थिति में राजद पर शेष 23 सीटों के बंटवारे की जिम्मेदारी है। राजद को कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा माले के साथ सीटों का तालमेल बिठाना है, जो टेढ़ी खीर है। महागठबंधन के शेष दलों ने भी अपने दावे पेश कर दिए हैं।

जम्मू-कश्मीर में स्थिति स्पष्ट नहीं

 

जम्मू-कश्मीर में सीटों के तालमेल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस और पीडीपी तो किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार दिख रही हैं, मगर नेशनल कान्फ्रेंस की राह अलग है। भाजपा ने पिछली बार जम्मू-कश्मीर की पांच में से दो लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि तीन नेशनल कान्फ्रेंस ने। नेशनल कान्फ्रेंस तीन सीटों पर अपना हक जता रही है और अन्य दो सीटों पर भी परोक्ष रूप से कांग्रेस को उन्हें छोड़ने के लिए या फिर उनमें से एक सीट उसे देने के लिए कह रही है।

 

 

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