Loksabha Polls 2024: भारत में लोकसभा चुनाव प्रभावित करने के लिए बड़ी साजिश, डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे

नई दिल्ली, एजेंसी : एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बस संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से स्पष्ट हो गया है कि इस बार विदेशी दखलंदाजी से इसमें करोड़ों डालर खर्च किए गए ताकि घातक नैरेटिव सेट किए जा सकें। भारतीय मतदाताओं की सोच को प्रभावित करने के लिए बड़ी पूंजी लगाकर कथानकों का सृजन किया गया।

भारतीयों के मत को प्रभावित करने के लिए खतरनाक दुष्चक्र रचे

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (ओएसआइएनटी) की रिपोर्ट ‘इनविजबिल हैंड्स – फारेन इंटरफेरेंस इन इंडियन इलेक्शंस 2024’ को डिसइनफो लैब नाम के संगठन ने जारी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब करोड़ों भारतीय अपना भविष्य तय कर रहे थे, तब वैश्विक मीडिया और अकादमिया ने भारतीयों के मत को प्रभावित करने के लिए खतरनाक दुष्चक्र रचे थे। इसलिए वह भारतीय जनमानस पर अथक प्रहार करते रहे। पिछले कुछ महीनों से भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर तीखे हमले हो रहे हैं। राजनीतिक प्रतिष्ठानों पर भी विदेशी मीडिया, अकादमिया और सक्रिय कार्यकर्ता छिपे तौर पर हमले कर रहे हैं। सोची-समझी रणनीति के तहत एजेंडा आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि दुनिया के सामने सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नीचा दिखाया जा सके। यह अभियान सिर्फ पश्चिमी मीडिया तक सीमित नहीं रहा बल्कि उनके स्थानीय एजेंट भी यह बीड़ा उठाए रहे। डिसइंफो लैब ने अपनी रिपोर्ट में हेनरी लुइस फाउंडेशन (एचएलएफ) और जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) का भी जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट में जिन समूहों और व्यक्तियों का नाम उजागर किया गया है, वे फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका से संचालित किए गए हैं। रिपोर्ट में कुछ और भी बड़े आरोप लगाए गए हैं।

डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में फ्रांस के क्रिस्टोफ जॉफरलॉट पर आरोप

डिसइंफो लैब ने कहा भारतीय चुनावों पर वैश्विक रिपोर्ट्स का विश्लेषण करते समय यह पाया गया कि कुछ मीडिया कवरेज में मतदाताओं की मानसिकता को प्रभावित करने की कोशिश की गई। यह देखकर भी आश्चर्य हुआ कि फ्रांस के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों द्वारा भी ऐसा किया गया। इसमें फ्रांस के राजनीतिक विश्लेषक क्रिस्टोफ जॉफरलॉट के बयानों के आधार पर लेख तैयार किए गए। डिसइंफो लैब ने अपने रिपोर्ट में कनाडा के रिकन पटेल का नाम भी लिया है। दावा किया गया है कि भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए रिकन पटेल के संस्थान नामती को एचएलएफ और ओएसएफ ने आर्थिक मदद पहुंचाई। डिसइंफो लैब के अनुसार ‘एचएलएफ ने नामती को तीन लाख डॉलर, जबकि ओएसएफ ने 13.85 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद की।’

पाकिस्तान प्रायोजित एजेंटों को हीरो के रूप में पेश करने की कोशिश की

आलेखों, ओपेड, शोध पत्रों के रूप में भारतीय चुनावों पर स्याह तस्वीर पेश की गई। कुछ फंडेड संगठनों ने पाकिस्तान प्रायोजित एजेंटों को हीरो के रूप में पेश करने की कोशिश की। इन लोगों ने अपने लेखों में भारत में गिरता लोकतंत्र, हिंदू बहुलवाद और फासीवादी जैसे शब्दों का आधिकाधिक प्रयोग किया गया। भारत के संबंध में इन बातों को मुख्यधारा की मीडिया पर थोपने का प्रयास हुआ।

डिसइंफो ने रिपोर्ट में दावा करते हुए बताया ‘एचएलएफ द्वारा इससे पहले कट्टरपंथी इस्लामियों और पाकिस्तान की आईएसआई को भी आर्थिक मदद पहुंचाई गई थी।’ डिसइंफों ने रिपोर्ट में आरोप लगाया ‘क्रिस्टोफ और उनके सहयोगी गाइल्स वर्नियर्स ने अशोक विश्वविद्यालय में त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) के माध्यम एक कहानी को जबरन बढ़ावा दिया। इस बात पर जोर दिया गया कि भारत की राजनीति में निचली जातियों का कम प्रतिनिधित्व है।’ रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि क्रिस्टोफर ने वर्ष 2021 में ‘जाति जनगणना की आवश्यकता’ पर एक लेख लिखा था। डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके एवज में क्रिस्टोफ जॉफरलेट को अमेरिका के हेनरी लुइस फाउंडेशन (एचएलएफ) ने अत्यधिक धनराशि दी थी। डिसइंफो लैब के अनुसार ‘जाफरलॉट को ‘हिंदू बहुसंख्यकों के समय में मुस्लिम’ (Muslims in a Time of Hindu Majoritarianism) नाम की योजना पर काम करने के लिए 3.85 लाख डॉलर की धनराशि दी गई।’

भारत विरोधी एजेंडे के लिए इन्हें पहुंचाई गई आर्थिक मदद- डिसइंफो लैब

 

1- डिसइंफो लैब ने दावा किया कि एचएलएफ ने 2020 से लेकर 2024 तक भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए कुछ और भी संस्थानों को धनराशि मुहैया कराई। डिसइंफो ने अपनी रिपोर्ट में बर्कले सेंटर फॉर रिलिजन, पीस एंड वर्ल्ड अफेयर्स (Berkley Center for Religion, Peace and World Affairs) का भी नाम उजागर किया है।

2- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बर्कले को 3.46 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इसके बाद बर्कले संस्थान ने हिंदू अधिकार और भारत की धार्मिक कूटनीति (The Hindu Right and India’s Religious Diplomacy) पर एक रिपोर्ट तैयार की।

3- रिपोर्ट में दावा किया है कि एचएलएफ ने सीईआईपी यानी कार्नेगी इडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस (Carnegie Endowment for International Peace) को सत्तावादी दमन, हिंदू राष्ट्रवाद (Authoritarian repression, Hindu Nationalism) और बढ़ते हिंदुओं पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए 1.20 लाख डॉलर की धनराशि दी गई।

4- डिसइंफो के अनुसार सीईआईपी को इसके बाद एक और रिपोर्ट तैयार करने के लिए 40 हजार डॉलर की धनराशि दी गई। आरोप है कि यह धनराशि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ‘सत्ता में भाजपा: भारतीय लोकतंत्र और धार्मिक राष्ट्रवाद’ (The BJP in Power: Indian Democracy and Religious Nationalism) पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए दी गई।

5- रिपोर्ट में दावा किया गया कि एचएलएफ ने ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) रो एशिया में हिंसा पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन लाख डॉलर की धनराशि दी गई। एचआरडब्ल्यू ने रिपोर्ट में पाकिस्तान और अफगानिस्तान नहीं बल्कि भारत का नाम लिया।

6- डिसइंफो ने यह आरोप भी लगाया है कि इसके अलावा ऑड्रे ट्रुश्के के संस्थान साउथ एशिया एक्टिविस्ट कलेक्टिव (एसएएसएसी) को एचएलएफ ने हिंदू राष्ट्रवाद पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी धनराशि दी।

 

 

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