दिल्ली में ठगी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश, गिरोह में शामिल महिलाएं लोगों को ऐसे बनाती थी अपना शिकार

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः दिल्ली पुलिस ने फर्जी काल सेंटर का पर्दाफाश कर नौ महिलाओं सहित 20 जालसाजों को गिरफ्तार किया है। ठगी का यह गिरोह सरकारी योजनाओं के तहत लोन दिलाने के बहाने देशभर के लोगों से ठगी कर रहा था। गिरोह अभी तक करीब 400 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। पुलिस ने अभी तक 50 से ज्यादा पीड़ितों के बारे में जानकारी जुटाई है।

ठगी के पैसे से खरीदी गई कार, बाइक बरामद

पुलिस उपायुक्त अंकित चौहान ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विकेश, राहुल, राजेश, दीपक, राहुल, राज पांडे, मोहम्मद शाहकार उर्फ शान, मोहम्मद इमाम, अंकुर धुरिया उर्फ राहुल के रूप में हुई है। गिरफ्तार किए गए 11 अन्य आरोपी टेली कालर का काम कर रहे थे। पुलिस ने जालसाजों से ठगी में इस्तेमाल 32 मोबाइल, 48 फर्जी सिम कार्ड, चार लैपटाप, डोंगल, 25 रजिस्टर और ठगी के पैसे से खरीदी गई कार व दो बाइक बरामद की हैं।

दिल्ली के इस गांव से देशभर में ठगी

गिरोह साकेत के गांव लाडो सराय में एक घर में फर्जी काल सेंटर चलाकर ठगी कर रहा था। गिरोह ने देशभर के लोगों 40 लाख से ज्यादा रुपये की ठगी की है। पीड़ितों में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बंगाल और दिल्ली के लोग शामिल हैं।

इस तरह खाली करते थे पीड़ितों के बैंक खाते

काल सेंटर में नौ महिलाओं सहित 11 आरोपित टेली कालर के तौर पर काम करते थे, जो लोगों को काल कर सरकारी योजनाओं के तहत लोन दिलाने की बात कहते थे। गिरोह ने एक फर्जी वेबसाइट बनाकर उस पर सरकारी लोन योजना का लोगो और लोन से जुड़ी जानकारी अपलोड कर रखी थी। इसका लिंक पीड़ितों के मोबाइल नंबर पर शेयर किया जाता था, ताकि वह उनकी निजी जानकारी प्राप्त कर सकें।

जब पीड़ित उनके झांसे में आ जाता था, तो आरोपित उसे प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में 100 रुपये का आनलाइन टोकन का भुगतान करने के लिए कहते थे। जैसे ही पीड़ित आनलाइन अपना विवरण लिंक में दिए फार्म में भरता तो यह सीधे आरोपितों के बैक एंड कार्यालय पैनल पर दिखाई देते थे। जब पीड़ित 100 रुपये का भुगतान करते थे तो तकनीकी खामी दिखती थी, जबकि पीड़ित के खाते से ट्रांजेक्शन हो जाती थी।

इस तरह पता करते थे पीड़ित के खाते का बैलेंस

इसके बाद टेली-कालर पीड़ित के ट्रांजेक्शन का मैसेज मांगते थे। इस मैसेज से टेली कालर को पीड़ित के खाते के शेष बैलेंस का पता चल जाता था। फिर वह पीड़ित को दोबारा भुगतान करने के लिए कहते थे। इस बार आरोपित भुगतान के विकल्प में पीड़ित के खाते की सारी रकम भर देते थे। जैसे ही पीड़ित भुगतान करता था तो उसका खाता खाली हो जाता था।

ठगी के बाद मोबाइल नंबर कर देते थे ब्लाक

आरोपी पहले 100 रुपये के मामूली डेबिट के लिए एक ओटीपी भेजते थे। पीड़ित को भरोसे में लेने के लिए मोटी राशि के लिए अन्य ओटीपी भेज देते थे। जब पीड़ित उनसे लोन के बारे में पूछते थे तो वह उन्हें अनसुना कर देते थे। साथ ही पीड़ितों को उनके पैसे वापस करने से इन्कार करने के बाद उनका मोबाइल नंबर ब्लाक कर देते थे।

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विकेश है गिरोह का मास्टरमाइंड

गिरोह का मास्टरमाइंड कालकाजी के सुधार कैंप निवासी विकेश है। वह पूर्व में ओखला स्थित एक ई-कामर्स काल सेंटर में काम करता था। उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित आदर्श नगर निवासी राहुल काफी समय से विकेश का करीबी है। तिगड़ी निवासी आरोपी राजेश व दीपक मास्टरमाइंड विकेश के साले हैं। वह काल सेंटर में टीम लीडर के तौर पर काम कर रहे थे।

साफ्टवेयर डेवलपर राज पांडे ने बनाया था लिंक

उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी राज पांडे ने गिरोह के लिए भुगतान करने वाला लिंक बनाया था। वह ग्रेटर नोएडा में साफ्टवेयर डेवलपर का काम करता है। जबकि जाकिर नगर निवासी मोहम्मद शाहकार उर्फ शान काल करने के लिए फर्जी सिम कार्ड विकेश को भेजता था। वह पूर्व में धोखाधड़ी के एक मामले में शामिल रह चुका है।

शाहकार छतरपुर निवासी मोहम्मद इमाम से सिम खरीदता था। इमाम मूलरूप से उत्तर प्रदेश के संभल स्थित खानपुर बंद का रहने वाला है। वह उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित कटरा नगर निवासी राहुल उर्फ अंकुर से फर्जी सिम कार्ड खरीदता था।

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